वादियों का दर्द, बेटियों की जाबाज़ी, क्या था अटल सरकार के लिए कश्मीर घाटी पर डॉ. पाण्डेय की उस रिपोर्ट में

देश के सबसे अनुभवी सांसदों में शुमार रहे डॉ. लक्ष्मीनारायण पाण्डेय की रिपोर्ट आज भी अहम - करगिल युद्ध के बाद किया था घाटी के दूरस्थ, दुर्गम गांवों का दौरा

May 19, 2025 - 17:16
May 19, 2025 - 18:09
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वादियों का दर्द, बेटियों की जाबाज़ी, क्या था अटल सरकार के लिए कश्मीर घाटी पर डॉ. पाण्डेय की उस रिपोर्ट में
Dr Laxminarayan pandey

रतलाम@newsmpg।    बात सन् 2000 की है। कारगिल युद्ध में भारत जीत की पताका फहरा चुकी थी, लेकिन युद्ध के बाद की विभिषिका पसरी हुई थी। युद्ध के बाद भी आतंकवाद की घटनाएँ रुकी नहीं थी बल्कि बदला लेने के भाव से आम कशमीरियों को निशाना बनाया जा रहा था।

केंद्र की अटल सरकार ने ऐसी विषम परीस्थिति में अपने सबसे अनुभवी, सबसे गंभीर सांसदों का प्रतिनिधि मंडल भेजकर वास्तविक हालातों पर पूरी रिपोर्ट तलब की। इस प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व देश के सबसे अनुभवी सांसदों और राजनेताओं में शुमार मंदसौर सांसद डॉ. लक्ष्मीनारायण पाण्डेय कर रहे थे।आज उन्ही डॉ लक्ष्मीनारायण पांडेय की पुण्यतिथि है।

 डॉ पांडेय के नेतृत्व में कमेटी जब घाटी के रास्तों डोडा होते हुए लौट रही थी तो 30 मीटर आगे विस्फोट की आवाज हुई थी। एक धमाका हुआ लेकिन सुरक्षा बल सतर्क था। काफिला तेज़ रफ्तार से आगे बढ़ता रहा। रिपोर्ट में लिखा गया कि यह घटना स्मृति पटल पर जीवन पर्यंत अटल रहेगी। ऐसी यातनाओं से वादी रोज़ सहम रही है।

अटलजी ने चुने विश्वासपात्र 

युद्ध के तुरंत बाद उपजे नाजुक हालातों में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित अटल बिहारी वाजपेयी ने भी अपने डॉ. पाण्डेय के साथ अपनी विश्वसनीय सांसदों की कमेटी को दौरे पर भेजा था। इसमें कोटा के सांसद दाऊदयाल जोशी, जयपुर के सांसद, राज्य सभा से एक सदस्य, जम्मू के एक सांसद और एक सहायक भी थे। हालांकि कई एजेंसियों ने सुरक्षा की दृष्टि से कमेटी को आगाह किया था कि वे निशाने पर रहेंगे। लेकिन कमेटी ने न केवल 1 महीने यात्रा की, बल्कि एक एक गांव में अनुभवों को कशमीरियों के साथ जीया। डॉ. पाण्डेय ने कमेटी के लिए बनाई रिपोर्ट में जो बातें लिखी हैं वो आज भी कशमीर के मन, शौर्य, साहस, दर्द और हालातों की सच्ची तस्वीर मानी जाती है।

विस्थापित होंठ थे मौन 

इस रिपोर्ट में डॉ. पाण्डेय ने लिखा है कि कमेटी जम्मू में विस्थापित परिवारों से मिली थी, उनसे जाना क्यों और किस लिए उन्हें घाटी छोड़ना पड़ी। कटरा होते हुए श्री नगर पहुँचे, लेकिन कारगिल के बाद का माहौल वहाँ के सर्द मौसम, खुश्क आबोहवा से भरा था। आम लोग सहमे हुए थे। न कोई युद्ध की भयावहता की बात कहने को राजी था, न पाकिस्तान की। तबाही पर उनका उत्तर था कि खूब बर्फ बारी हुई उससे बहुत नुकसान हुआ।

