“रतलाम की गंगा-जमुनी मिसाल – जब मुस्लिम भाई चले महादेव के साथ”
“रतलाम ने एक बार फिर भाईचारे की अनोखी मिसाल पेश की! सावन मास की कांवड़ यात्रा में मुस्लिम समाज ने भी कदम बढ़ाए और महादेव के जयकारों के बीच कांवड़ उठाई। यह नजारा रतलाम की मिट्टी में रचे बसे प्रेम और सौहार्द का प्रतीक बन गया। जब अफजल हुसैन, आरिफ कप्तान और उनके साथी भजनों की गूंज में शामिल हुए, तो शहर की गंगा-जमुनी तहजीब और भी रोशन हो गई। जानिए इस ऐतिहासिक यात्रा की पूरी कहानी।”

Rajesh Solanki @newsmpg। रतलाम | पवित्र सावन मास में रतलाम ने एक ऐसी मिसाल पेश की, जिसने पूरे शहर को गर्व से भर दिया। रतलाम का नाम हमेशा से सौहार्द और भाईचारे की मिसाल रहा है। यहां की मिट्टी में ही एकता और सद्भाव घुला है, और इसका जीवंत उदाहरण शुक्रवार को सावन मास की कावड़ यात्रा के दौरान देखने को मिला। शुक्रवार को निकली कावड़ यात्रा में न सिर्फ सैकड़ों हिंदू भक्त शामिल हुए, बल्कि मुस्लिम समाज के लोगों ने भी कावड़ उठाकर यात्रा में भाग लिया। रतलाम की गंगा-जमुनी तहजीब का यह नजारा देखते ही बनता था—जहाँ धर्म की सीमाएँ टूटकर भाईचारे की नई तस्वीर बन गई।
सावन मास की भक्ति और भाईचारे का संगम
शुक्रवार को पुरोहित जी का वास से शीतला माता समिति के तत्वावधान में सावन मास की कृष्ण पक्ष एकम पर भव्य कावड़ यात्रा निकाली गई। सैकड़ों की संख्या में भक्तजन मोचीपुरा स्थित शनि मंदिर परिसर में एकत्र हुए। महादेव का विधिवत अभिषेक व पूजन कर यात्रा की शुरुआत की गई।
Watch Videos :-
मुस्लिम समाज की सक्रिय भागीदारी
इस कावड़ यात्रा में शीतला माता मंदिर समिति के स्थायी सदस्य आरिफ कप्तान, अफजल हुसैन नेता, गुलाम हुसैन मीर, अब्दुल रहमान, शाबाद फरदीन, सोहेल अब्बासी और वसीम मंसूरी सहित कई मुस्लिम भाई भी शामिल हुए। वे न केवल यात्रा का हिस्सा बने बल्कि भजनों की गूंज और डोल-नगाड़ों की थाप पर भक्तों के साथ कदम से कदम मिलाकर नृत्य करते नजर आए।
जगह-जगह हुआ भव्य स्वागत
कावड़ यात्रा का रूट ऐसा था कि हर गली और चौक पर लोगों ने पुष्प वर्षा और भजनों की धुन के साथ स्वागत किया। भक्तगण भक्ति गीत गाते हुए और नृत्य करते हुए आगे बढ़ते रहे। यात्रा का अंतिम पड़ाव उज्जैन होगा, जहां भक्तजन महाकालेश्वर मंदिर पहुंचकर बाबा महाकाल का जलाभिषेक करेंगे।
रतलाम – एकता की धरती
रतलाम की पहचान हमेशा भाईचारे की मिसाल के रूप में रही है। चाहे पर्व हो या कोई सांस्कृतिक आयोजन, यहां हर समाज के लोग एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहते हैं। सावन मास की यह कावड़ यात्रा भी इस अद्भुत परंपरा का प्रतीक बनी।
For More updates, Please subscribe to our channel and like, share and comment: https://www.youtube.com/@newsmpg24
What's Your Reaction?






