NewsMPG – MP & India News: Ratlam, Ujjain, Indore, Bhopal, Delhi, Mumbai | Sports, Spirituality, Arts & Travel & : सेहत Central+देसी नुस्ख़े https://newsmpg.com/rss/category/फिटनेस,-योग-और-मानसिक-शांति-से-जुड़ी-हर-ज़रूरी-जानकारी-health-news--mind-and-body--fit-and-mindful--wellness-now--live-well--be-well-zone NewsMPG – MP & India News: Ratlam, Ujjain, Indore, Bhopal, Delhi, Mumbai | Sports, Spirituality, Arts & Travel & : सेहत Central+देसी नुस्ख़े en Copyright 2023 Newsmpg.com All Rights Reserved :: WebMaster : Harsh Shukla कफ सिरप कांड : दूषित दवा से मध्यप्रदेश के 11 से ज्यादा मासूमों की मौत, डॉक्टर और दवा कंपनी पर केस दर्ज https://newsmpg.com/mp-chhindwara-cough-syrup-case-children-death-doctor-pharma https://newsmpg.com/mp-chhindwara-cough-syrup-case-children-death-doctor-pharma Headlth Desk @newsmpg...मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा ज़िले में कोल्ड्रिफ़ (Coldrif) कफ सिरप से जुड़ा मामला लगातार गंभीर होता जा रहा है। कथित रूप से दूषित सिरप पीने से अब तक 11 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि 6 बच्चे नागपुर में उपचाराधीन हैं। इस दर्दनाक हादसे ने पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं और दवा नियंत्रण तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

डॉक्टर पर एफआईआर, हिरासत में पूछताछ

पुलिस ने जानकारी दी कि सरकारी शिशु रोग विशेषज्ञ (पीडियाट्रिशियन) डॉ. प्रवीण सोनी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। डॉ. सोनी पर आरोप है कि उन्होंने अपने निजी क्लिनिक (पारासिया, छिंदवाड़ा) में बच्चों को यही सिरप लिखा था।

  • छिंदवाड़ा एसपी अजय पांडे ने बताया कि डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।

  • उन पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 105, 276 और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 27 के तहत केस दर्ज किया गया है।

  • डॉक्टर को सस्पेंड कर स्वास्थ्य विभाग के जबलपुर क्षेत्रीय कार्यालय से जोड़ा गया है।

स्वास्थ्य विभाग के आदेश में कहा गया है कि —
"यदि डॉक्टर ने सही तरीके से बच्चों की बीमारी की पहचान कर इलाज किया होता, तो शायद उनकी जान बचाई जा सकती थी।"

दवा कंपनी पर भी केस

डॉ. सोनी के साथ-साथ इस सिरप को बनाने वाली कंपनी स्रेशन फार्मास्यूटिकल्स (Sresan Pharmaceuticals), कांचीपुरम (तमिलनाडु) पर भी मामला दर्ज हुआ है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही तमिलनाडु पुलिस से समन्वय करके जांच आगे बढ़ाई जाएगी। एक डीएसपी रैंक अधिकारी के नेतृत्व में टीम तमिलनाडु जाएगी।

दूषित सिरप में घातक केमिकल

जांच में खुलासा हुआ है कि कोल्ड्रिफ सिरप में डाइ-एथिलीन ग्लाइकोल (DEG) नामक जहरीला रसायन मौजूद था। यह रसायन सामान्यतः एंटीफ्रीज़ और ब्रेक फ्लूइड में इस्तेमाल होता है, दवाओं में इसकी मात्रा 0.1% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार:

  • कोल्ड्रिफ सिरप में DEG की सांद्रता 48% पाई गई, जो बेहद खतरनाक है।

  • बच्चों की किडनी की बायोप्सी रिपोर्ट ने भी इस रसायन की पुष्टि की।

ड्रग कंट्रोलर डी.के. मौर्य ने कहा —
"यह सांद्रता जानलेवा है। फिलहाल यह सिरप केवल छिंदवाड़ा क्षेत्र में ही पाया गया है, बाकी जिलों में इसकी सप्लाई नहीं मिली है। लेकिन सभी ड्रग इंस्पेक्टरों को सतर्क कर दिया गया है।"

सरकार की कार्रवाई और प्रतिबंध

  • मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत डॉक्टर को निलंबित करने के निर्देश दिए।

  • राज्य सरकार ने कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री पर प्रदेशव्यापी प्रतिबंध लगा दिया है।

  • स्वास्थ्य विभाग अब दूसरे संदिग्ध सिरप "नेक्सा डीएस" (Nexa DS) की भी जांच कर रहा है।

घटनाओं की श्रृंखला

  • पिछले एक महीने में पारासिया क्षेत्र में बच्चों को तेज बुखार, किडनी फेलियर और पेशाब करने में कठिनाई जैसी समस्याएँ हुईं।

  • अधिकतर बच्चों का इलाज डॉ. सोनी के निजी क्लिनिक में हुआ।

  • धीरे-धीरे मौतों का आंकड़ा बढ़ता गया और अब तक 11 मासूमों ने दम तोड़ा है।

  • नागपुर में इलाजरत 6 बच्चों की हालत गंभीर बनी हुई है।

प्रशासनिक और सामाजिक सवाल

यह घटना न सिर्फ छिंदवाड़ा, बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी की घंटी है। दवा निर्माण कंपनियों की निगरानी और डॉक्टरों की जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

  • क्या राज्य की दवा निगरानी प्रणाली समय पर सतर्क नहीं हो सकी?

  • बच्चों को बाजार में उपलब्ध संदिग्ध सिरप से कैसे बचाया जाए?

  • क्या स्वास्थ्य विभाग डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर नियंत्रण करने में असफल हो रहा है?

