राहुल गांधी भारत जोड़ने आए थे, कांग्रेसियों और प्रशंसकों का दिल तोड़कर चले गए ! ऐसा क्या हुआ राहुल के दौरे में ? न्यूजएमपीजी की खरी-खरी 

लोकसभा चुनाव सर पर होने में बस कुछ ही दिन या सप्ताह शेष हैं। ऐसे में देश के सबसे बड़े दो दलों में शुमार कांग्रेस भी दम भरने की कोशिशें कर रही हैं। उनके बड़े नेता राहुल गांधी का रतलाम दौरा इसी से जोड़कर देखा जा रहा था, लेकिन इससे वैसा असर नहीं हुआ जैसा हर किसी को उम्मीद थी, बल्कि कांग्रेसी और समर्थक निराश नजर आ रहे हैं।

 राहुल गांधी भारत जोड़ने आए थे, कांग्रेसियों और प्रशंसकों का दिल तोड़कर चले गए ! ऐसा क्या हुआ राहुल के दौरे में ? न्यूजएमपीजी की खरी-खरी 
Rahul Gandhi in Ratlam
Editorial Desk @newsmpg. 
भारत जोड़ो न्याय यात्रा लेकर राहुल गांधी रतलाम जिले में आए । न्याय यात्रा में राहुल गांधी का पूरा जोर प्रदेश की चौबीस प्रतिशत आदिवासी जनसंख्या पर रहा। उन्होने अपने हर भाषण में आदिवासी राष्ट्रपति के राममंदिर में नही दिखने को उनका अपमान भी बताया। रतलाम जिले में उन्ही आदिवासियों  का अपमान खुद राहुल जाने -अनजाने में कर गए। ये शायद उन्हे कांग्रेस का कोई बड़ा नेता नहीं बता रहा लेकिन हर निष्ठावान कांग्रेसी और राजनैतिक समीक्षक यही चर्चा कर रहे हैं।

रतलाम शहर मे दिए 11 मिनिट के भाषण में उन्होने करीब नौ मिनिट ओबीसी और आदिवासियों , बेरोजगारो के लिए बात की। उन्हे असली भारत माता बताते हुए नरेन्द्र मोदी द्वारा एक प्रतिशत लोगो की जय बोलने का आक्षेप भी किया। इसके बाद उन्होने जो किया , इससे उनकी बदले हुए परिपक्व  नेता की बजाय अख्खड़ और बिगडेल राजकुमार की छवि ही पुख्ता हुई। राहुल गांधी की हरकत से ये कहीं नही लगा कि वे कोई चुनाव जीतना जाहते है। रतलाम -झाबुआ आदिवासी बाहुल्य मतदाता वाली आरक्षित सीट है। मोदी लहर को छोड़ दे तो कांग्रेस की पांरपरिक सीट रही है। भाजपा की जीत का अंतर भी यहां कोई बहुत बड़ा नही है , ऐसे में इस सीट को वापिस कांग्रेस हर हाल में वापिस चाहती है लेकिन शायद राहुल गांधी नहीं !

ऐसा क्या किया राहुल ने ?
राहुल गांधी करीब तीन घंटे की देरी से रतलाम पहुंचे तो कांग्रेसी बेहद उत्साह में थे। शहरवासी भी राहुल क्या बोलते है , रतलाम में इसको लेकर उत्सुक थे। राहुल गांधी ने शहर से जुड़ने के लिए , यहां की संस्कृति, धार्मिक, व्यापारिक, राजैनतिक विरासत , परंपरा पर एक शब्द नही बोला। वो वहीं बोलते रहे जो वो पूरी यात्रा के दौरान या आजकल रैलियों में बालते है। जिसे लोग टीवी या सोशल मीडिया के बारे में सुनते आ रहे है। रतलाम में फव्वारा चौक मे नुक्कड़ सभा के बाद करीब तीन किलोमीटर का मार्ग रोड़ शो करते हुए पार करना था। विधानसभा चुनाव में हार के बाद हताश कांग्रेसियों में नया जोश आया तो था लेकिन राहुल ने उस पर पानी फेर दिया। राहुल गांधी सभा करने के सौ मीटर बाद ही अपनी गाड़ी में बैठ गए ,जबकि जिले भर से आए कांग्रेसियों ने अलग -अलग मंच बनाकर उनका स्वागत करने की तैयारी की थी। राहुल का काफिला तेज गति से निकल गया और जमीनी स्तर पर सत्ता का मुकाबला करने वाला, लाठिया खाने और मुकदमें झेलने वाला आम कार्यकर्ता राहुल की एक झलक पाने के लिए मुंह ताकता रह गया। 


