पहली बार रतलाम में बिना खोपड़ी खोले हुआ ब्रेन ट्यूमर का सफल ऑपरेशन
- न्यूरोसर्जन डॉ. मिलेश नागर ने रतलाम सहित मालवा में की पहली एंडोस्कोपिक ब्रेन ट्यूटर रिमूवल सर्जरी - सर्जरी के छठे दिन ही मरीज को मिल गई अस्पताल से छुट्टी
रतलाम। न्यूरोसर्जरी में पहली बार रतलाम ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। न्यूरोसर्जन डॉ. मिलेश नागर ने रतलाम ही नहीं, बल्कि पूरे मालवा क्षेत्र में पहली बार नॉन इनवेसिव ब्रेन ट्यूमर सर्जरी को पूरी तरह सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। इसमें 52 वर्षीय मरीज के मस्तिष्क से बिना खोपड़ी खोले ट्यूमर निकाला गया है।
यह सर्जरी रतलाम जिले के आलोट निवासी 52 वर्षीय मरीज पर की गई है, जिन्हें सर्जरी के बाद सबकुछ सामान्य होने पर घर भी भेज दिया गया। जानकारी के अनुसार मरीज को पिछले डेढ़-दो वर्षों से सिरदर्द, धुंधली दृष्टि, थकान और जी मचलाने जैसी समस्याएं हो रही थीं और सामान्य उपचार से लाभ नहीं हो रहा था।
वे रतलाम डॉ. मिलेश नागर के पास पंहुचे थे जहां उनकी एमआरआई करवाने पर पिट्यूटरी ग्लैंड में बड़ा ब्रेन ट्यूमर सामने आया था। डॉ. नागर ने आॅपरेशन की सलाह दी, लेकिन परिवार सर्जरी को लेकर आशंकित था। इलाज के लिए वे इंदौर और अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों तक गए, लेकिन जब दवाओं से राहत नहीं मिली, तब एक बार फिर उन्होंने डॉ. नागर पर भरोसा जताया।
नाक के जरिये निकाला गया ट्यूमर
डॉ. नागर ने बताया कि अब ब्रेन ट्यूमर सर्जरी के लिए नवीनतम तकनीक एंडोस्कोपिक एंडोनासल सर्जरी है। इसमें खोपड़ी (कपाल) को नहीं खोलना पड़ता बल्कि नाक के माध्यम से ट्यूब डालकर सर्जरी की जा सकती है। हालांकि इस सर्जरी के लिए ब्रेन के ठीक उसी हिस्से में ट्यूब भेजकर सफल रूप से ट्यूमर हटाना और बाहर निकालना होता है जो आसान नहीं है। इस तकनीक के लिए परिवार की सहमति मिलने के बाद मरीज को भर्ती कर 14 जून को सर्जरी की गई। 4 घंटे से ज्यादा चली जटिल सर्जरी में न्यूरोसर्जन डॉ. नागर के साथ ईएनटी सर्जन डॉ. अंशुल शर्मा, डॉ. गौरव उपाध्याय, एनेसथेटिक डॉ प्रेमकिशन भी मौजूद रहे।
कैसे हुई सर्जरी
-मरीज की पूरी जांच कर ट्यूमर की साईज, स्थान आदि का पता लगाया गया।
- मरीज को सामान्य एनेस्थीसिया दिया गया।
- नाक के रास्ते एंडोस्कोप (पतली रोशनी वाली ट्यूब) और विशेष उपकरण डाले गए।
- एंडोस्कोप की सहायता से ट्यूमर को स्पष्ट रूप से देखा गया और सफलतापूर्वक नाक के जरिये बाहर निकाल लिया गया।
छठे दिन पंहुच गए घर
डॉ. नागर ने बताया कि एंडोस्कोपिक सर्जरी में सिर पर कोई चीरा या टांका नहीं लगता, जिससे दर्द कम होता है और रिकवरी का समय कम हो जाता है। सर्जरी के बाद छठे दिन ही सामान्य स्थिति में मरीज की छुट्टी भी कर दी गई है। हालांकि मौसम को देखते हुए मरीज को एक माह के लिए जरूरी दवाएं लेने की सलाह दी गई है जिससे रिकवरी के साथ ही अन्य परेशानियां भी नहीं होंगी। यह तकनीक अत्याधुनिक है, लेकिन हर प्रकार के ब्रेन ट्यूमर के लिए उपयुक्त नहीं होती। तकनीक कब इस्तेमाल की जा सकती है इसके लिए विशेषज्ञीय राय बहुत महत्वपूर्ण है।
100 से ज्यादा ब्रेन सर्जरी का अनुभव
डॉ. नागर ने रतलाम में पहली एंडोस्कोपिक सर्जरी की है,इसके पहले वे इंदौर में भी करीब आधा दर्जन एंडोस्कोपिक ब्रेन सर्जरी कर चुके हैं। जबकि 100 से अधिक पारम्परिक ब्रेन सर्जरी का भी उन्हें अनुभव है। अन्य मरीजों ने भी कहा कि बड़ी राहत है कि अब मरीजों को ब्रेन सर्जरी के लिए बड़े शहरों की ओर भागने की जरूरत नहीं पड़ती। परिजनों के बीच रहकर आसानी से पूरा उपचार मिल रहा है जिसमें खर्च भी बहुत अधिक नहीं होता।