“प्रभु श्रीराम के पदचिह्नों पर अब भक्त भी चलेंगे, मप्र के 23 जिलों में 650 करोड़ की राम पथ गमन योजना”

“मध्यप्रदेश में 650 करोड़ रुपये की श्रीराम पथ गमन योजना से चित्रकूट और ओरछा बनेंगे आध्यात्मिक व पर्यटन हब। श्रद्धालु पाएंगे नया अनुभव।” #MPTourism

“प्रभु श्रीराम के पदचिह्नों पर अब भक्त भी चलेंगे, मप्र के 23 जिलों में 650 करोड़ की राम पथ गमन योजना”
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भोपाल@newsmpg।    प्रभु श्री राम, माता जानकी और भ्राता लक्ष्मण जिस पथ पर चलकर अयोध्या वियोग होने पर चले थे, अब उसी पथ पर मध्यप्रदेश में उनके भक्त भी चलकर तपोस्थलियों के दर्शन कर सकेंगे। इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार लगभग 650 करोड़ रुपये की विशाल परियोजना को मूर्त रूप देने की तैयारी कर रही है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में कहा है कि अब समय आ गया है कि श्रीराम पथ गमन मार्ग, परिक्रमा पथ और श्रीराम राजा लोक परियोजना को भव्य स्वरूप दिया जाए।
डॉ. यादव ने स्पष्ट कहा – “हम चाहते हैं कि श्रद्धालु और पर्यटक यहां सिर्फ दर्शन न करें बल्कि एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव लेकर लौटें। अगर गंगा स्नान और आरती के साथ ही आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएँ भी उपलब्ध हों, तो चित्रकूट आध्यात्मिकता और स्वास्थ्य दोनों का नया संगम बन जाएगा।”

करोड़ों की योजनाओं का खाका-

श्रीराम गमन पथ योजना के तहत अलग-अलग स्थानों पर करोड़ों की योजनाएँ चल रही हैं:

  • चित्रकूट – स्वदेश दर्शन 2 योजना : ₹27.21 करोड़

  • कामदगिरि परिक्रमा मार्ग : ₹36.84 करोड़

  • भृगु कुंड (पन्ना) : ₹7.96 करोड़

  • अगस्त्य मुनि आश्रम : ₹3.95 करोड़

  • शरभंग आश्रम (सतना) : ₹0.92 करोड़ (92 लाख)

  • ओरछा (निवाड़ी जिला) – श्रीराम राजा लोक : ₹239.87 करोड़

  • अमरकंटक – प्रसाद योजना : ₹50 करोड़

  • चित्रकूट नगर परिषद और एमपीयूडीसी (पिछले 10 वर्ष) : ₹25.46 करोड़

  • चित्रकूट नगर परिषद – वर्तमान कार्य : ₹80.33 करोड़

  • चित्रकूट नगर परिषद – प्रस्तावित कार्य : ₹34.21 करोड़

  • लोक निर्माण विभाग – 34.30 किमी सड़कें : ₹117.79 करोड़

ट्रस्ट के 33 विद्वान और विशेषज्ञ

इन योजनाओं के लिए सरकार ने श्रीराम पथ गमन ट्रस्ट का गठन किया है। इसमें 33 सदस्य होंगे — 28 पदेन और 5 गैर-सरकारी। खास बात यह है कि गैर-सरकारी सदस्य वे विद्वान होंगे जो श्रीराम के जीवन और यात्राओं पर शोध कर चुके हैं। इसके अलावा 5 विशेषज्ञ भी नियुक्त किए जाएंगे।

भूमि अधिग्रहण और कायाकल्प

अधिकारियों के अनुसार चित्रकूट नगर को आने वाले समय में रामायण नगरी की तरह योजनाबद्ध ढंग से संवारने का प्रयास हो रहा है। घाटों के सौंदर्यीकरण और विस्तार के लिए निजी भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। पिछले 10 वर्षों में नगर परिषद और शहरी विकास कंपनी ने 25.46 करोड़ रुपये के कार्य किए हैं, वहीं वर्तमान में 80.33 करोड़ के कार्य जारी हैं और 34.21 करोड़ रुपये की योजनाएँ प्रस्तावित हैं।

सीएसआर फंड और भीड़ प्रबंधन

इसके अलावा सड़कों के लिए लोक निर्माण विभाग ने 117.79 करोड़ रुपये की लागत से 34.30 किलोमीटर सड़कों का प्रस्ताव दिया है। इनमें से 7.5 किलोमीटर मार्ग को मंजूरी मिल चुकी है और टेंडर जारी हो गए हैं।
सीएम डॉ. यादव ने विशेष रूप से कहा – “सोमवती अमावस्या जैसे अवसरों पर लाखों श्रद्धालु एकत्र होते हैं, ऐसे में सूक्ष्म योजना ज़रूरी है। साथ ही बड़ी कंपनियों के सीएसआर फंड का उपयोग चित्रकूट में सेवा गतिविधियों के विस्तार के लिए किया जाएगा।”

पर्यावरण और स्थानीय समस्याओं पर सवाल

विशेषज्ञों के अनुसार, इन करोड़ों की परियोजनाओं के बीच यह भी देखना होगा कि स्थानीय लोगों की जरूरतें, पर्यावरण संतुलन और परंपराओं की मौलिकता बनी रह पाएगी या नहीं। पर्यावरणविदों का कहना है कि इस पथ में गहन जंगल के क्षेत्र, पहाड़ और जल संरचनाएं हैं। इनके साथ छेड़छाड़ के परिणाम उत्तराखंड जैसी आपदाओं की तरह सामने आ सकते हैं।

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