मिशनरी हमसे डरती है, इस्लामिक राष्ट्र दे रहे मंदिर को सुरक्षा, राष्ट्र संत ने कहीं रतलाम में बड़ी बातें
Swami Vivek Sagar Ji of Swami Narayan samprday Akshardham visited Ratlam. Swami Ji said Sanatan Dharm and peace is gaining love and attention across the globe. Swami Ji also gave directions for the betterment of society to while talking to the media persons.
बी.ए.पी.एस. स्वामीनारायण संस्था के वरिष्ठ संत विवेकसागर जी ने किया रतलाम प्रवास
रतलाम। संत धर्म प्रचार के लिए आदिवासी क्षेत्रों में जाते हैं और उन्हें अपनी संस्कृति और धर्म के व्यापक रूप के बारे में बताते हैं तो वे भी तमाम परेशानियों के बाद भी आध्यात्म से जुड़ते हैं। मिशनरी हमें रोकती नहीं वे हमसे डरती हैं। डरने का आषय हिंसा के भय से नहीं कर्म के भय से हैं। हम प्रलोभन नहीं देते, हम संबल देते हैं। हमारे पंहुचने से उनका काम मुश्किल हो जाता है।
स्वामीजीनारण जी के पास सबसे बड़े शस्त्र थे, वे थे गुलाब और माला है। गुलाब प्रेम का प्रतीक और माला भक्ति का प्रतीक है। इस्लामिक देश ने भी शांति और प्रेम के संदेश और सेवा को देखकर मंदिरों के लिए स्वेच्छा से भूमि दान की है। मुस्लिम मूर्ति पूजा में नहीं मानते हैं, लेकिन वहां मंदिरों को नुकसान पंहुचाने पर सरकार ने कड़ी सजा के प्रावधान किए गए हैं। युनाईटेड अरब अमीरात के आबूधाबी में अक्षरधाम मंदिर वहीं के सहयोग से बना है। हाल ही में थाईलैंड में भी अक्षरधाम मंदिर का लोकार्पण हुआ है, जो सभी के लिए गर्व का विषय है। धर्म मानवमात्र के लिए होता है और इसका मूल मानवता ही है।
बी.ए.पी.एस. स्वामीनारायण संस्था के वरिष्ठ संत और अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक स्वामी विवेकसागर जी एक दिवसीय प्रवास पर मंगलवार को रतलाम पधारे। इस अवसर पर स्वामी जी ने मीडियाकर्मियों से विशेष चर्चा में सवालों के जवाब में यह बातें कहीं।
धर्म नहीं जीने का तरीके बदलें
स्वामीजी ने कहा कि व्यक्ति को जीवन सुधारने के लिए धर्म नहीं जिंदगी जीने का ढ़ंग बदलना चाहिए। स्वामीनारायणजी की सीख और संस्कारों पर चलते हुए संस्था के संत आज भरत भर में फैलकर सेवा कार्य कर ही रहे हैं। लंदन, अफ्रीका, आबू धाबी, थाईलेंड, यूरोप के कई देशों में भी न केवल अक्षरधाम मंदिर बन रहे हैं बल्कि एमबीबीएस, प्रोफेसर से लेकर वंचित आदिवासी, पीड़ित तक संत बनकर सेवा और आध्यात्म के साथ जुड़ रहे हैं। यह समाज को मानवता के एक पटल पर लाने के प्रयासों की सार्थकता है।
यूएन ने भी संस्था को दिया है सशक्त स्थान
स्वामी विवेकसागर जी ने कहा कि स्वामीनारायण संप्रदाय आदिवासियों, पीड़ितों, वंचितों की सेवा में लगा ही रहता है। इसी ध्येय के साथ प्रभु स्वामीनारायण ने अंग्रेजी हुकुमत काल में भी सतत कार्य किए। 2 लाख से भी ज्यादा आदिवासियों का जीवन बदला। विशेषकर गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान के क्षेत्र में घर-घर जाकर लोगों को व्यसन, पाप और लोभ से दूर रहकर सात्विक जीवन जीने की प्रेरणा देते रहे। स्वामीनारायण उनके प्रभाव को अंग्रेजी गर्वनर और सरकारों से भी माना था। वर्तमान में यूएन में भी संस्था को सशक्त स्थान दिया जाता है। संस्था वंचितों के इलाकों में संस्था अस्पताल, स्कूल बनवाने के साथ उन्हें प्रवचन और अन्य संबल प्रदान कर रही है।
55 देशों से अधिक की कर चुके यात्रा
उल्लेखनीय है संत विवेकसागर जी टैक्सटाइल्स इंजीनियर थे और उन्होंने संत योगीजी महाराज से दीक्षा ग्रहण की थी। उपनिषद, भागवत आदि शास्त्रों के मर्मज्ञ तथा पीएचडी तथा संस्कृत में डी-लीट भी हैं। स्वामीजी ने 30 से अधिक धार्मिक पुस्तकें लिखी हैं तथा देश विदेश में निरन्तर विचरण कर धर्म का प्रसार करते हंै। स्वामी जी विश्व के 55 देशों की यात्रा कर विचार रख चुके हैं तथा भारत में भ्रमण कर धर्म प्रचार करते रहते हैं। हाल ही में आबूधाबी में थाईलेंड में भी अक्षरधाम मंदिरों का निर्माण प्रारंभ हुआ है। रतलाम प्रवास के दौरान स्वामीजी ने विभिन्न धार्मिक आयोजनों के साथ गुजराती समाज विद्यालय में नवनिर्मित कक्षो के लोकार्पण किया। शाम को अजंता पैलेस में संत समागम में भी आशीर्वाद दिया।