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Sun, 05 Oct 2025 15:40:19 +0530 Admin 2
Meet Chennai’s Vimalraj Jayachandran, the newly&crowned Tennis Esports champion https://newsmpg.com/meet-chennais-vimalraj-jayachandran-the-newly-crowned-tennis-esports-champion https://newsmpg.com/meet-chennais-vimalraj-jayachandran-the-newly-crowned-tennis-esports-champion Wed, 01 Oct 2025 17:35:13 +0530 newsmpg क्या आप भी बच्चों को पिला रहे हैं खांसी की दवाई तो रुक जाएं, 15 दिन में गई 7 जान https://newsmpg.com/toxic-cough-syrup-child-deaths-mp-rajasthan https://newsmpg.com/toxic-cough-syrup-child-deaths-mp-rajasthan - दूषित कफ सिरप का कहर, इन 2 कंपनी को सिरप बेन

- मप्र और राजस्थान में एडवाईजरी जारी, जांच भी शुरु 

भोपाल/जयपुर, हेल्थ डेस्क। कहीं आप भी अपने बच्चे को खांसी की दवाई तो नहीं पिला रहे हैं, अगर हां, तो रुकिए, क्योंकि दूषित कफ सिरप बच्चों की जान ले रहा है। 
देशभर को हिला देने वाला मामला मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी पुष्ट हो चुका है। पांच साल से कम उम्र के इन बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हुई है। जांच में अब एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है— डॉक्टरों को संदेह है कि इन बच्चों को दिया गया कफ सिरप दूषित था। सिरप में जहरीला रसायन डायएथिलीन ग्लाइकॉल मिला होने की आशंका जताई गई है।

दूषित कफ सिरप पीने से दोनों राज्यों को मिलाकर कम से कम 7 बच्चों की मौत हो गई है जबकि एक दर्जन जिलों में कई बच्चे बीमार हैं। सबसे ज्यादा दुखद परिणाम मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में देखने को मिले हैं जहां कफ सिरप पीने से 6 बच्चों की मौत हो गई है। जबकि एक बच्चा राजस्थान के सीकर का है। ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ विभाग हरकत में आया है और फिलहाल दो कंपनियों के कफ सिरप पर पूरी तरह बैन लगा दिया गया है। 

कैसे शुरू हुआ मामला?

पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को छिंदवाड़ा से सामने आया था। उस समय एक बच्चे को बुखार और खांसी की शिकायत थी। डॉक्टरों ने सामान्य दवाओं के साथ कफ सिरप लिख दिया। कुछ दिनों तक हालात ठीक रहे, लेकिन अचानक पेशाब कम होना शुरू हुआ। 7 सितंबर को बच्चे की मौत हो गई। इसके से 20 सितंबर के बाद तक कई और बच्चों में यही लक्षण दिखे हैं, जिनमें से अब तक 6 बच्चों की मौत हो चुकी है।

खांसी-बुखार था, दवा के बाद रुकी पेशाब

इन बच्चों के परिजनों की बातों में समान है कि इन सभी को सर्दी, खांसी, जुकाम और कुछ को बुखार था। परंतु सिरप देने के बाद से पेशाब कम होता गया या रुक गया। अधिकांश बच्चों का इलाज अब शासकीय और निजी अस्पतालों में चल रहा है जहां विशेषज्ञों के अनुसार सभी की किडनी प्रभावित हुई हैं। जबकि 6 बच्चों को इलाज के बावजूद बचाया नहीं जा सका है। 

इन जिलों तक फैला कहर

मप्र स्वास्थ विभाग के अनुसार मामले छिंदवाड़ा के अलावा बेतूल, सिवनी, पांढुर्णा, हरदा तक में मिले है। एहतियातन, स्वास्थ्य विभाग ने संदिग्ध कफ सिरप पर रोक लगा दी है। इलके अलावा राजस्थान: सीकर में 5 वर्षीय बच्चे मौत हो चुकी है जबकि भरतपुर और श्रीमाधोपुर में भी बच्चे बीमार पड़े हैं। संयुक्त टीमों ने मध्यप्रदेश और राजस्थान दोनों राज्यों से सैंपल इकट्ठा किए हैं। राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉपोर्रेशन ने दवाई की 19 बैचों पर तुरंत बैन लगाया है। ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटी ने भी जांच शुरू कर दी है और सिरप के सैंपल सरकारी लैब में भेजे गए हैं।

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बायेप्सी से खुलासा

लगातार मामले सामने आने पर स्वास्थ विभाग ने छिंदवाड़ा में बच्चों की किडनी की बायोप्सी करवाई गई। इसके साथ ही ब्लड सैंपल जांच पुणे स्थित वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट में भेजे गए। इसके अलावा जिन गांवों में बच्चों की मौत हुई, वहाँ के पानी की जांच भी करवाई गई, लेकिन बाकि सब सामान्य पाया गया, लेकिन बायोप्सी में संकेत मिला कि किसी दवाई में दूषित पदार्थ बच्चों के शरीर में गया।  
इसके आधार पर आगे जांच की गई। 

ये दोनों सिरप बैन 

इसकी रिपोर्ट में दूषित केमिकल की आशंका सामने आने के बाद छिंदवाड़ा कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने जिÞले में बिक रहे दो ब्रांड— कॉल्ड्रिफ सिरप और नेकस्ट्रो डीएस सिरप की बिक्री पर पूर्णत: रोक लगाते हुए इसे जप्त करने के आदेश दिए हैं। साथ ही डॉक्टरों, मेडिकल स्टोर्स और अभिभावकों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। 

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी

प्रभावित जिलों में राज्य स्वास्थ्य विभाग की टीम भी प्रभावित गाँवों में डोर-टू-डोर सर्वे कर रही है। 
विशेषज्ञों का कहना है कि 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह कोई भी दवा या कफ सिरप न दें।
बच्चों में खांसी-बुखार होने पर सरकारी अस्पताल जाएं।
यदि बच्चा 6 घंटे तक पेशाब न करे, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
ओवर-द-काउंटर सिरप खरीदने से बचें।
एंटीबायोटिक भी केवल डॉक्टर के पर्चे पर लें। 

