रवि योग और दुर्लभ ग्रह संयोजन के साथ आज मनेगी आंवला नवमी -जानिए कौन से उपाय दिलवा सकते हैं लाभ

ग्रहों के योगी ने बढ़ाई महत्व। भगवान श्री हरी और माता लक्ष्मी का होगा पूजन । आवले का सेवन और पौधा लगाना गुणकारी।

रवि योग और दुर्लभ ग्रह संयोजन के साथ आज मनेगी आंवला नवमी -जानिए कौन से उपाय दिलवा सकते हैं लाभ
Auspicious yog on aanwala navmi

सनातन धर्म में कार्तिक मास की बड़ी महत्व है और इसमें भी शुक्ल पक्ष की नवमी का महत्व अत्यधिक है। इस बार तो अक्षय नवमी के दिन और भी शुभ संयोग बन रहा है। इस योग से इस दिन के पूजन, पाठ, दान का महत्व स्थाई और व्यापक होगा।

ज्योतिषी दुर्गेश शर्मा के अनुसार इस साल आखा, अक्षय, आंवला नवमी का पर्व रविवार 10 नवंबर को मनाया जाएगा। व्रत भी 10 नवंबर के दिन किया जायेगा। हालांकि नवमी तिथी का आरम्भ 09 नवम्बर शनिवार रात्रि 8:00 से होगा लेकिन नवम तिथि का समाप्ति 10 नवम्बर रविवार शाम करीब 08 बजे होगा।  

 *इन ग्रह योगों ने बढ़ाई महत्ता* 

सूर्य तुला राशि में संचरण करेंगें, मंगल कर्क राशि में,बुध वृश्चिक राशि में गुरु वृष राशि में शुक्र धनु राशि में शनि कुंभ राशि में बैठकर शशयोग का निर्माण हुआ है। राहु मीन राशि में केतू तुला राशि में चंद्रमा मीन राशि में संचरण करेंगें जिसे अक्षय नवमी बहुत प्रभावी बन गया है। साथ ही रवियोग भी 10 नवम्बर 2024 सुबह 10:59 से 06: 04 सुबह (11 नवंबर 2024 ) तक बनेगा।

श्री हरि लक्ष्मी करते हैं निवास

आंवला नवमी का का पूजन कार्तिक शुक्लपक्ष के नवमी तिथि को मनाया जाता है इस व्रत को कई नाम से जाना जाता है इन्हे अक्षय नवमी,आंवला पूजन, कुष्मांडा पूजन, धात्री पूजन के नाम से जाना जाता है।  देवउठनी एकादशी के दो दिन पहले अक्षय नवमी पड़ने के कारण भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। मान्यता है इस दिन जगत के पालनहार भगवन विष्णु स्वयं आंवले के पेड़ पर विद्यमान रहते हैं। इस दिन श्री हरि और मां लक्ष्मी की पूजा विस्तृत रूप से की जाती है। इस दिन जो भी कार्य करते है सब अक्षय होता है। अक्षय का मतलब कभी क्षय नहीं होना इसलिए दिन को बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन पूजन, हवन, धूप, अध्ययन, पाठ, सेवा, दान करने का महत्व पुराणों में बताया गया है।

अमृत तुल्य है आंवला, बुध, शुक्र से नाता

आंवले के पेड़ का नाता बुध और शुक्र ग्रह से है। वहीं, इसमें भगवान विष्णु और ब्रह्मा का वास माना गया है। वाला एक ऐसी औषधि है भी है जिसका सेवन अत्यधिक गुणकारी है। आवाले का फल धरती पर पाए जाने वाले सभी फलों में सर्वाधिक उपयुक्त कहा गया है। पुराणों में मान्यता है कि इसके नियमित सेवन से बुढ़ापा, बीमारियां, मानसिक संताप, शारीरिक कमजोरी तथा दुख सभी दूर रहते हैं। यह भी माना जाता है कि अवल के सेवन से बुध तथा शुक्र ग्रह मजबूत होते हैं और शत्रु ग्रहों के हानिकारक प्रभाव कम होते है। 

पेड़ लगाने से मिलता है अक्षय यश 

पुराणों में वर्णित है कि आंवले के पेड़ के पूजन, दर्शन, सेवन से लाभ मिलता है। परंतु इससे सहस्त्र गुना अधिक फल पेड़ लगाने से मिलता है। आंवले का पौधा अक्षय नवमी के दिन पूर्व या उत्तर दिशा में लगाना सबसे उत्तम है। आंवला रोपने से सैकड़ों पाप क्षमा हो जाते हैं।

-Religion desk@ newsmpg