खरीफ की फसलों में लग रही बीमारी, तो मत लीजिए टेंशन, विशेषज्ञ बता रहे अचूक उपाय 

As Khareef crops are blooming Specialist gives tips to farmers to counter diseases and have better crop production

खरीफ की फसलों में लग रही बीमारी, तो मत लीजिए टेंशन, विशेषज्ञ बता रहे अचूक उपाय 
Tips for famers for kharif crops


कृषि रिपोर्टर@newsmpg

भादव का महीना है और देश के मैदानी उत्तरी हिस्सों के खेतों में खरीफ की फसलें लहलहा रही हैं। खासकर राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के खेतों और खलिहानों में इस साल अच्छी बारिश से खरीफ को अच्छी पैदावार की उम्मीद है। हालांकि लगातार बारिश और कीट, पतिंगों के साथ जीवाणु बीमारियों के रूप में किसानों को परेशान भी कर सकते हैं। ऐसे में कृषि विशेषज्ञ और कृषि वैज्ञानिक किसानों के लिए विश्वसनीय सु­ााव बता रहे हैं, जिससे किसान अपनी फसलों को सेहतमंद रखने के साथ अच्छी पैदावार हासिल कर सकते हैं। 

रतलाम कृषि विभाग की उपसंचालक नीलम सिंह चौहान बताती हैं कि इस मौसम में खरीफ फसल जैसे सोयाबीन, मक्का, कपाल आदि खेतों में खड़ी है। कहीं-कहीं सोयाबीन में सेमी लूपर इडली का आंशिक रूप से प्रकोप दिखाई दे रहा है इसके नियंत्रण आसान है। कृषि विशेषज्ञ डॉ. माणिक मिश्र बताते हैं कि क्लोरेट्रानिलीप्रोएल 18.5 ईसी, 150 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर का छिड़काव किया जाना चाहिए। गर्डल बीटल के नियंत्रण के लिए थायोमिथोक्सम 12.60 प्रतिशत+ लेम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 9.50 प्रतिशत, 125 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर पानी का घोलबनाकर छिड़काव बनाने की सलाह भी दी जाती है। 

फॉल आर्मी वर्म कीट दिखे तो क्या करें ?

विशेषज्ञ बताते हैं कि मक्का फसल में फॉल आर्मी वर्म कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा है। जिसके नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेजोएट 5 प्रतिशत एसीजी 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी जा रही है। साथ ही कपास फसल में विल्ट (पौध गलन) की समस्या दिखाई दे रही है जिसके नियंत्रण के लिए कार्बनडाईजिंग 50 प्रतिशत, 500 ग्राम को 300 लीटर पानी में घोल बनाकर कपास के पौधो के आसपास मिट्टी हटाकर छिड़काव करने की सलाह दी गई हैं।

बारिश को देखते हुए भी जारी की सलाह 

वर्तमान में लगातार बारिश होने वाले क्षेत्रों में एन्थ्रोकनोज रोग की संभावना अधिक रहती है। इसके प्रारंभिक लक्षण देखे जाने पर कृषको को सलाह दी जाती है कि इसके नियंत्रण हेतु टेबूकोनाजोल 29.9 एउ(625 ट.छ. /ऌंू.) का घोल बनाकर छिड़काव करें। इसके अलावा पीला मोजेक/सोयाबीन मोजेक रोग के लक्षण  दिखने पर प्ररंभिक अवस्था में ही रोग ग्रस्त पौधो को खेत से उखाड़कर नष्ट करें तथा इन रोगों को फैलाने वाले वाहक सफेद मक्खी/एफिड की रोकथाम हेतु थायोमिथाक्सम + लेम्बडा सायलोथ्रिन (125 ट.छ./ऌंू.) घोल बनाकर छिडकाव करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा किसान सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु अपने खेत में 07-08 स्थानों पर पीला स्ट्रिकी ट्रेप लगाए।

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