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Wed, 01 Oct 2025 16:56:16 +0530 newsmpg
Luxury athleisure brand Athletifreak launches first store in Delhi; backed by Shahid Kapoor and Mira Kapoor https://newsmpg.com/luxury-athleisure-brand-athletifreak-launches-first-store-in-delhi-backed-by-shahid-kapoor-and-mira-kapoor https://newsmpg.com/luxury-athleisure-brand-athletifreak-launches-first-store-in-delhi-backed-by-shahid-kapoor-and-mira-kapoor Fri, 19 Sep 2025 17:07:51 +0530 newsmpg Running beyond limits | UTMB 2025: Guntur’s Viswabharath Allamsetti on his journey to finishing world’s toughest ultramarathon https://newsmpg.com/running-beyond-limits-utmb-2025-gunturs-viswabharath-allamsetti-on-his-journey-to-finishing-worlds-toughest-ultramarathon https://newsmpg.com/running-beyond-limits-utmb-2025-gunturs-viswabharath-allamsetti-on-his-journey-to-finishing-worlds-toughest-ultramarathon Fri, 19 Sep 2025 17:07:51 +0530 newsmpg कोविड संक्रमण के तीन साल बाद भी दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा, शोध में चौंकाने वाले खुलासे https://newsmpg.com/covid-heart-risk-3years-study-india-focus https://newsmpg.com/covid-heart-risk-3years-study-india-focus Health Desk @Newsmpg...एक ताजा अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में सामने आया है कि कोविड-19 संक्रमण सिर्फ उस वक्त ही नहीं, बल्कि उसके तीन साल बाद तक भी दिल का दौरा (हार्ट अटैक), स्ट्रोक और मौत का खतरा बढ़ा सकता है। यह खतरा उन लोगों में भी पाया गया जिनका पहले से हृदय रोग से कोई संबंध नहीं था।

यह अध्ययन अमेरिका के अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की पत्रिका आर्टेरियोस्क्लेरोसिस, थ्रोम्बोसिस एंड वैस्कुलर बायोलॉजी (ATVB) में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने यूनाइटेड किंगडम (यूके) के करीब 10,000 कोविड संक्रमित वयस्कों का तीन वर्षों तक विश्लेषण किया। तुलना के लिए 2 लाख से ज्यादा गैर-संक्रमित वयस्कों के डेटा को भी शामिल किया गया।

???? मुख्य निष्कर्ष:

  • कोविड संक्रमित लोगों में दिल का दौरा, स्ट्रोक और मौत का खतरा दोगुना पाया गया।

  • जिन्हें कोविड के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, उनमें यह खतरा चार गुना तक बढ़ गया।

  • गैर-O रक्त समूह (A, B, AB) वाले लोगों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा O ग्रुप वालों की तुलना में 65% ज़्यादा देखा गया।

  • पहले से हृदय रोग या मधुमेह से पीड़ित लोगों में कोविड के बाद हृदय संबंधी खतरा 21% ज्यादा बढ़ा।

गंभीर संक्रमण = ज़्यादा खतरा

अध्ययन में यह भी बताया गया कि जिन्हें कोविड के कारण ICU या अस्पताल में भर्ती किया गया था, उनमें लंबे समय तक दिल की बीमारियों का खतरा ज्यादा बना रहा। यह जोखिम टाइप 2 डायबिटीज़ और परिधीय धमनी रोग जैसे हृदय के पारंपरिक जोखिमों के बराबर था।

क्या कहता है ब्लड ग्रुप?

शोध में पाया गया कि O रक्त समूह वाले लोगों में जोखिम अपेक्षाकृत कम रहा, जबकि A, B और AB ब्लड ग्रुप वालों में यह खतरा ज्यादा था। हालांकि Rh फैक्टर (पॉजिटिव या नेगेटिव) के कोई स्पष्ट प्रभाव नहीं पाए गए।

विशेषज्ञों की राय:

यूएससी केक स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ता जेम्स हिल्सर ने कहा,

“यह समझना जरूरी है कि कोविड-19 का प्रभाव बीमारी के बाद भी बना रह सकता है, और गंभीर मामले लंबे समय तक हृदय पर असर डाल सकते हैं।”

वहीं, क्लीवलैंड क्लिनिक के डॉ. स्टेनली हेज़न ने कहा,

“कोविड संक्रमण के दीर्घकालिक असर को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। इससे दुनियाभर में हृदय रोग के मामलों में बढ़ोतरी की वजह समझी जा सकती है।”

क्या मायने?

भारत में करोड़ों लोग कोविड संक्रमण से गुज़रे हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर यह जरूरी हो जाता है कि:

  • पूर्व कोविड मरीजों की नियमित कार्डियक जांच हो।

  • ब्लड ग्रुप को ध्यान में रखते हुए विशेष सावधानी बरती जाए।

  • जो लोग अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं, वे खुद को हाई रिस्क ग्रुप में मानेंCourtesy _ National Institute of Health And American Heart Association.

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Thu, 31 Jul 2025 17:24:04 +0530 newsmpg
Head to Mamallapuram to catch surfers in action at the ASF Asian Surfing Championships 2025 https://newsmpg.com/head-to-mamallapuram-to-catch-surfers-in-action-at-the-asf-asian-surfing-championships-2025 https://newsmpg.com/head-to-mamallapuram-to-catch-surfers-in-action-at-the-asf-asian-surfing-championships-2025 Thu, 31 Jul 2025 15:56:05 +0530 newsmpg The Bhag Club that runs for fun; turns one https://newsmpg.com/the-bhag-club-that-runs-for-fun-turns-one https://newsmpg.com/the-bhag-club-that-runs-for-fun-turns-one Thu, 31 Jul 2025 15:56:05 +0530 newsmpg सर्दी का मौसम बढ़ा देता है इंटीमेट हाइजीन के लिए जोखिम, जानिए कैसे करना है यूटीआई से बचाव https://newsmpg.com/सरद-क-मसम-बढ़-दत-ह-इटमट-हइजन-क-लए-जखम-जनए-कस-करन-ह-यटआई-स-बचव https://newsmpg.com/सरद-क-मसम-बढ़-दत-ह-इटमट-हइजन-क-लए-जखम-जनए-कस-करन-ह-यटआई-स-बचव सर्दी के मौसम में आमतौर पर लोग अधिक आलस महसूस करते हैं, ठंड की वजह से वे किसी भी काम को करने के पहले चार बार सोचते हैं। इस दौरान अधिकांश लोग हाइजीन के प्रति भी लापरवाह हो जाते हैं। अधिक ठंड होने की वजह से कई बार हम अपनी नियमित गतिविधियों के साथ टालमटोल करना शुरू कर देते हैं। हमारी यह लापरवाही सबसे पहले इंटिमेट एरिया को प्रभावित करती है। यही वजह है कि विंटर सीजन में यूटीआई का जोखिम और भी ज्यादा बढ़ जाता है। यहां एक स्त्री रोग विशेषज्ञ से जानते हैं इसका कारण और बचाव (Tips to avoid UTI in winter season) के उपाय।

