"गुजरात से मजदूरी कर लौटे पति पत्नी, लेकिन 51 हजार की थैली हुई गायब... फिर जो हुआ, वो गांव की कहानी बन गया! फिल्मी कहानी से भी रोचक बन गया सच्चा किस्सा"

"गुजरात से लौटे थे मजदूरी कर के... थैली गिरी और ज़िंदगी थम गई — लेकिन गांव के एक किसान ने वो किया जो आजकल कहानियों में ही होता है!"

Jul 23, 2025 - 21:25
Jul 23, 2025 - 22:50
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"गुजरात से मजदूरी कर लौटे पति पत्नी, लेकिन 51 हजार की थैली हुई गायब... फिर जो हुआ, वो गांव की कहानी बन गया! फिल्मी कहानी से भी रोचक बन गया सच्चा किस्सा"
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रतलाम/पिपलोदा@newsmpg।   रतलाम में कमाई नहीं मिली और उधारी चढ़ गई तो एक पति पत्नी गए थे। महीनों में पाई-पाई जोड़कर मेहनत की कमाई लेकर घर लौटे थे। उधारी लौटाने का रहे थे, लेकिन किस्मत को शायद एक और इम्तहान लेना था। मजदूरी के 51 हज़ार रुपये रास्ते में गुम हो गए। एक पल में आंखों के सामने जीवन बिखरता सा लगने लगा। पति-पत्नी की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे... तभी गांव के एक सादे किसान ने ऐसा काम किया जो आज के दौर में कोई सोच भी नहीं सकता।

इंसानियत आज भी जिंदा है — इसका उदाहरण रतलाम जिले की पिपलोदा तहसील के गांव नौलखा में देखने को मिला, जहां एक किसान ने सड़क पर गिरे 51 हज़ार रुपये लौटाकर मिसाल कायम की है।

उधारी, मजदूरी और खोई राशि 

दरअसल गांव की भोमाबाई नायक और उनके पति हरिराम नायक ने रिश्तेदार गुलाबबाई नायक से उधार लिया था। यहां काम नहीं मिलने पर उधारी के रुपए चुकाने के लिए दोनों मजदूरी करने के लिए गुजरात गए थे। कई महीनों की मेहनत मजदूरी के बाद उन्होंने 51 हज़ार रुपये इकट्ठे किए जो लेकर वो रतलाम लौटे। यहां आते ही बुधवार को 51 हज़ार उन्होंने एक छोटी सी कपड़े की थैली में रखे और गुलाबबाई नायक को उधारी चुकाने जा रहे थे। सुबह करीब 9 बजे जब वह गांव में रास्ते से गुजर रही थीं, तो अनजाने में थैली गिर गई, लेकिन दोनों काफी आगे निकल गए। 

किसान को मिली थैली

इसी दौरान गांव के वृद्ध किसान धन्नालाल नायक, जो खेत से अपने घर लौट रहे थे, उन्हें रास्ते में वो थैली मिली। उन्होंने थैली उठाई तो उसमें नोट देखकर समझ गए कि किसी के रुपए गिर गए हैं। रास्ते में कोई नहीं था, तो ऐसे में उन्होंने थैली घर ले जाकर सुरक्षित रख लिया।  उन्होंने परिजनों को बताया कि यदि किसी के रुपए गिरने की बात पता चले तो उन्हें सूचना दे।  

रोते हुए पहुंची, मुस्कुराने लगी

कुछ ही देर में रोते हुए भोमाबाई गांव पहुंचीं और अपने दुःख की कहानी पड़ोसियों को सुनाई। गांव में उनको थैली खोने की सूचना धन्नालाल जी को भी मिली। इसपर धन्नालाल जी ने उन्हें और उनके पति को बुलाया और पूरी बात पूछी और फिर 51 हज़ार रुपये की पूरी रकम से भरी थैली भोमाबाई को लौटा दी।

ठोस नैतिकता

उल्लेखनीय है कि धन्नालाल नायक जैसे लोग समाज में भरोसे और अच्छाई की मिसाल हैं। गांव में सोशल मीडिया, सीसीटीवी से दूर उन्होंने न केवल सतर्कता से राशि संभाली बल्कि आगे रहकर केवल ईमानदारी और सहानुभूति से लौटा दी। भोमाबाई और हरिराम ने कहा कि ऐसे व्यक्तित्व हमारे समाज की असली पूंजी हैं, जो दिखाते हैं कि इंसानियत और ईमानदारी आज भी ज़िंदा है।

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