ये भी आदिवासियों का अपमान ही है राहुल !
रतलाम से राहुल गांधी का काफिला सैलाना पहुंचा। यहां के रोड़ शो पर पूरे मालवा की निगाहे थी। करीब दस हजार की संख्या में आदिवासी कार्यकर्ता राहुल का घंटो इंतजार करते रहे। जब राहुल पहुंचे तो तेज गति से निकल गए। यहां पर उन्हे आदिवासियों के मसीहा के रूप में माने जाने वाले पूर्व मंत्री स्वर्गीय प्रभूदयाल गेहलोत की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर रोड़ शो की शुरूआत करते हुए  राजवाड़ा चौक में सभा को संबोधित करना था। इसके लिए सैलाना में व्यापक तैयारिया की गई थी। सारी तैयारिया धरी की धरी रह गई जब राहुल गांधी ने स्वर्गीय गेहलोत की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने की बजाय जीप में से ही उन्हे नमन किया। तेज गति के वाहन से हाथ हिलाते हुए बिना सभा संबोधित किए रात्रि पड़ाव स्थल सरवन की तरफ रवाना हो गए। यहां उनके साथ जीप में पूर्व विधायक हर्ष विजय गेहलोत भी सवार थे लेकिन वे सरवन से बिना राहुल के कैंप में गए वापिस लौट गए। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह उन्हे मनाकर वापिस लेकर सरवन गए। हजारों आदिवासियों को बिना संबोधित कर , उनसे बिना मिले जाने को लेकर ही लोग इसे आदिवासियों का अपमान बता रहे है। हांलाकि कांग्रेसी बोल रहे है ऐसी कोई बात नहीं है।

कांग्रेस का मिस मैनेजमेंट भी जिम्मेदार
कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता के आगमन के दौरान पूरे समय  कांग्रेस नेताओ का मिस मैनेजमेंट सामने आया। इसको लेकर अब सवाल उठ रहे है। सभा में उम्मीद से कम भीड़ , संचालन, माईक का बंद होना ,स्थानीय नेताओ में आपस में समन्वय नहीं होने से रतलाम शहर अध्यक्ष खुद को साबित नहीं कर पाए। इसके अलावा ऐसी कई बाद स्थिति बनी की कांग्रेस का मैनेजमेंट हंसी का पात्र बना। प्रदेश के नेताओ , यात्रा प्रभारी और स्थानीय नेताओ में कोई तालमेल नजर नही आया। इसी का परिणाम ये रहा कि वे राहुल गांधी को रतलाम की सीट का महत्व, रोड़ शो में गाड़ी में बैठने की बजाय खड़े रह कर कार्यकर्ताओ का उत्साह बढ़ाने की बात तक नही बता पाए। रात्रि पड़ाव स्थल सरवन में जिला कांग्रेस अध्यक्ष को घंटो बाहर बैेठ कर अपने आप को कैंप में जाने के लिए जद्दोजहद करते देखा गया। इस तरह का मिस मैनेजमेंट लगभग हर जगह रहा । ऐसे आलम में कांग्रेस के नेता लोकसभा चुनाव जीतने के दावे कर रहे है तो क्यों कर रहे है ये आत्ममुग्ध कांग्रेसी खुद ही बता सकते है?

- - एमपी गोस्वामी, रतलाम 
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं आलोचक हैं तथा विभिन्न समाचार पत्र, पत्रिकाओं में कार्य करने के साथ लंबा अनुभव रखते हैं।)