​सोने से मुकाबला कर रही है लहसुन, रतलाम मंडी में रिकार्ड भाव में हुई नीलामी , दिपावली बाद के हुए मुहूर्त के सौदे, देखे वीडियो

 रतलाम। ​सफेद चांदी कहलाने वाली लहसुन सोने से मुकाबला करती हुई दिख रही है। रतलाम में गुरूवार को लहसुन मंडी में अब तक के रिकार्ड भाव 71171 रूपए प्रति क्विटंल में बिकी।

​सोने से मुकाबला कर रही है लहसुन, रतलाम मंडी में रिकार्ड भाव में हुई नीलामी , दिपावली बाद के हुए मुहूर्त के सौदे, देखे वीडियो


 रतलाम@Newsmpg.com  सफेद चांदी कहलाने वाली लहसुन सोने से मुकाबला करती हुई दिख रही है। रतलाम में गुरूवार को लहसुन मंडी में अब तक के रिकार्ड भाव 71171 रूपए प्रति क्विटंल में बिकी।
कृषि उपज मंडी में दिवाली के बाद के मुहूर्त सौदे में व्यपारी सांवलिया ट्रेडर्स द्वारा अब तक की सर्वोच्च बोली लगाते हुए ग्राम भटूनी के किसान शंकर सिंह की लहसुन को 71 हजार 171 रूपए प्रति क्विंटल में खरीदा। इसके पूर्व व्यापारियों एवं हम्मालो एवं मंडी के कर्मचारियों ने महूर्त खरीदी की पूजा की। मुहूर्त की खरीदी करने वाले व्यापारी एवं विक्रेता किसान का साफा बांध कर सम्मान भी किया गया।
उल्लेखनीय है कि इस बार लहसून के भाव आसमान छू रहे हैं। लहसून उत्पादक किसान इससे बेहद खूश है। अभी तेजी से जिले भर में लहसून की बोवनी भी चल रही है। देशी लहसून के मुहूर्त भाव 71 हजार से अधिक मिलने से किसान गदगद हैं। नीलामी के बाद मंडी में चर्चा चल पड़ी कि लहसून सोने से प्रतियोगिता करने में लग गई हैं।

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लहसुन की खेती से नई पहचान 
रतलाम जिले की  परंपरागत पहचान सेंव एवं गराड़ू के स्वाद, सोने  की शुद्धता और साड़ियों के व्यापार को लेकर है। इसके साथ ही अब लहसुन की खेती से जिले की नई पहचान बन रही है।  आत्मनिर्भर मप्र में एक जिला एक पहचान में सोना, सेंव के साथ लहसुन को भी लिया गया है। इस अभियान में जिले की विशेषता में लहसुन की खेती व उत्पादन को भी चिन्हित किया जा रहा है। जिले के मल्चिंग पद्धति से खेती करने के चलते किसानों को 30 फीसदी अधिक उत्पादन मिल रहा है। एक एकड़ में डेढ़ लाख रुपये तक का मुनाफा हो रहा है। जिले के रतलाम, पिपलौदा, जावरा और आलोट ब्लॉक में सर्वाधिक किसान इस पद्धति से लहसुन की खेती कर रहे हैं।  सोयाबीन की फसल काटकर किसान लहसुन लगाने में लगे हैं।


मल्चिंग खेती की तरफ बड़ा रूझान
मल्चिंग खेती के लिए खेत तैयार करने के बाद ट्रैक्टर की सहायता से मल्चिंग मशीन को खेत में उतारा जाता है। चार फीट चौड़ी क्यारी बनाकर ड्रिप लाइन फिट कर इसके ऊपर मशीन की सहायता से पूरे खेत में प्लास्टिक बिछाई जाती है। इसके बाद मशीन रोलर की सहायता से 6-6 इंच की दूरी पर छेद कर लहसुन के पौधे लगाए जाते हैं। यही विधि टमाटर, खीरा, मिर्च, तरबूज, बैंगन सहित अन्य हाईब्रिड फसलों में अपनाई जाती है। एक बीघा  खेत में 25 हजार रुपये तक लागत आती है।