बदनामी के पाताल से निकाल, आकाश तक नाम पंहुचाने की जिद - जानिये बांछड़ा समाज के इन युवाओं ने आखिर कैसे अलग बना ली अपनी किस्मत

रतलाम में देह व्यापार के लिए कुख्यात बांछड़ा समाज के युवा लिख रहे नई इबारत Youth are working hard despite adverse conditions to bring out their fellows and themselves.

बदनामी के पाताल से निकाल, आकाश तक नाम पंहुचाने की जिद  - जानिये बांछड़ा समाज के इन युवाओं ने आखिर कैसे अलग बना ली अपनी किस्मत
Ratlam

रतलाम@newsmpg ।   बांछड़ा समाज अब अपने बच्चों के पढ़ाई और व्यापार में आगे रहने के लिए जाना जाएगा। जिले के गांव परवलिया के बेटे आकाश चौहान ने एमपीएसबी परीक्षा में मेरिट में आने के साथ कृषि विस्तार अधिकारी बनने का सपना सच कर लिया है। 


खास बात यह है कि पिछले दो महीनों में तमाम मुश्किलों के बीच मेहनत के दम पर नई किस्मत लिखने वाले वो अकेले युवा नहीं हैं। एक बेटी 100 में से 100 अंक हासिल कर ब्रांच पोस्ट मास्टर बनी हैं तो हनुमंतिया के युवा का चयन एमबीबीएस में हुआ है। अन्य युवा पोल्ट्री और बिजली व्यवसाय से दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं। ये बदलती तस्वीर युवाओं की उस जिद का परिणाम है जो पिछले कुछ ही सालों में जिला प्रशासन से मिली प्रेरणा के बाद की है। 

कलेक्टर ने कहा आप जैसा युवा हर्ष लाते हैं 

जिले के ग्राम परवलिया में रहने वाले 19 वर्षीय आकाश चौहान अपने साथी विनोद चौहान के साथ शुक्रवार को रतलाम पंहुचे। यहां कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार ने दोनों से भेंट की और उनकी लगन की प्रशंसा करते हुए हर्ष जताया। 
कलेक्टर ने कहा आप जैसे युवा हर्ष लाते हैं। जिला प्रशासन सभी इच्छुक युवाओं की हरसंभव मदद करेगा, लेकिन आप भी समाज के बच्चों का जीवन बेहतर बनाने के लिए कोशिश करते रहें। 


नाम को चरितार्थ कर बने मिसाल 

आकाश का चयन मप्र प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा में कृषि विस्तार अधिकारी के रूप में हुआ है। उन्होंने गांव के स्कूल से 10वीं तक और फिर जावरा से 12वीं तक पढ़ाई की। खंडवा कृषि महाविद्यालय से बीएससी कृषि की पढ़ाई करने के दौरान ही एमपीएसबी परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली। आगे वे यूपीएसई की तैयारी करना चाहते हैं। इस मुकाम तक पंहुचने वाले आकाश अपने गांव और समाज के पहले युवा हैं। परिजन कहते हैं कि कहने को यह सामान्य नौकरी है, लेकिन गांव और समाज के हालातों के बीच यहां तक पंहुचना भी बहुत बड़ी बात है। 

ये बेटे भी हैं समाज के हीरो

  • परवलिया के ही 20 वर्षीय विनोद चौहान ने 2018 में पोल्ट्री फार्म व्यवसाय शुरु कर स्वरोजगार का हाथ थामा। अब वे परिवार और गांव के अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं। उन्होंने भी पढ़ाई की और अब गांव के अन्य बच्चों और खासकर बच्चियों को पढ़ाई में आगे लाने के लिए जुट गए हैं। इसके लिए वे अपने काम से समय निकालकर घर-घर जाकर परिजनों को सम­ााने और योजनाओं का लाभ दिलवाने की कोशिश भी कर रहे हैं। 
    - गांव रूंडी के अजय चौहान ने भी विरोध के बावजूद पढ़ाई की और हाल ही में उनका चयन रेलवे भर्ती परीक्षा में हुआ है। 
    - हनुमंतिया गांव के आशीष चौहान ने गांव में रहकर ही पढ़ाई की और अपने दम कर एमबीबीएस महाविद्यालय जबलपुर में दाखिला पा लिया है। जल्द ही वे समाज से पहले डॉक्टर बनकर नई इबारत लिखेंगे। 

बेटियों की मेहनत के आगे किस्मत हुई नतमस्तक 

बांछड़ा समुदाय के बेटे ही नहीं, अब होनहार बेटियां भी साबित कर रही हैं कि मेहनत के आगे किस्मत भी हार मान जाती है। परवलिया में रहने वाली और आकाश की बहन राजनंदिनी ने पोस्ट मास्टर भर्ती परीक्षा में 100 में से 100 अंक प्राप्त किए हैं। वे जावरा के पास तालीदाना में पिछले महीने पदस्थ हुई हैं। आगे पढ़ाई और पीएससी की तैयारी जारी रखेंगी। उनकी अन्य बहन चंचल चौहान जो फिलहाल जावरा के शासकीय कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई कर रही हंैं, वे समाज के अन्य बच्चों को भी पढ़ाती हैं। वे बताती हैं कि उनका मकसद यही है कि समाज का हर बच्चा पढ़ाई का दामन थाम कर आगे बढ़े। 

इनसे मिली प्रेरणा को करते हैं याद 

युवाओं ने बताया कि इन्हें मुख्य धारा से जोड़ने में सबसे ज्यादा मेहनत तत्कालीन एसपी गौरव तिवारी ने की। उनके  द्वारा लगातार की गई काउंसलिंग और कोचिंग से ही इन्होंने नौकरी की तैयारी का मन बनाया। इनके साथ पुलिस अधिकारी अभिषेक आनंद, राजेश मालवीय, आईएस टीना मालवीय, पूर्व कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने भी बहुत प्रेरित किया। वर्तमान कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार, जिला कार्यक्रम अधिकारी रजनीश सिन्हा, सहायक संचालक अंकिता पंड्या और विधिक सहायता अधिकारी पूनम तिवारी से भी निरंतर सहायता मिल रही है। 

अब भी 90 फीसदी बच्चियों को बाहर लाना बाकि 

युवा बताते हैं कि अब भी समाज में 90 फीसदी बच्चे मुख्य धारा से दूर हैं। सदियों से चली आ रही देह व्यापार की कुरीतियों में फंसी हुई बच्चियां, युवतियां आज भी समाज की स्वीकार्यता के अभाव में पढ़ाई और खिलौनों से दूर हैं। जिला प्रशासन के साथ मिलकर ये युवा भी कोशिश कर रहे हैं कि समाज के हर बच्चे को सम्मान के साथ जीवन जीने का अवसर मिल सके।