वेजाइनल हाइजीन और विंटर सीजन (Vaginal hygiene in winter season)

सर्दी के मौसम में पसीना नहीं आता जिसकी वजह से महिलाएं रिलैक्स हो जाती हैं और उन्हें लगता है कि बार-बार अंडर गारमेंट्स बदलने की आवश्यकता नहीं है। वहीं कुछ महिलाएं ऐसे सोचती हैं, कि एक दिन यदि वेजाइना को वॉश न किया जाए तो कोई परेशानी नहीं होगी, परंतु यह एक गलती सीधे यूईआई का कारण बन सकती है।

सर्दी ड्राई सीजन है और इस दौरान वेजाइना पहले से ही ड्राई होती है। जिसकी वजह से आपकी छोटी सी भी लापरवाही बैक्टीरिया और वायरस को अट्रैक्ट कर सकती है। ऐसे में सर्दियों में भी सभी को वेजाइनल हेल्थ को लेकर सचेत रहने की आवश्यकता होती है। तो चलिए जानते हैं, इस मौसम किस तरह अपनी इंटिमेट हेल्थ का ध्यान रखना है और खुद को यूटीआई से प्रोटेक्ट करना है।

vaginal care ke baare me jaanen
नार्मल वेजाइनल pH 3.8 से 5.0 के बीच होता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

हेल्थ शॉट्स ने इस बारे में फोर्टिस एस्कोर्ट्स, फरीदाबाद की सीनियर ऑब्सटेट्रिशियन और गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर नीति कौतिश से बात की। डॉ नीति ने सर्दियों में यूटीआई से प्रोटेक्शन के कुछ खास टिप्स दिए हैं, तो चलिए जानते हैं आखिर कैसे रखना है वेजाइना का ख्याल।

यहां जानें विंटर में यूटीआई को अवॉइड करने के कुछ खास टिप्स

1. पुरी तरह से हाइड्रेटेड रहें

ठंड के मौसम में सबसे बड़ी गलती जो हम सभी करते हैं, वे है पानी न पीना। सर्दियों में प्यास कम लगती है, जिसकी वजह से लोग कम मात्रा में पानी पीते हैं। वहीं कुछ लोग पानी का सेवन बेहद सीमित कर लेते हैं, जिसकी वजह से उनमें तमाम स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। खासकर डिहाइड्रेशन की वजह से महिलाओं में यूटीआई होने का खतरा बढ़ जाता है।

इस स्थिति को अवॉयड करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिए और अपने बॉडी को हाइड्रेटेड रखें। उचित मात्रा में पानी पीने से ब्लैडर में बैक्टीरिया का ग्रोथ नहीं होता और अनचाहे बैक्टीरियल ग्रोथ को फ्लश आउट करने में भी मदद मिलती है। इसके अलावा यह बॉडी से टॉक्सिक सब्सटेंस को बाहर निकाल देते हैं जिससे कि शरीर में किसी प्रकार के अनहेल्दी बैक्टीरिया का ग्रोथ नहीं होता। पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं और खुद को हाइड्रेटेड रखें।

2. लंबे समय तक यूरिन को होल्ड न करें

बहुत से लोगों में यूरिन होल्ड करने की आदत होती है। खास कर सर्दियों में लोग वॉशरूम जाने के आलस में लंबे समय तक पेशाब को रोके रहते हैं, जिसकी वजह से ब्लैडर में हानिकारक बैक्टीरिया का ग्रोथ बढ़ सकता है। वहीं ये यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन का कारण बनता है। यदि आप ऐसी किसी भी परेशानी को बुलावा नहीं देना चाहती हैं, तो सर्दियों में भी वॉशरूम जाने में आलस न करें। यूरिन पास करने की इच्छा होने पर फौरन ब्लैडर खाली कर दें, ताकि किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

post sex hygiene
आपकी छोटी सी भी लापरवाही बैक्टीरिया और वायरस को अट्रैक्ट कर सकती है। चित्र:शटरस्टॉक

3. प्रॉपर हाइजीन मेंटेन करें

सर्दियों में अक्सर महिलाएं हाइजीन के प्रति लापरवाही बरतना शुरू कर देती हैं, जिसकी वजह से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में बिना आलस के सर्दियों में भी अपनी पैंटी को कम से कम दो बार जरूर बदलें। हर बार यूरिन पास करने के बाद वेजाइना को टिशु से ड्राई करना न भूले। सर्दी का मौसम है, तो आप नियमित रूप से हॉट शावर लें और अपनी इंटिमेट एरिया को माइल्ड सोप से अच्छी तरह से साफ करें। ध्यान रखें कि गुनगुने पानी में 15 मिनट से अधिक समय न बिताएं अन्यथा बैक्टीरियल ग्रोथ का खतरा बढ़ जाता है।

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4. वेजाइना को मॉइश्चराइज करें

सर्दियों में वेजाइना ड्राई हो जाती है, जिसकी वजह से इचिंग और इन्फेक्शन का खतरा बना रहता है। इन स्थितियों से बचने के लिए वेजाइना को मॉइश्चराइज रखें। इसके लिए एंटीबैक्टीरियल और एंटी इन्फ्लेमेटरी गुणों से भरपूर कोकोनट ऑयल का इस्तेमाल कर सकती हैं। कोकोनट ऑयल की 4 से 5 बंदे आपकी वेजाइना को अच्छी तरह से मॉइश्चराइज रहने में मदद करेंगी।

हालांकि, आजकल बाजार में तरह-तरह के वेजाइनल क्रीम्स उपलब्ध है, जिन्हें भूल कर भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इन्हें बनाने में केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो आपकी वेजाइना को मॉइश्चराइज करने की जगह इन्हें बैक्टीरिया और वायरस का घर बना देते हैं। इसलिए इन बातों का ध्यान जरूर रखें।

