NewsMPG – MP & India News: Ratlam, Ujjain, Indore, Bhopal, Delhi, Mumbai | Sports, Spirituality, Arts & Travel & : पर्यावरण Updates https://newsmpg.com/rss/category/paryavaran-updates NewsMPG – MP & India News: Ratlam, Ujjain, Indore, Bhopal, Delhi, Mumbai | Sports, Spirituality, Arts & Travel & : पर्यावरण Updates en Copyright 2023 Newsmpg.com All Rights Reserved :: WebMaster : Harsh Shukla नगर निगम ने लॉ कालेज पर पेड़ काटने पर लगाया 10 हजार का जुर्माना  https://newsmpg.com/Municipal-corporation-fined-10-thousand-for-cutting-tree-on-law-college https://newsmpg.com/Municipal-corporation-fined-10-thousand-for-cutting-tree-on-law-college
रतलाम। नगर निगम ने बड़ी मिसाल पेश करते हुए लॉ कालेज पर बिना अनुमति के 2 पेड़ काटने पर 10 हजार रुपए का जुर्माना किया है। नगर निगम ने वृक्षों का परीक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की है। हालांकि यह कटाई लगभग 19 महीने पहले की गई थी जिसपर अब नगर निगम जागा है। 
मंगलवार को नगर निगम के वृक्ष अधिकारी ने जुर्माना करते हुए आदेश जारी किया। शासकीय कैलाशनाथ काटजू विधि महाविद्यालय के प्राचार्य के नाम जारी आदेश में बताया गया कि  कॉलेज पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। कॉलेज केम्पस में 17 जनवरी 2022 को बिना अनुमति लिए ही दो पेड़ काट दिए गए थे। मामले में शिकायत सामने आने पर कॉलेज में तर्क दिया था कि केवल छटाई की गई है, हालांकि पेड़ जड़ से काटे गए थे। न्यायालय में चालान योग्य न होने पर नगर निगम ने मप्र वृक्षों का परीक्षण नगरीय क्षेत्र अधिनियम के तहत कार्यवाही की। वृक्ष अधिकारी ने प्रत्येक पेड़ काटने पर 5-5 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। यह राशि कॉलेज प्रशासन को नगर निगम में नए पौधे लगाने और भरपाई के लिए जमा करना पड़ेगी। 

लगातार कटाई के बीच छवि सुधार की कोशिश

उल्लेखनीय है कि रतलाम शहर में लगातार पेड़ों की अवैधानिक और बिना अनुमति कटाई को लेकर कुछ महीनों से लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है। पिछले महीने गोल्ड काम्पलेक्स निर्माण परिसर में भी कटाई के बाद पर्यावरण प्रेमियों द्वारा एफआईआर भी दर्ज करवाई गई है। इसके विरोध में समाज के कई संगठनों ने भी प्रदर्शन किया था। ऐसे में माना जा रहा है कि नगर निगम द्वारा अब छवि सुधारने की कोशिश की जा रही है। 

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Tue, 25 Jul 2023 19:29:20 +0530 newsmpg
खोखली हो रही नर्मदा का घट रहा जल स्तर, बड़वानी को ही नहीं मिल रहा पानी & मेधा पाटकर   https://newsmpg.com/Water-level-of-Narmada-is-getting-hollow-Barwani-itself-is-not-getting-water--Medha-Patkar https://newsmpg.com/Water-level-of-Narmada-is-getting-hollow-Barwani-itself-is-not-getting-water--Medha-Patkar

