महिला सप्ताह विशेष - छोटे हाथों से बड़ा जादू कर रहीं बबली, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुनर से बनाई पहचान 

महिला सप्ताह विशेष - छोटे हाथों से बड़ा जादू कर रहीं बबली, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुनर से बनाई पहचान, -रतलाम जिले की बेटी, जो अपने साथ गृह नगर का भी बढ़ा रही मान 

Mar 5, 2023 - 15:52
Mar 19, 2023 - 16:02
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महिला सप्ताह विशेष - छोटे हाथों से बड़ा जादू कर रहीं बबली, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुनर से बनाई पहचान 
Babali Gambhir Jaora, Ratlam

वो हैं अपने जीवन की नायिका 

रचयिता बनकर सृष्टि का सृजन करने वाली, उनका पालन करने वाली और बुराईयों का ह्रास करने वाली स्त्री के सम्मान के लिए 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाएगा। विश्व की आधी आबादी और हर संस्कृति की मूल होने के बावजूद सदियों तक भावनात्मक और शारीरिक बल पर महिलाओं के दमन, उनके अधिकारों के हनन और उनके प्रति हीन भावना के विरोध में यह दिन मनाया जाता है। यह दिन उनकी उपलब्धि याद करके, प्रोस्ताहित करने, वर्तमान और भावी पीढ़ियों को रास्ता दिखाने का दिन भी है। हम भी अपने पाठकों के साथ ऐसी ही कुछ प्रेरक जीवनियों के अंश को साझा करेंगे, जिन्होंने समाज में अपने हुनर, मेहनत और जिद से समाज में न केवल अपना स्थान बदला है, बल्कि समाज को भी बदला है। 


रतलाम जिले की बेटी, जो अपने साथ गृह नगर का भी बढ़ा रही मान 

वुमेन्स डेस्क, न्यूजएमपीजी।

अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजी चा चुकी, रतलाम जिले के जावरा तहसील की बेटी हैं बबली गंभीर। पेशे से ब्यूटीशियन, पेंटर, लेखिका, अच्छी कलाकार, लेकिन अपने छोटे हाथों और उंगलियों के बावजूद अपने कर्म का लोहा मनवाने वाली गंभीर जावरा में ही रहती है। हाल ही में उन्हें वुमेन्स प्रेस क्लब इंदौर द्वारा आयोजित समारोह में सामाजिक और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर प्रदेश स्तरीय शक्ति अवार्ड प्रदान किया गया है। 
                                                                                             पिछले साल बबली गंभीर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित डॉ सरोजिनी नायडू इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें 2013 में ही असाधारण प्रतिभा के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्ट सृजनशील वयस्क पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। बबली गंभीर को यह पुरस्कार विज्ञान भवन, नई दिल्ली में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रदान किया था। इसके अलावा बृज भूमि फाउंडेशन द्वारा राज्य स्तरीय महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम में नारी शक्ति को प्रणाम अवॉर्ड और 9 साल पहले जानी मानी अदाकारा माधुरी दीक्षित के हाथों वुमेन्स प्राईड अवार्ड और 2011 में भारत सरकार का केविन केयर एबीलिटी मास्टरी अवार्ड भी उन्हें दिया जा चुका है। 

कौन हैं बबली, कैसे किया इतने दिलों पर राज

बबली गंभीर जावरा में रहने वाली एक स्किन सॉल्यूशन स्पेशलिस्ट और शीन नामक ब्यूटी पार्लर की संचालिका हैं। 10 अक्टूबर को जन्मी बबली पंजाबी परिवार में 8 भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं। जन्म से ही उनके हाथ असामान्य हैं। हाथों की लंबाई औसत हाथों से आधी है, कोहनी नहीं होने से हाथ मुड़ते भी नहीं और एक हाथ में तीन और दूसरे में सिर्फ ढ़ाई उंगली हैं। न्यून मध्यमवर्गी परिवार में जन्मी बबली का बचपन आसान नहीं रहा। उनके पिता ने बेहद प्यार से संभाला, कठिनाईयों से उबरना सिखाया और हर कदम पर साथ दिया। परिवार ने हौंसला दिया और बबली ने इंग्लिश लिटरेचर में एमए की उपाधि प्राप्त कर ली।

लेकिन समाज में उनके हाथों के कारण वे कभी सामान्य नौकरी नहीं पा पा रही थीं। उन्हें कहा जाता था कि वे बेहद खूबसूरत हैं, लेकिन हाथों के कारण सुंदरता कम हो जाती है। बस इसी ख्याल को उन्होंने जीने का मकसद बना लिया। उन्होंने ठान लिया कि इन्हीं हाथों से वो दुनिया को सुंदर बनाएंगी। पार्लर का कोर्स किया और पिछले 29 सालों से वे जावरा में पार्लर चला रही हैं। यहां वे विशेष रूप से बालिकाओं और महिलाओं को पेंटिंग, कढ़ाई, मेहंदी, पार्लर कोर्स की ट्रेनिंग भी देती हैं। वे स्वयं भी बेहद उत्कृष्ट चित्रकार हैं और उनके बनाएं चित्रों की प्रदर्शनी भी लग चुकी हैं, जिसे बेहद सराहा गया था। 

आज भी खलती है, अपनों की उदासीनता 

बबली गंभीर के नाम से आज देश भर में जावरा जाना जा रहा है और सैकड़ों बच्चियां ही नहीं बच्चे भी उनके जैसा बनना चाहते हैं। मगर, बबली को यह बात आज भी खलती है, कि उन्हीं के अपने घर, अपने शहर और जिले में उन्हें आज भी वो हक नहीं मिलता, जिसकी वो हकदार हैं। वे कहती हैं कि उन्हें संभाग, प्रदेश, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। इसके लिए उन्हें जिले के राजनेताओं, अधिकारियों, समाजसेवियों से लेकर आम लोगों से भी बधाई मिलती हैं, लेकिन यहां के समारोह हों या प्रमुख अवसर आज भी अपनी बेटी के लिए मन में वो स्थान नहीं है। वे मानती हैं कि महिलाओं के प्रति लोगों की सोच में अंतर तो आया है, लेकिन वो अंतर बदलती दुनिया की तुलना में बहुत सतही और कम है। लेकिन उन्हें उम्मीद भी है कि धीरे-धीरे ही सही लोगों के मन और समाज दोनों में सकारात्मक बदलाव आएगा जरूर। 

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