Vagina ko healthy rakhne ke liye yeh tips karein follow
योनि के लिए फायदेमंद है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

5. कॉटन के अंडरगारमेंट्स पहने

सर्दियों में महिलाएं वूलन और टाइट बॉटम वेयर पहनती हैं, ताकि ठंड से बचा जा सके। वहीं इस दौरान पसीना नहीं आता इसलिए कई महिलाएं कॉटन के अंडरवियर नहीं पहनती है। यह महिलाओं के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। गर्मी हो या सर्दी वेजाइना को हर मौसम पर्याप्त हवा की आवश्यकता होती है और उनकी त्वचा को भी खुलकर सांस लेने की आजादी मिलनी चाहिए। इसके लिए पूरे दिन वूलन और टाइट कपड़े पहन कर न रहे, कुछ देर ढीले और लूज कपड़े भी पहने। साथ ही सर्दी के मौसम में भी कॉटन के ढीले ढाले अंडर गारमेंट्स पहनना जरूरी है।

6. डाइट में शामिल करें विंटर सुपरफूड्स

विंटर सुपरफूड्स जैसे कि संतरा, विटामिन सी का एक समृद्ध स्रोत है, यह इम्यूनिटी को बढ़ावा देता है और यूरिन में एसिड के स्तर को सामान्य रखता है। इससे इंफेक्शन फैलाने वाले बैक्टीरिया का ग्रोथ सीमित रहता है, इसके अलावा गाजर और स्वीट पोटैटो आदि में भी महत्वपूर्ण विटामिन और मिनरल पाए जाते हैं जो सेहत को कई महत्वपूर्ण फायदे प्रदान करते हैं।

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Wed, 20 Dec 2023 14:38:13 +0530 newsmpg
Mango Leaves: इस गर्मी आम ही नहीं इसकी पत्तियों का भी लीजिए स्वाद, डायबिटीज से लेकर पेट के लिए होती हैं बेहद फायदेमंद https://newsmpg.com/mango-leaves-इस-गरम-आम-ह-नह-इसक-पततय-क-भ-लजए-सवद-डयबटज-स-लकर-पट-क-लए-हत-ह-बहद-फयदमद https://newsmpg.com/mango-leaves-इस-गरम-आम-ह-नह-इसक-पततय-क-भ-लजए-सवद-डयबटज-स-लकर-पट-क-लए-हत-ह-बहद-फयदमद Mango Leaves Uses: गर्मी के दिनों में सबसे ज्यादा आम खाया जाता है. इस मौसम में आम की कई वैरायटी का लोग लुत्फ उठाते हैं. यह स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है ये तो सभी को पता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आम की पत्तियों के ढेर सारे फायदे होते हैं. अभी तक आपने आम के पत्ते सिर्फ पूजा में शामिल किए होंगे. लेकिन आम के पत्ते खाने से कई बीमारियों से छुटकारा मिल सकता हैं. इस पत्ते में कई सारे पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. आम के पत्ते में विटामिन सी, बी और ए होता है. तो चलिए आज इस आर्टिकल में हम बताएंगे आम खाने के अलावा इसके पत्ते खाने से आपको क्या-क्या फायदा होता है. साथ ही किन बीमारियों में यह फायदा करता है. 

इस गर्मी आम ही नहीं इसकी पत्तियों का भी लीजिए स्वाद

आम की पत्तियों में फ्लेवेनॉइड और फेनोल जैसे एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, इसीलिए यह ब्लड वेसल को मजबूत करने में मददगार साबित होती है. जिन लोगों को ब्लड प्रेशर लेवल की समस्या रहती हैं उनके लिए आम के पत्ते काफी फायदेमंद होते है. साथ ही आम की पत्तियों में एंथोसायनिडिन नामक टैनिन होता है, जिस वजह से ये पत्तियां डायबिटीज रोगियों के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है. इसका सेवन करने के लिए आप आम की पत्तियों को सुखाकर इसका पाउडर बना लें और रोजाना इसका सेवन करें. कुच दिनों में आपको काफी फायदा दिखने लगेगा. डायबिटीज मरीजों के लिए आम के पत्तों का पानी भी अच्छा रहता हैं.

डायबिटीज से लेकर पेट के लिए आम के पत्ते हैं बेहद फायदेमंद

हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में आम की पत्तियां लाभदायक होती है. आम की पत्तियों में हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने की शक्ति होती है. जो लोग दवाई खाते हैं उनके लिए ये बेस्ट उपचार है. बस आपको आम के पत्तों को उबाल लें. फिर इसका एक काढ़ा तैयार कर लें. रोजाना इसका सेवन करें. यह काढ़ा ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है. जिन लोगों को पेट से संबंधित कई समस्या रहती हैं उनसे भी आम के पत्ते छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं. बस आप रात में आम के पत्तों को भिगोकर रख दें फिर सुबह उस पानी को पी लें. ऐसा करने से पेट की समस्याओं में आपको काफी राहत मिल सकती हैं. आम की पत्तियां किडनी स्टोन से छुटकारा दिलाने में भी बहुत कारगर हैं. 

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

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Sun, 19 Mar 2023 15:27:11 +0530 newsmpg
Breast Cancer: महिलाओं के लिए जरूरी जानकारी, ब्रेस्ट कैंसर से बचने और इसके इलाज के दौरान नहीं खानी चाहिए ये चीजें https://newsmpg.com/breast-cancer-महलओ-क-लए-जरर-जनकर-बरसट-कसर-स-बचन-और-इसक-इलज-क-दरन-नह-खन-चहए-य-चज https://newsmpg.com/breast-cancer-महलओ-क-लए-जरर-जनकर-बरसट-कसर-स-बचन-और-इसक-इलज-क-दरन-नह-खन-चहए-य-चज Breast Cancer Prevention: महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. आपको बता दें कि ब्रेस्ट कैंसर पुरुषों में भी होता है लेकिन महिलाओं की तुलना में ऐसे केस काफी कम देखने को मिलते हैं. पुरुषों में जैसे प्रोस्टेट कैंसर का खतरा अधिक होता है, इसी तरह महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कैंसर के अन्य प्रकारों की तुलना में अधिक होता है.