पिछले कुछ महीनों से नर्मदा को मातेसरी मानने वाली, पूजने वाली, परिक्रमावासियों का स्वागत, सम्मान करने वाली बड़वानी जैसे शहर की जनता हैरान है। नर्मदा से 5 किलोमीटर दूर शहर में भी परेशानी होने लगी है। कुछ दिनों से अलग-अलग समूह जल के लिए तड़पते और आवाज उठाते रहे हैं। पिछले 37 सालों से आंदोलनकारी जो चेतावनी दे रहे हैं, वो अब जनता समझ चुकी है। 
बड़वानी, नर्मदा घाटी के अनेक शहरों में से एक है। यह शहर भी नर्मदा के पानी पर जीता रहा है, पानी लेता रहा है पीने, सिंचाई और हर कार्य के लिए। शहरवासी अन्न से लेकर श्रमिकों के श्रम तक, हर अपरिहार्य पूंजी और वस्तुएं ग्रामीण क्षेत्रों से तो लाते हैं। जहां प्रकृति भी बची थी और श्रमाधारित संस्कृति भी। लेकिन आज जलवायु ही नहीं, अर्थव्यवस्था भी बदल जाने से प्रकृति का विनाश और उससे  ग्रामीणों के साथ शहरवासियों को भी वंचना भुगतनी पड़ रही है। इसका सबसे भयावह उदाहरण है नर्मदा का। पानी, पानी करते आवेदन देते बड़वानी के लोग अगर समझेंगे कि इस वंचना की नीव में क्या है, कारण क्या है तो ही वे बच पाएंगे। महिलाओं ने मटके फोड़े, किसानों ने सूखी नहरों में पानी छोड़ने की मांग रखी, लेकिन गहराई में उतरकर देखना बाकी है। राजनेताओं,सामाजिक कार्यकतार्ओं, हर संवेदनशील व्यक्ति, अधिकारी, कर्मचारियों को भी। 
क्यों सूख रही है मां नर्मदा 
बड़वानी शहर को घाटी का हिस्सा रहे गांव और पुनर्वसित विस्थापितों को भी करोड़ों रुपए खर्च करके बनाए गए नए बसाहट आदि में रखा जा सकता है। यहां जो पंप आदि हैं, वो गर्मियों में काम नहीं कर रहे हैं। कारण है नर्मदा का सूखना। एक ओर सरदार सरोवर बांध 138.68 मीटर तक बढ़ाया जा रहा है जिसमें 67000 करोड रुपए सरदार सरोवर निगम का खर्च हुआ। जबकि मूल लागत मानी गई थी 4200 करोड़। दूसरी ओर नर्मदा का जलस्तर नीचे गया है। गर्मी में भी 110-105 मीटर के नीचे जल स्तर जा रहा है। यह कई क्रियाकलापों का नतीजा है। सबसे पहला कारण है अवैध याने बिना परवाना, बिना मयार्दा, बिना शर्त अंधाधुंध रूप से चल रहा रेत खनन। 2010 की केंद्रीय मंत्रालय से गठित विशेषज्ञों की रिपोर्ट पर सर्वोच्च अदालत का फैसला 2012 में आया था। इसमें कहा गया था कि रेत खनन से भूमि के नीचे का जलस्तर बर्बाद होता है। तो नदी सूखेगी नहीं, यमुना सूखी, जिसे बचाने के लिए उपवासकर्ता स्वामी निगमानंद ने इसी का विरोध करते हुए जान गवायी। नर्मदा उसी के रास्ते बह रही है। 
कोख से खनन करने वालों को न डर, न चिंता 
बड़वानी में नर्मदा किनारे जो कृषि भूमि, आबादी, शासकीय भूमी थी, वह  सरदार सरोवर के लिए ही अर्जित थी, उसमें कार्यपालन यंत्री, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के नाम होते हुए भी खुदाई कौन कर सकता है? कोई विभाग न लाइसेंस दे सकता है, न मंजूरी। 