13वीं सदी का प्राचीन, चमत्कारी मंदिर, जहां आज बंधती हैं बकरियां, शिवलिंग तक जाता है नाली का पानी  -शहर से मात्र 3 किलोमीटर दूर शिव मंदिर, उदासीनता और स्वार्थ के चलते बन गया खडंहर

13वीं सदी का प्राचीन, चमत्कारी मंदिर, जहां आज बंधती हैं बकरियां, शिवलिंग तक जाता है नाली का पानी  -शहर से मात्र 3 किलोमीटर दूर शिव मंदिर, उदासीनता और स्वार्थ के चलते बन गया खडंहर

13वीं सदी का प्राचीन, चमत्कारी मंदिर, जहां आज बंधती हैं बकरियां, शिवलिंग तक जाता है नाली का पानी  -शहर से मात्र 3 किलोमीटर दूर शिव मंदिर, उदासीनता और स्वार्थ के चलते बन गया खडंहर
Shiv Mandir of Sanawada Ratlam

रतलाम।   दो दिन बाद महाशिवरात्रि का पर्व है और देश-प्रदेश, जिले में भोले बाबा के मंदिरों की साज सज्जा चल रही है। जिले में एक मंदिर ऐसा भी है, जो है तो 13वीं सदी में निर्मित, अति प्राचीन और चमत्कारी, लेकिन वर्तमान समय में प्रांगण बकरियां बांधने के काम आ रहा है। यहां अब भी पूरा गांव पूजा करने आता है, साथ ही नाली का गंदा पानी भी मंदिर में आता है। 
                                                   ये मंदिर है शहर मुख्यालय से मात्र 3 किलोमीटर दूर ग्राम सनावदा का। संस्कृति की रक्षा, धर्म और शिव को लेकर बड़ी-बड़ी बातों और हकीकत में अंतर का यह मंदिर जीवंत उदाहरण है, जो हर आस्थावान के चेहरे पर तमाचा मार रहा है। ये मंदिर परमार कालीन शैली में बना हुआ है। इसके ठीक पीछे तालाब है और पूरा नजारा सुंदर हैं केवल मंदिर छोड़कर। आज भी यहां के खंब, टूटी और साबूत प्रतिमाओं से प्रतीत होता है कि यह कम से कम 13वीं सदी में बना होगा। यहां आज भी जो शिवलिंग है, वह भी उसी काल का है। गांव वालों का कहना है कि यह बहुत चमत्कारी मंदिर है और गांव के सभी लोग पूजन के लिए यहां आते हैं।

हाल ऐसे की देखकर आ जाए शर्म

जो मंदिर इतना चमत्कारी और प्राचीन है, उस मंदिर की आज की हालत देखकर ही शर्म आती है। मंदिर मात्र 7 बाय 5 का एक टूटा-फूटा कमरा जैसा बचा है, जिसमें शिवलिंग विराजित है। टूटे-फूटे खंडहर में चारों तरफ प्रतिमाएं बिखरी पड़ी हैं। इन्हीं प्रतिमाओं के सहारे से दर्जनों बकरियां बंधी रहती हैं जो मंदिर के सामने, आस पास चारों तरफ गंदा करती हैं। मंदिर के पत्थर, खंब एक दूसरे के ऊपर जैसे बस रखे हुए हैं। पास ही मंदिर की ही जमीन पर अतिक्रमण करके भैंसें, गाय बंध रहे हैं। गोबर, गंदगी भी वहीं है। केवल इतना ही नहीं दूसरी ओर से कच्ची नाली बहती है जहां कचरा, झाड़ियां अटक कर गंदे पानी को सीधे मंदिर में बहा लाती है। मंदिर बाकी जमीनी स्तर से नीचा होने के कारण बारिश में गंदे पानी से इतना पट जाता है, कि शिवलिंग तक अछूती नहीं बचती। 


एक महीने में एक अधिकारी भी नहीं झांका

जहां कथावाचक और संत भगवान शंकर की महिमा बताकर रोज एक लोटा जल चढ़ाने को कह रहे हैं, वहीं दूसरी ओर स्वार्थ, उदासीनता और कहा जाए तो आडंबर की ओट में यह प्राचीन मंदिर रुदन कर रहा है। इस मंदिर की दुर्दशा गांव वालों को सालों से दिखाई देती है, लेकिन कोई आवाज़ उठाने को तैयार नहीं। गांव के किशोरों ने यह सब देखकर हिम्मत की। 13 से 19 साल की उम्र के 4-5 किशोर न केवल मंदिर की साफ, सफाई और यथासंभव रखरखाव कर रहे हैं, बल्कि आसपास के अतिक्रमण और गंदगी की शिकायत नगर पंचायत से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक कर रहे हैं। सीएम हेल्पलाइन पर गांव के युवा कुलदीप सिंह ने एक महीने पहले शिकायत की थी। उन्होंने बताया कि एक महीने में एक बार भी कोई अधिकारी या कर्मचारी तक न तो आए, न ही किसी ने फोन पर बात तक की।