जिस तेजी से महिलाओं की जीवनशैली यानी लाइफस्टाइल बदली है, उसने इस बीमारी को अधिक फैलाने का काम किया है. आपको जरूर पता होना चाहिए कि किन चीजों को खाने से यह समस्या बढ़ जाती है या ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही यह भी जानना जरूरी है कि एक बार यदि बीमारी कंफर्म हो जाए तो अपनी डायट में तुरंत क्या बदलाव करना है.

ब्रेस्ट कैंसर के कारण (Cause of breast Cancer)?
कैंसर के ज्यादातर प्रकारों पर जो बात लागू होती है, वह ब्रेस्ट कैंसर पर भी प्रमुखता से लागू होती है. यानी अनुवांशिकता. यदि परिवार या पुरानी पीढ़ी में किसी को यह बीमारी रही है तो नई पीढ़ी की महिलाओं में भी इसके होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.

  • मोटापे के कारण भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
  • गलत लाइफस्टाइल यानी खान-पान और सोने-जागने संबंधी लापरवाहियों के चलते ब्रेस्ट कैंसर को बढ़ाने वाले कारण ट्रिगर हो रहे हैं.
  • जिन महिलाओं की बचपन में या टीनऐज में रेडिएशन संबंधी कोई इलाज हुआ होता है, उनमें भी इसकी आशंका बढ़ जाती है.
  • जिन बच्चियों के पीरिड्स 12 साल की उम्र से पहले शुरू हो जाते हैं, उनमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है.
  • जो महिलाएं 30 साल की उम्र के बाद अपने पहले बच्चे को जन्म देती हैं, उनमें भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा अधिक होता है.
  • जो महिलाएं कभी प्रेग्नेंट नहीं होतीं, उनमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बहुत अधिक होता है.

ब्रेस्ट कैंसर का पता चलने पर क्या ना खाएं?

यदि जांच के दौरान ब्रेस्ट कैंसर होने की पुष्टि हो जाए तो रोगी को तुरंत अपनी डायट से कुछ चीजों को पूरी तरह हटा देना चाहिए. ताकि समस्या और अधिक ना बढ़े...

  • चाय और कॉफी की तरह कैफीन युक्त सभी चीजों को अपनी डेली डायट से एकदम हटा दों.
  • पैकेट में आने वाले फूड्स का सेवन ना करें. घर का बना ताजा खाना खाएं.
  • ऑइली फूड, डीप फ्राइड और मसाले युक्त भोजन का सेवन बहुत ही कम कर दें. बेहतर होगा कि यदि आप इसे लेना बंद कर दें.
  • मैदा से बने फूड्स से दूर रहें. ऐसा इसलिए क्योंकि इनके सेवन से डायजेस्टिव सिस्टम स्लो होता है, कॉन्स्टिपेशन बढ़ता है. ऐसा होने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर बुरा असर पड़ता है और बीमारी शरीर पर अधिक हावी होती है.
  • उन अंडो का सेवन ना करें जो पूरी तरह ना उबले हों या पुराने हों. यहां क्लिक करके जानें के पुराने और नए अंडे की पहचान कैसे की जाती है.
  • शराब का सेवन पूरी तरह बंद कर दें. सॉफ्ट ड्रिंक्स के नाम पर बाजार में मिलने वाली अन्य ड्रिंक्स का सेवन भी फिलहाल आपके लिए अच्छा नहीं है.
  • पुराने या अधपके मीट का सेवन बिल्कुल ना करें. ये आपकी समस्या को गंभीर बनाने का काम कर सकता है.
  • हाइजीन का अधिक ध्यान रखें. खासतौर पर खान-पान के दौरान ऐसी चीजों का सेवन करने से बचें, जिनके पुराने या बासी होने का डाउट हो. फल-सब्जियां अच्छी तरह धोकर ही उपयोग में लें. 
  • ऐसा कोई काम ना करें, जिससे आपकी तबीयत खराब हो जाए या फीवर जैसी समस्या हो. क्योंकि आपका शरीर पहले से कमजोर है, ऐसी कोई भी स्थिति आपके शरीर के लिए मुसीबतें बढ़ाने का काम करेगी. इसलिए बहुत ठंडी चीजों का सेवन करने से भी बचें.


ब्रेस्ट कैंसर की सर्जरी के बाद क्या खाएं?

  • प्रोटीन है बेहद जरूरी: ब्रेस्ट कैंसर के लिए जब सर्जरी की जाती है तो इसके बाद रिकवरी के लिए शरीर को अच्छी मात्रा में प्रोटीन की जरूरत होती है. क्योंकि कीमो थेरपी और रेडिएशन थेरपी के दौरान भी शरीर काफी कमजोरी महसूस करता है. ऐसे में शरीर को एनर्जी के लिए और नई कोशिकाओं के निर्माण के लिए भी अच्छी मात्रा में प्रोटीन चाहिए होता है. इसलिए आप अपनी डायट में अंडा, पनीर, दही, लो फैट मिल्क, ड्राई फ्रूट्स, दालें और सोया शामिल करें.
  • फाइबर और ऐंटिऑक्सीडेंड्स: अंगूर, किशमिश और मुनक्का में बहुत अच्छी मात्रा में ऐंटिऑक्सिडेंट्स पाए जाते हैं. साथ ही ये फाइबर से भी भरपूर होते हैं और नैचरल शुगर से भी. इस कारण इनका सेवन आपके शरीर को पोषण देने के साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी बढ़ोतरी करता है. 
  • अंजीर और केसर जरूर खाएं: कैंसर के इलाज के दौरान और इसके बाद दोनों ही समय पर आप को जिन चीजों का सेवन करना है, इनमें केसर और अंजीर प्रमुखता से शामिल हैं. अंजीर फ्लेवोनॉइड से भरपूर होने के कारण शरीर की अंदरूनी सूजन को दूर करने और कोशिकाओं में रक्त का प्रवाह बढ़ाने में बहुत मदद करता है. केसर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और कई फायदे देती है. खास बात यह है कि केसर और अंजीर दोनों में ही कैंसर विरोधी गुण पाए जाते हैं. यानी ये कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकते हैं.
  • हल्दी और दालचीनी का सेवन: कैंसर के इलाज के दौरान और इलाज के बाद आपको हल्दी और दालचीनी इन दोनों मसालों का सेवन जरूर करना चाहिए. ये दोनों ही ऐंटिइंफ्लामेट्री, ऐंटिबैक्टीरियल, ऐंटी-कैंसर गुणों से भरपूर होती हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करती हैं.
  • मेथीदाना और जीरा: अपनी डेली डायट में आप मेथीदाना और जीरे का सेवन जरूर करें. हालांकि भारतीय घरों में इन दोनों ही मसालों का उपयोग होता है. लेकिन कैंसर के इलाज के दौरान और बाद में आपको हर दिन सीमित मात्रा में इनका सेवन करना चाहिए.