6/5/2015 का मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का स्पष्ट आदेश है बड़वानी, धार, अलीराजपुर, खरगोन के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को। फिर भी किसी को न डर है, न चिंता किसी कार्यवाही की। नर्मदा घाटी के किसानों की फसलें, मूंग की हो या चने की अधिक बर्बाद होती रही है। पाइप लाइने तोड़-फोड़कर खननकर्ता अपनी कमाई कर रहे हैं। जिनकी जो जमीन आंदोलन के कानूनी-मैदानी संघर्ष से अर्जित हुई, उन पर मालिकाना हक न होते हुए भी लाखों रुपयों में रेत माफियाओं को उन्हें बेचा जा रहा है। इसमें बड़वानी के पूंजीनिवेशक भी शामिल है। सेंधवा से इंदौर तक के वाहन मालिक हैं और हर स्तर पर कार्यरत, हर रास्ते पर खड़े मजदूर हैं। ड्राइवर, ट्रेक्टर्स, डम्पर्स, जेसीबी, पोकलेन मशीनें नदी किनारे और नदी के जलाशय के जल में भी उतारी जा रही हैं। 
क्या यह तर्क संगत है? 
तमाम कानून, आदेश और 2022 तक के राज्य शासन के आदेशों का उल्लंघन करते। लेकिन न पुलिस, न राजस्व, न खनिज और नर्मदा घाटी विकास की भी नजरें इन पर गिरती हैं। कोई कार्यकर्ता नर्मदा बचाने की कटिबध्दता के साथ पीछे पड़े तो भी संबंधित अधिकारी, कार्यालय से ही खननकतार्ओं को खबर पहुंच जाती है। इस कार्य में दलित, आदिवासी, गरीब बच्चे, युवा रोजगार पा रहे हैं। कुछ किसान भूमिमाता और नदीमाता से रिश्ता तोड़कर, मां को भी बेच रहे हैं कमाई के लिए। इस वाहन पकड़ने पर रेत ले जाने वाले खुलेआम कहते हैं कि आखिर वेही तो पुलिस और अन्य विभागों को हिस्सा देते हैं। एक महाविद्यालय की पढ़ाई छोड़कर इसमें उतरा युवा कहता है कि आखिर रोजगार नहीं मिलता, तो मैं क्या करूं? रोजगार की गारंटी के रिकॉर्ड की जांच करें तो वे दावे झूठे साबित होते हैं। लेकिन क्या हत्या की सुपारी रोजगार बन सकती है? रोज एक गांव से 100 -200 ट्रैक्टर्स यानी प्रत्येक की 3.5 से 4 टन तक रेत निकाली जा रही है। रेत की कमाई करोड़ों की है, लेकिन रुपए बटोरकर कितना अमूल्य नुकसान हो रहा है। ये नुकसान करोड़ों नहीं अमूल्य है जो जिंदगी भर ग्रामीण और शहरी की जनता को भुगतना पड़ेगा। 
आश्वासन, दावे या धोखा 
जलवायु परिवर्तन से बाष्पीकरण से बड़े जलाशयों का, नहरों का पानी उड़ रहा है। लेकिन घाटी के हक का पानी, उससे भी ज्यादा पूरी 1312 किलोमीटर की नर्मदा और उपनदियों से दसौ  बड़ी उद्वहन परियोजनाएं उड़ाके ले जा रही है। लिंक की लाभ-हानि जांचे तो पता चलता है क्षिप्रा को, मालवा को, अब रतलाम को भी पानी का आश्वासन राजनीतिक धोखाधड़ी साबित हो रही है। अभी भी कई परियोजनाओं से नर्मदा की घाटी से बाहर पानी ले जाना बाकी है। रेत खनन से खाली होती आंचल गाद से भरेगा तो इससे कितना पानी बचेगा, क्या जल स्तर रहेगा। जल जीवन मिशन का दावा, नहरों से सिंचाई का आश्वासन कैसे पूरा होगा। गर्मियों में जब पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, उन्हीं महीनों में प्यासी रखकर भूमाता के साथ अन्नदाता किसानों के साथ भी खिलवाड़ हो रही है। यह और भी गंभीर बनती जाएगी। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण और नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण कोई पानी की मात्रा ध्यान में न लेते हुए एकेक बड़े, मझौले बांधों को और उद्वहन परियोजनाओं को बढ़ोतरी दे रही है। अधिकारी, कर्मचारी इससे अपनी चाकरी तो बचा पाएंगे लेकिन किसान, मजदूर, शहरवासी अपनी आजीविका और जीवन भी कैसे बचाएंगे? 
-आलेख (प्रथम भाग) 
मेधा पाटकर
(प्रसिद्ध पर्यावर्ण विद् एवं संस्थापक नर्मदा बचाओ आंदोलन)  

