साहब, मेरी डेढ़ बीघा जमीन चोरी हो गई ! - भटक रहा आदिवासी किसान, आज भी है जमीन, लेकिन हो गई गायब
बीमार हुआ तब से गायब है ! जमीन ढ़ाई साल से सीमांकन के लिए भी भटक रहा ! मामला टप्पा तहसील मूंदड़ी की ग्राम पंचायत कनेरी के गांव घोड़ाखेड़ा का !
रतलाम। साहब 1947 से मेरे दादा, मेरे पिता और फिर मेरी जमीन थी। 1956 से आज तक के कागजों पर भी हैं, लेकिन अब चोरी हो गई। ये किसी फिल्म का डॉयलाग नहीं है। ये रतलाम जिले के एक आदिवासी किसान का सच है जो उसने अधिकारियों, नेताओं के सामने कई बार दोहराया है।
मामला टप्पा तहसील मूंदड़ी की ग्राम पंचायत कनेरी के गांव घोड़ाखेड़ा का है। हेमराज पिता लच्छा खदेड़ा ने बताया कि उसके हक की करीब साढ़े पांच बीघा जमीन घोड़ाखेड़ा में है। 1956 से अब तक रजिस्ट्री, पावती, ग्राम पंचायत के रिकार्ड में जमीन पहले उसके पिता और फिर उसके नाम दर्ज है। उसका कोई भाई नहीं है और दो बेटे, दो बेटियां हैं जिनमें से एक अलग रहता है, दूसरा छोटा है। इसी जमीन पर उसकी एक झोपड़ी है और बाकि पर वह खेती करके गुजारा करता है। परंतु कुछ वर्ष पहले समाज के व्यक्ति ने जमीन के किनारे छोटी से झोपड़ी बना ली। इसपर खदेड़ा ने आपत्ति ली, लेकिन व्यक्ति ने अपनी मजबूरी बताई तो उसने झोपड़ी नहीं हटाई। धीरे-धीरे वहां दूसरे व्यक्ति ने रिश्तेदार के कहने पर झोपड़ी बना ली और फिर इनके बच्चे और रिश्तेदार आ गए जिससे 5 झोपड़ी बन गई।
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बीमार हुआ तब से गायब है जमीन
खदेड़ा ने कहा कि जब उसने आपत्ति ली तो पांचों ने एकमत होकर उसी के रिश्तेदार के कहने पर उससे विवाद करना और बच्चों और उसे जान से मारने की धमकी देना प्रारम्भ कर दिया। इसपर खदेड़ा ने 2023 में कलेक्टर कार्यालय में आवेदन देकर जमीन का सीमांकन करने और अतिक्रमणकर्ताओं को जमीन से हटाने की गुजारिश की। परंतु उसके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी बीच वह अत्याधिक बीमार हो गया और उसे रतलाम और फिर दाहोद अस्पताल भर्ती रहना पड़ा। इसका फायदा उठाते हुए तीन लोगों ने झोपड़ी के स्थान पर पक्के मकान बना लिए। उसकी करीब डेढ़ बीघा जमीन पर पांच लोगों का कब्जा हो गया है। हैरानी की बात यह है कि आवेदन पर उन्हें हल्का पटवारी ने जवाब दिया कि जमीन गायब हो चुकी है, अब कुछ नहीं हो पाएगा।
ढ़ाई साल से सीमांकन के लिए भी भटक रहा
स्वस्थ होने के बाद 2024 में खदेड़ा ने दोबारा कलेक्टर और एसपी कार्यालय में आवेदन देकर सीमांकन और विवाद करने पर कार्यवाही की मांग की। खदेड़ा ने बताया कि अब तक वह लगातार आवेदन दे रहा है लेकिन आज तक सीमांकन नहीं किया गया। इस बीच अतिक्रमणकर्ताओं का कब्जा बढ़ता जा रहा है। मई में उसने फिर से सीमांकन और अतिक्रमण हटाने के लिए आवेदन दिया है, लेकिन जून अंत कोई जवाब नहीं मिला है।