 

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. 

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Tue, 15 Nov 2022 15:19:47 +0530 newsmpg
UTI Problem: यूटीआई के मरीज इन चीजों को खाने से बचें, बढ़ सकती है मुसीबत https://newsmpg.com/uti-problem-यटआई-क-मरज-इन-चज-क-खन-स-बच-बढ-सकत-ह-मसबत https://newsmpg.com/uti-problem-यटआई-क-मरज-इन-चज-क-खन-स-बच-बढ-सकत-ह-मसबत Sun, 16 Oct 2022 15:45:29 +0530 newsmpg Kids Eyesight: बच्चों का चश्मा हटाने के लिए खिलाएं ये 5 चीजें, नजऱ हो जाएगी तेज https://newsmpg.com/kids-eyesight-बचच-क-चशम-हटन-क-लए-खलए-य-5-चज-नजर-ह-जएग-तज https://newsmpg.com/kids-eyesight-बचच-क-चशम-हटन-क-लए-खलए-य-5-चज-नजर-ह-जएग-तज Sun, 16 Oct 2022 15:45:29 +0530 newsmpg सबसे ज्यादा जान लेने वालीं 10 बीमारियां, लिस्ट में नंबर 1 वाली से हर तीसरा आदमी परेशान https://newsmpg.com/सबस-जयद-जन-लन-वल-10-बमरय-लसट-म-नबर-1-वल-स-हर-तसर-आदम-परशन https://newsmpg.com/सबस-जयद-जन-लन-वल-10-बमरय-लसट-म-नबर-1-वल-स-हर-तसर-आदम-परशन Most Deadliest Disease In The World: दुनिया में हर आदमी किसी ने किसी बीमारी से जूझता है. इनमें से कई बीमारियां समय के साथ ठीक हो जाती हैं, जबकि कई बीमारियां मौत का कारण बन जाती हैं. WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक हम आपको उन 10 बीमारियों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें हम 'मौत' की बीमारी कह सकते हैं, जिनकी वजह से सबसे ज्यादा लोगों की मौत होती है. जो लिस्ट हम आपको दे रहे हैं, उनमें से पहली बीमारी ऐसी है, जिससे दुनिया का हर तीसरा आदमी परेशान है. 

1. हार्ट की बीमारी
2. स्ट्रोक
3. क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज
4. लोवर रेस्पिरेटरी डिसीज
5. नियोनेटल कंडीशन
6. ब्रॉन्कस और लंग कैंसर
7. अल्जामर-डिमेंशिया
8. डायरिया
9. डायबिटीज
10. किडनी की बीमारी

दिल की बीमारियों का सबसे ज्यादा योगदान
पिछले कुछ दिनों में दिल की बीमारियों हार्ट अटैक पर काफी बात हुई है. ऑफिशियल डेटा तो है नहीं, पर एक अनुमान के मुताबिक हर साल डेढ़ से 2 करोड़ लोग भारत में दिल की बीमारी के कारण जान गंवाते हैं. अगर पूरी दुनिया को लेकर बात करें तो हर साल दो से ढाई करोड़ लोग हर साल कार्डिवस्कुलर डिसीज (हृदय रोग) के कारण मर जाते हैं.

डायबिटीज और किडनी की बीमारी
चूंकि ये लिस्ट दुनियाभर की स्टडी के आधार पर तैयार हुई है. लेकिन अगर भारत की बात करें तो डायबिटीज और किडनी की बीमारी के कारण हर यहां लाखों लोग अपनी जान गंवाते हैं. भारत में हर साल करीब 2.5 लाख लोग डायबिटीज के कारण अपनी जान गंवाते हैं. खासकर कोविड के दौरान डायबिटीज से मरने वालों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा. भारत में होने वाली कुल मौतों में डायबिटीज कि हिस्सेदारी 40 प्रतिशत तक हो गई है.

अच्छी न्यूज- एड्स-टीबी से मौतें घटीं
- 20 साल पहले दुनियाभर में होने वाली मौतों के मामले में HIV/एड्स 8वें नंबर पर था, जो अब 20वे स्थान पर पहुंच चुका है.
- टीबी अब दुनिया की 10 बड़ी बीमारियों में शामिल नहीं है. टीबी के मरीजों और टीबी से होने वाली मौतों में काफी ज्यादा कमी आई है.

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Thu, 06 Oct 2022 18:18:23 +0530 newsmpg
Alzheimers Treatment: क्या वाकई बन गई है अल्जाइमर की दवाई? नवंबर में होगा खुलासा https://newsmpg.com/alzheimers-treatment-कय-वकई-बन-गई-ह-अलजइमर-क-दवई-नवबर-म-हग-खलस https://newsmpg.com/alzheimers-treatment-कय-वकई-बन-गई-ह-अलजइमर-क-दवई-नवबर-म-हग-खलस Treatment for Alzheimers: बढ़ापे में होने वाले मानसिक रोग अल्जाइमर की अब तक कोई ऐसी दवाई नहीं है, जिससे इस रोग को बढ़ने से रोका जा सके या पूरी तरह ठीक किया जा सके. हालांकि अब इस बारे में उम्मीद की एक नई किरण जगी है. अल्जमाइमर रोग की दवाओं को पर शोध करने वाली कंपनी बायोजेन और अन्य पार्टनर्स की तरफ से इस दिशा में लगातार काम किया जा रहा है.

अब ताजा रिसर्च में जिस तरह के मामले सामने आए हैं, उनसे उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही लाइलाज माने जाने अल्जाइमर रोग की दवाई भी मार्केट में आना संभव है. पिछले दिनों जापान की कंपनी आइसाई (Eisai Co.) की तरफ से इस बारे में जानकारी दी गई. 

