क्या आप भी बच्चों को पिला रहे हैं खांसी की दवाई तो रुक जाएं, 15 दिन में गई 7 जान

MP और राजस्थान में जहरीली खांसी की दवा से मासूमों की मौत, कई बच्चे बीमार। जांच के आदेश, सभी बैच बैन। मध्यप्रदेश और राजस्थान में खांसी की संदिग्ध दवा पीने से कई बच्चों की मौत, दर्जनों बीमार। सरकार ने बैच बैन किए, NCDC-ICMR जांच में जुटे।

क्या आप भी बच्चों को पिला रहे हैं खांसी की दवाई तो रुक जाएं, 15 दिन में गई 7 जान
मध्यप्रदेश और राजस्थान में खांसी की संदिग्ध दवा पीने से कई बच्चों की मौत, दर्जनों बीमार। सरकार ने बैच बैन किए, NCDC-ICMR जांच में जुटे।

- दूषित कफ सिरप का कहर, इन 2 कंपनी को सिरप बेन

- मप्र और राजस्थान में एडवाईजरी जारी, जांच भी शुरु 

भोपाल/जयपुर, हेल्थ डेस्क। कहीं आप भी अपने बच्चे को खांसी की दवाई तो नहीं पिला रहे हैं, अगर हां, तो रुकिए, क्योंकि दूषित कफ सिरप बच्चों की जान ले रहा है। 
देशभर को हिला देने वाला मामला मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी पुष्ट हो चुका है। पांच साल से कम उम्र के इन बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हुई है। जांच में अब एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है— डॉक्टरों को संदेह है कि इन बच्चों को दिया गया कफ सिरप दूषित था। सिरप में जहरीला रसायन डायएथिलीन ग्लाइकॉल मिला होने की आशंका जताई गई है।

दूषित कफ सिरप पीने से दोनों राज्यों को मिलाकर कम से कम 7 बच्चों की मौत हो गई है जबकि एक दर्जन जिलों में कई बच्चे बीमार हैं। सबसे ज्यादा दुखद परिणाम मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में देखने को मिले हैं जहां कफ सिरप पीने से 6 बच्चों की मौत हो गई है। जबकि एक बच्चा राजस्थान के सीकर का है। ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ विभाग हरकत में आया है और फिलहाल दो कंपनियों के कफ सिरप पर पूरी तरह बैन लगा दिया गया है। 

कैसे शुरू हुआ मामला?

पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को छिंदवाड़ा से सामने आया था। उस समय एक बच्चे को बुखार और खांसी की शिकायत थी। डॉक्टरों ने सामान्य दवाओं के साथ कफ सिरप लिख दिया। कुछ दिनों तक हालात ठीक रहे, लेकिन अचानक पेशाब कम होना शुरू हुआ। 7 सितंबर को बच्चे की मौत हो गई। इसके से 20 सितंबर के बाद तक कई और बच्चों में यही लक्षण दिखे हैं, जिनमें से अब तक 6 बच्चों की मौत हो चुकी है।

खांसी-बुखार था, दवा के बाद रुकी पेशाब

इन बच्चों के परिजनों की बातों में समान है कि इन सभी को सर्दी, खांसी, जुकाम और कुछ को बुखार था। परंतु सिरप देने के बाद से पेशाब कम होता गया या रुक गया। अधिकांश बच्चों का इलाज अब शासकीय और निजी अस्पतालों में चल रहा है जहां विशेषज्ञों के अनुसार सभी की किडनी प्रभावित हुई हैं। जबकि 6 बच्चों को इलाज के बावजूद बचाया नहीं जा सका है। 

इन जिलों तक फैला कहर

मप्र स्वास्थ विभाग के अनुसार मामले छिंदवाड़ा के अलावा बेतूल, सिवनी, पांढुर्णा, हरदा तक में मिले है। एहतियातन, स्वास्थ्य विभाग ने संदिग्ध कफ सिरप पर रोक लगा दी है। इलके अलावा राजस्थान: सीकर में 5 वर्षीय बच्चे मौत हो चुकी है जबकि भरतपुर और श्रीमाधोपुर में भी बच्चे बीमार पड़े हैं। संयुक्त टीमों ने मध्यप्रदेश और राजस्थान दोनों राज्यों से सैंपल इकट्ठा किए हैं। राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉपोर्रेशन ने दवाई की 19 बैचों पर तुरंत बैन लगाया है। ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटी ने भी जांच शुरू कर दी है और सिरप के सैंपल सरकारी लैब में भेजे गए हैं।

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बायेप्सी से खुलासा

लगातार मामले सामने आने पर स्वास्थ विभाग ने छिंदवाड़ा में बच्चों की किडनी की बायोप्सी करवाई गई। इसके साथ ही ब्लड सैंपल जांच पुणे स्थित वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट में भेजे गए। इसके अलावा जिन गांवों में बच्चों की मौत हुई, वहाँ के पानी की जांच भी करवाई गई, लेकिन बाकि सब सामान्य पाया गया, लेकिन बायोप्सी में संकेत मिला कि किसी दवाई में दूषित पदार्थ बच्चों के शरीर में गया।  
इसके आधार पर आगे जांच की गई। 

ये दोनों सिरप बैन 

इसकी रिपोर्ट में दूषित केमिकल की आशंका सामने आने के बाद छिंदवाड़ा कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने जिÞले में बिक रहे दो ब्रांड— कॉल्ड्रिफ सिरप और नेकस्ट्रो डीएस सिरप की बिक्री पर पूर्णत: रोक लगाते हुए इसे जप्त करने के आदेश दिए हैं। साथ ही डॉक्टरों, मेडिकल स्टोर्स और अभिभावकों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। 

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी

प्रभावित जिलों में राज्य स्वास्थ्य विभाग की टीम भी प्रभावित गाँवों में डोर-टू-डोर सर्वे कर रही है। 
विशेषज्ञों का कहना है कि 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह कोई भी दवा या कफ सिरप न दें।
बच्चों में खांसी-बुखार होने पर सरकारी अस्पताल जाएं।
यदि बच्चा 6 घंटे तक पेशाब न करे, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
ओवर-द-काउंटर सिरप खरीदने से बचें।
एंटीबायोटिक भी केवल डॉक्टर के पर्चे पर लें। 

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