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Thu, 06 Jul 2023 15:40:38 +0530 newsmpg
Climate Crisis: IPCC Synthesis Report says the vulnerable are suffering the maximum losses and damages https://newsmpg.com/climate-crisis-ipcc-synthesis-report-says-the-vulnerable-are-suffering-the-maximum-losses-and-damages https://newsmpg.com/climate-crisis-ipcc-synthesis-report-says-the-vulnerable-are-suffering-the-maximum-losses-and-damages Climate Crisis: IPCC Synthesis Report says the vulnerable are suffering the maximum losses and damages

Global temperature rise may touch 1.5 degree by 2030 and India is experiencing high loss and damage; say experts

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Tue, 21 Mar 2023 16:20:18 +0530 newsmpg
इस बार पड़ेगी ऐसी गर्मी जो सहना होगा बेहद मुश्किल  &दो दशकों के मुकाबले भारत का औसत तापमान तेजी से बढ़ रहा  &4&5 सालों में 50 पार पंहुच जाएगा पारा  https://newsmpg.com/This-time-there-will-be-such-heat-which-will-be-very-difficult-to-bear---Indias-average-temperature-is-rising-faster-than-in-two-decades---Mercury-will-cross-50-in-4-5-years https://newsmpg.com/This-time-there-will-be-such-heat-which-will-be-very-difficult-to-bear---Indias-average-temperature-is-rising-faster-than-in-two-decades---Mercury-will-cross-50-in-4-5-years अर्थ वॉरियर डेस्क, न्यूजएमपीजी।   अगर आपसे कहा जाए कि मात्र 4-5 सालों में आपके लिए गर्मियों के मौसम में घर से बाहर निकलना बेहद मुश्किल हो जाएगा, तो शायद आपको कम विश्वास होगा, लेकिन यह एकदम सच है। इस साल भी केवल 10 दिनों बाद ऐसी स्थिति हो जाएगी कि अप्रैल, मई में घरों के बाहर समय काटना बड़ी सजा होगी। जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और लगातार घट रही वन संपदा के कारण मात्र 5 सालों में भारत का औसत तापमान इतना हो सकता है जो इन्सान के लिए सहनशक्ति के लिए मुश्किल हो। 
ये खौफनाक और चिंताजनक चेतावनी विश्व की सभी बड़ी एनवायरमेंट से जुड़ी संस्थाएं कर रही हैं। तथ्यों की बात करते हैं। इसके लिए आपको दो दशक पहले 1990 से 2000 के बीच के समय में लेकर चलते हैं। अप्रैल-मई का महीना 90 के दशक में कैसे हुआ करता था? शायद ही छोटे शहरो ंमें किसी घर में कोई न कोई छत पर, आंगन में,  बाहर न सोता हो, बिना किसी पंखे, कूलर के। एसी तो सवाल ही नहीं है। दिन बागीचों में बीत जाता था, शाम चौपालों पर। आंकड़े बताते हैं कि 1990 के दशक में साल का औसत तापमान 26.9 डिग्री सेल्सियस हुआ करता था। आज महानगरों में अप्रैल में दिन का तापमान 40 के पार है। दो दशक में 10-14 डिग्री तक तापमान बढ़ा है। अगर यही रफ्तार जारी रहा तो अगले दो दशक में यानी कि साल 2045-50 तक तापमान 50 डिग्री के पार चला जाएगा। 