कंट्रोल हो सकेगी बीमारी

आइसाई की तरफ से कहा गया है कि अल्जाइमर की दवाओं पर चल रहे शोध के अंतिम चरण में यह बात सामने आई है कि कुछ खास दवाओं के माध्यम से अल्जामर के बढ़ने की दर को कम किया जा सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि अल्जाइमर बीमारी की शुरुआत में ही इन दवाओं का सेवन किया जाए तो इस बीमारी के घातक बनने की स्पीड को बहुत हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. हालांकि इस बारे में अधिक जानकारी अभी नहीं दी गई है और डिटेल्स के साथ इस रिसर्च को नंबर के अंत में पब्लिश करने की तैयारी है. तभी इसके बारे में अधिक जानकारी को सार्वजनिक किया जाएगा. 

18 महीने में दिखा ऐसा रिजल्ट

शोध के दौरान दवाओं का उपयोग अल्जाइमर के ग्रसित 1 हजार 8 सौ लोगों पर किया गया. ये सभी अल्जाइमर के प्रथम चरण (Early-stage alzheimer) से ग्रसित मरीज हैं. रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि इन दवाओं के उपयोग से मरीज की सेहत की गिरावट में 27 प्रतिशत तक की कमी आई है. दवाएं शुरू करने के बाद 18 महीने तक इनके असर को देखा गया और अब तक अल्जाइमर के लिए दी जा रही दवाओं के असर के साथ इनका क्लिनिकल इवेल्यूएशन किया गया.

आपको बता दें कि मेंटल हेल्थ और इससे संबंधि बीमारियों के स्तर को नापने के लिए डॉक्टर्स के अपने मेडिकल पैरामीटर्स होते हैं, जिनके आधार पर स्केलिंग करके रोगी की सेहत में सुधार या गिरावट का पता लगाया जाता है. आइसाई का कहना है कि नंबर के आखिर तक इस शोध को मेडिकल जर्नल में प्रकाशित कर दिया जाएगा. साथ ही दवाओं से जुड़ी जरूरी जानकारियों को भी सार्वजनिक कर दिया जाएगा.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. 

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Sat, 01 Oct 2022 15:22:11 +0530 newsmpg
बारिश में करना है स्वीमिंग तो रखें ये सावधानी  https://newsmpg.com/if-you-are-fond-of-swimming-then-you-should-read-the-story-because-precaution-is-better-than-cure https://newsmpg.com/if-you-are-fond-of-swimming-then-you-should-read-the-story-because-precaution-is-better-than-cure
रतलाम। मौसम में धीरे से करवट आ रही है। गर्मी से अब सर्दी की ओर मौसम आ रहा है, ऐसे में तैराकी करने वालों को ध्यान रखना चाहिए। 
स्विमिंग पूल के पानी में तैरने वाला इंफेक्शन आपको कई तरह की बीमारियां दे सकता है। खासकर बारिश में। ऐसे में स्वस्थ रहने के लिए आपकों सतर्कता रखना चाहिए। आपको पब्लिक स्विमिंग पूल में स्विमिंग करने के साइड इफेक्ट और उनसे बचने के तरीके के बारे में जानना जरूरी है। किसी भी सार्वजनकि स्वीमिंग पुल के पानी में बहुत सारे बैक्टीरिया होते हैं। इन्हें मारने के लिए क्लोरीन का उपयोग किया जाता है। क्लोरीन एक बेहद शक्तिशाली केमिकल रसायन है। इसके कारण कई बार स्किन पर रैशेज निकल आते हैं। क्लोरीन के कारण त्वचा पर लालिमा, सूजन और खुजली होने लगती है और अगर यह बढ़ता है तो यह एक्जिमा का रूप भी ले सकता है।


             फंगल इंफेक्शन का खतरा ज्यादा 

गर्मी और फिर बारिश में लोग सबसे ज्यादा फंगल इंफेक्शन के शिकार होते हैं।  स्विमिंग पूल में तैरते समय यह इंफेक्शन और भी बढ़ जाते हैं। घर्षण के कारण जहां हमारे शरीर में नमी अधिक होती है वहां फंगल इंफेक्शन हो जाता है। जैसे अन्डरआर्म, जांघ, स्तन के नीचे या पैर की उंगलियों और उंगलियों के बीच इसकी संभावना बढ़ जाती है। इसलिए स्विमिंग पूल में नहाते समय इन बातों का ध्यान रखें।

                 कीटाणु मारने के लिए सही हो पीएच 

किसी भी पानी में कीटाणुओं को मारने के लिए क्लोरीन का पीएच स्तर 7.2, 7.6 और 7.8 होना चाहिए। ये मात्रा शरीर को नुकसान भी नहीं पहुंचाती है। इसके अलावा क्लोरीन की सही मात्रा ई-कोलाई जैसे बैक्टीरिया को कुछ ही मिनटों में नष्ट कर देती है। हेपेटाइटिस ए वायरस 16 मिनट में, जिआर्डिया 45 मिनट में और क्रिप्टोस्पोरिडियम जैसे कीटाणु 10 दिनों में नष्ट हो जाते हैं।

ये उपाय भी अपनाएं :- 

--सनस्क्रीन सिर्फ सूरज की किरणों से ही नहीं बल्कि क्लोरीन वाटर से भी स्किन को प्रोटेक्ट करता है ऐसे में इसे लगाएं। 
--स्विमिंग पुल में जाने से पहले स्किन सेल्स का हाइड्रेटेड रहना बहुत ज्यादा जरुरी है। पानी में उतरने के पहले ही गुनगुने पानी से नहाना चाहिए और बाद में भी। इससे क्लोरीन का जो भी असर होगा वह खत्म हो जाएगा।
--सप्ताह में एक बार डीप बॉडी मसाज जरूर लेना चाहिए। 
--विटामिन सी का सेवन करने से त्वचा के लगभग सभी रोग दूर होते हैं। 
--दिन भर में इतना पानी पिएं कि आपकी त्वचा को नमी मिले। 

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Fri, 17 Jun 2022 17:59:04 +0530 newsmpg