ममता की छांव तले लाखों बच्चों को मिल रहा पोषण मालवा की मदर टेरेसा- पद्मश्री डॉ. लीला जोशी का अद्भुत सफर

जिनकी ममता की छाव से लाखों बच्चों को मिल रहा पोषण वो मालवा की मदर टेरेसा ..भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित पद्मश्री डॉ. लीला जोशी। एक ऐसा नाम जिन्होंने न केवल पद्मश्री प्राप्त करके इतिहास रचा

ममता की छांव तले लाखों बच्चों को मिल रहा पोषण मालवा की मदर टेरेसा- पद्मश्री डॉ. लीला जोशी का अद्भुत सफर


भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित पद्मश्री डॉ. लीला जोशी। एक ऐसा नाम जिन्होंने न केवल पद्मश्री प्राप्त करके इतिहास रचा, बल्कि जिन्होंने अपने समय से आगे की सोच रखकर संघर्षों के बीच लाखों को अपनी ममता की छांव तले पोषित किया और आज भी कर रही हैं। 
                                                        रतलाम की डॉ लीला जोशी एक स्त्री रोग विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। लेकिन इसके साथ ही वे गरीब, आदिवासी महिलाओं और किशोरी बालिकाओं के लिए मसीहा भी हैं। विशेषकर आदिवासी समाज में उन्होंने कुपोषण और मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर की सबसे बड़ी वजह, एनीमिया को दूर करने के लिए 40 साल पहले अभियान छेड़ा। उनकी संस्था महिलाओं और बालिकाओं के लिए लगातार शिविर लगाकर उन्हें गोलियां और जरूरी दवाएं निशुल्क देती है।

परिवारों और विशेषकर नारी वर्ग को रक्त की कमी के कारण, सही पोषण और मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों पर आहग करती है। महिलाओं को ईलाज, गर्भावस्था के दौरान रक्त से लेकर जरूरत पड़ने पर हर संभव चीज उपलब्ध करवाई जाती है। ये सिलसिला 40 सालों से जारी है, और इसका परिणाम है कि किसी समय में सर्वाधिक मातृ मृत्यु दर रखने वाले गांवों में आज स्थिति बेहद सामान्य है। इसके अलावा भी उनकी संस्था मधुमेह, केंसर जैसी जानलेवा बीमारियों से ग्रसितों को निशुल्क उपचार दिलवाने से लेकर बच्चों को जागरुक करने के कई काम करती है। उनकी निस्वार्थ सेवा के चलते ही उन्हें प्यार से लोग मालवा की मदर टेरेसा कहते हैं। 

साबित किया, बेड़ियां सिर्फ बहाने हैं

डॉ जोशी ने राजस्थान के कोटा में भारतीय रेलवे के सहायक सर्जन के रूप में अपना करियर शुरू किया, वो भी तब जब महिलाओं को घर के बाहर आना भी मुश्किल था। शुरु से ही गरीबों की निशुल्क सेवा, शिविर और पिछड़े बच्चों को शिक्षा और स्वास्थ से जोड़ने में जीवन लगा दिया। 1997 में मुख्य चिकित्सा निदेशक के पद से रेलवे से सेवानिवृत्त हुईं, लेकिन जिन उम्र में लोग घर बैठ जाते हैं, उस समय में वे चार गुना सक्रीय हो गईं। डॉ. जोशी मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में रहकर आदिवासियों की सेवा में डूब गईं। 


इंद्रा गांधी, प्रणब मुखर्जी से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक ने दिया सम्मान  

डॉ. जोशी संभवत: जिले की इकलौती ऐसी डॉक्टर या व्यक्ति हैं, जिन्हें उनके शुरुआत दौर में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्रा गांधी से लेकर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक ने भेंट करके सम्मानित किया। 2020 में पद्मश्री से सम्मानित होने के पूर्व भी महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में उन्हें देश की शीर्ष 100 प्रभावशाली महिलाओं में सूचीबद्ध किया गया था। उन्हें दर्जनों अवार्डों से नवाजा जा चुका है। 
 
                                                                                                        -रिसर्च डेस्क, न्यूज एमपीजी