क्यो होगा हमारे साथ, अगर तापमान हुआ 50 

शोध बताते हैं कि इन्सानी शरीर का औसत सामान्य तापमान 36-37 डिग्री सेल्सियस है। यहीं तक का तापमान इन्सान के लिए बेहतर है। इससे ऊपर हर एक डिग्री हमारे लिए हानीकारक है। 40 के ऊपर तेज बुखार, डिहाईड्रेशन, मिनिरल्स की कमी, त्वचा रोग, श्वसन रोग होने लगते हैं। 42 के ऊपर दिमाग, दिल, यकृत, किडनी शिथिल होने लगती है। अगर यह तापमान 50 तक पहुंचा तो क्या स्थिति होगी? सोचा जा सकता है। 

साल दर साल बिगड़ते हालात 

विश्व भर के साथ भारत में किए जा रहे शोध बताते हैं कि भारत में तापमान साल दर साल तेजी से बढ़ रहा है। 28 अप्रैल तक के भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आंकड़े भी चेताने वाले हैं। 122 वर्षों में पिछले साल अप्रैल का महीना सबसे गर्म रहा है। लंबे समय तक भारत के उत्तरी हिस्सों में औसत अधिकतम तापमान 35.9 डिग्री सेल्सियस रहा है। यह पुराने औसत से 3 डिग्री अधिक है। पिछले साल के सेटेलाइट इमेजस के अनुसार उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सतही भूमि का तापमान 60 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया था। 

क्यों आग का गोला बनने को दौड़ रहे हैं हम 

प्रकृति का विनाश, अत्याधिक कार्बन डाइआॅक्साइड और हानिकारक गैसों का उत्सर्जन। बस यही दो कारण हैं जिनकी वजह से भारत सहित पूरा विश्व तेजी से आग का गोला बनने की ओर भाग रहा है। उद्योग, इमारतों के निर्माण के चलते बड़ी संख्या में जंगलों को खत्म किया गया। 2019 के आंकड़े बताते हैं कि वनों की कटाई के कारण वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 11 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उष्णकटिबंधीय वनों की कटाई से कार्बन उत्सर्जन तेज हो रहा है।

ग्रीन हाउस गैस थर्मल इंफ्रारेड रेंज के भीतर ऊर्जा को अवशोषित और उत्सर्जित करती हैं। मोटे तौर पर समझें तो ये पृथ्वी पर ऊष्मा को बढ़ाने वाले कारक हैं। चूंकि पेड़ों की हो रही कटाई के कारण स्वाभाविक रूप से आॅक्सीजन का उत्पादन कम और कार्बन डाइआक्साइड बढ़ने लगता है। कार्बन डाइआॅक्साइड धरती के वायुमंडल को गर्म करनेवाली ग्रीनहाउस गैसों में बढ़ोतरी करने लगता है। कार्बन उत्सर्जन और ग्रीनहाउस गैसों का बढ़ना तापमान को बढ़ाने लगता है। आंकड़े हमारे कारनामों को स्पष्ट करते हैं। चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश है।

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Sun, 19 Mar 2023 18:13:26 +0530 newsmpg
असम के धुबरी में ब्रह्मपुत्र नदी में नाव पलटी, सर्कल अधिकारी समेत 7 लोग लापता; देखें VIDEO https://newsmpg.com/असम-क-धबर-म-बरहमपतर-नद-म-नव-पलट-सरकल-अधकर-समत-7-लग-लपत-दख-video https://newsmpg.com/असम-क-धबर-म-बरहमपतर-नद-म-नव-पलट-सरकल-अधकर-समत-7-लग-लपत-दख-video अधिकारी ने इस दुर्घटना की जानकारी देते हुए कहा कि गुरुवार को एक निर्माणाधीन पुल के पास कटाव की जांच के लिए टीम को ले जा रही एक नाव के पलट जाने से एक अधिकारी सहित कम से कम सात लोग लापता हो गए हैं।

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Thu, 29 Sep 2022 14:01:14 +0530 newsmpg