यहां से आतंकी करते थे घुसपैठ

लेकिन कमेटी जब श्रीनगर से किश्नवार पंहुची तो वहाँ की उन पहाड़ियों को भी देखा जहाँ से आतंकवादी घुसपैठ करते थे। बताया गया कि आगे हाइड्रोलेक्ट्रिक परियोजना, जल विद्युत परियोजना दुल हस्तीका का काम चल रहा था, पर आतंकवादी उसमें बाधा डालते थे। कड़ी सुरक्षा में भद्रवार की ओर चल पड़े। उन्होंने लिखा है कि यहाँ अंगीठी का सहारा लिए बिना रहना असंभव है। लेकिन यहां के नागरिकों मेंं गर्माहट थी। उन्होंने बताया कि सुरक्षा के बावजूद आतंकी घुसपैठ कर लेते हैं और नुकसान पहुँचा कर लौट जाते है।

भारत के बेटियों ने मांगे हथियार

जिस दिन कमेटी यहां पंहुची उसके पहले ही रात में आतंकी घुसपैठियों के एक जत्था ने अंधाधुंध गोलियां दागते हुए सीमा क्षेत्र में घुसने का प्रयास किया था। डॉ. पाण्डेय और कमेटी सदस्य तब हैरान हो गए जब कुछ महिलाएँ व छात्राएँ सामने आकर खड़ी हो गई और कहने लगीं -'आपने सुना रात्रि में क्या हुआ ? हमारे सर पर तो हमेशा यह खतरा बना रहता है। सरकार सुरक्षा देती है, पर वह पर्याप्त नहीं, क्या करें? हमारा एक ही निवेदन है आप ध्यान से सुने। कशमीरी लड़कियों ने कहा - 'हम भी भारत की बेटियां हैं इसकी रक्षा में प्राण भी न्यौछावर कर सकती हैं। हमें बड़े हथियार, छोटी रायफलें व पिस्तोलें दिलवा दीजिए। हम आतंकीय घुसपैठियों को मार भगायेंगी'।

कमेटी को इस जवाब की उम्मीद नहीं थी। यब सब सुनकर पूरी समिति और अधिकारी गौरवांवित हो गए। यह प्रसंग जस का तस डॉ. पाण्डेय ने लिखा भी है।

अटल के सबसे करीबियों में रहे डॉ. पाण्डेय

संसद में 8 बार मंदसौर लोकसभा क्षेत्र से विजयी होकर पंहुचे डॉ. पाण्डेय विरले व्यक्तित्व थे। मध्यप्रदेश के तत्कालीन मौजूदा मुख्यमंत्री और देश के पहले प्रधानमंत्री कैलाशनाथ काटजू को जावरा में हराकर डॉ. लक्ष्मीनारायण पाण्डेय सबसे पहले सुर्खियों में आए थे। 6 फीट 2 इंच के गठीले शरीर, नीली सुंदर आंखों और चेहरे के साथ अपने ज्ञान, भाषायीय कौशल और कमर कस मेहनत के दम पर युवावस्था में उन्होंने राजनीति के वो सौपान चढ़ लिए जो दशकों में भी मं­ो हुए राजनेता हासिल नहीं कर सके। सबसे बढ़कर थी जनसंघ, लोक दल और फिर भारतीय जनता पार्टी बनी अपनी विचारधारा से सिंचित पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा। यही कारण रहा कि भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं के उनके साथ भाई और बेटे से बढकर संबंध रहे। यहां तक की कांग्रेस सरकारों ने भी देश के तमाम गंभीर मसलों में डॉ. पाण्डेय को कमेटी में अहम स्थान दिए। उन्होंने संसदीय काल में दर्जनों विदेश यात्राएं की थी।

मध्यप्रदेश को जनसंघ के काल से भाजपा की उर्वर भूमि में तब्दील करने वाले सबसे अग्रणी महापुरुषों में डॉ लक्ष्मीनारायण पांडेय रहे है। 

पुण्यतिथि पर न्यूजएमपीजी परिवार उन्हें सादर नमन करता है। 

Article by- MP Goswami and Aditi Mishra 

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