अपने बच्चों पर रखें नजर, कहीं वो भी बाबा, रावण, 302, 307 गैंग के मेम्बर तो नहीं, जिले में तेजी से फैल रहा गैंग कल्चर
साइकल चलाकर आदिवासी अंचल पंहुचे एसपी ने लगाई चौपाल तो सामने आई चौंकाने वाली बातें - 13 साल के बच्चे गैंग के मेम्बर, अपराधों और गैंग वॉर में हो रहे शामिल - शातिर अपराधी बच्चों को बना रहे शिकार - माता पिता, दादी, नानी भी परेशान
रतलाम @newsmpg। 13-14 साल के बच्चे जो ठीक से खुद को और अपने परिवार को नहीं समा पाए हैं, वो गैंग वॉर, गैंग राइवलरी, लूट, मारपीट, हत्या, हत्या की कोशिश को समा रहे हैं। ये डराने वाली स्थितियां कहीं दूर नहीं हमारे- आपके पड़ोस से लेकर घरों तक फैल रही हैं।
जिले में बढ़ रहे अपराधों में किशोरों की संलिप्तता बढ़ने को लेकर एसपी अमित कुमार ने नई और अनूठी पहल की। गुरुवार सुबह एसपी अमित कुमार और एएसपी राकेश खाखा करीब 30 से 35 किलोमीटर तक साइकल चलाकर रतलाम से शिवगढ़ क्षेत्र पंहुचे। एसपी ने बीच-बीच में रुककर गांवों में कभी खाट पर बैठकर तो कभी पेड़ के नीचे ही चौपाल लगाकर आम लोगों से बातें भी कीं। आम लोगों ने न केवल अपनी समस्याएं बताईं, बल्कि इनके इस कदम को भी खुलकर सराहा। कई लोगों ने जहां स्थानीय पुलिस की लापरवाही भी उजागर की तो कुछ ने क्षेत्र में बढ़ रहे आपराधिक मामलों की जानकारी दी।
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302, 307, बाबा, रावण गैंग्स
एसपी के संवाद के दौरान यह बात निकलकर आई कि क्षेत्र में बहुत तेजी से गैंगस्टर और अपराधियों से युवा प्रेरित हो रहे हैं। इन बच्चों की आयु मात्र 13-14 साल से 17-18 साल तक की है। स्कूल, पढ़ाई या भविष्य पर ध्यान देने के बजाय इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया साइट्स पर ये गैगं मेम्बर बन रहे हैं और अपनी जिंदगी खराब कर रहे हैं। यहां 302 गैंग, 307 गैंग, रावण गैंग, बाबा गैंग सोशल मीडिया पर चल रही हैं। इन गैंग के नाम ही अपने-आप में बताने को काफी हैं कि समाज में किसी भी गैंगस्टर, गुंडे, अपराधी का महिमा मंडन कितना घातक हो सकता है। ये बच्चे हत्या और हत्या के प्रयास के लिए लगने वाली पुरानी धाराओं के साथ खुदकर को जोड़कर खुशी का अनुभव कर रहे हैं।
शातिर अपराधी बच्चों को बना रहे शिकार
एसपी ने बताया कि संवाद से यह भी देखने में आया है कि क्षेत्र के शातिर अपराधी बच्चों और किशोरों को अपने लिए काम करवाने के लिए इस तरह की गैंग्स में खींचकर बरगला रहे हैं। वे अपनी धौंस दिखाने, क्षेत्र में दबदबा कायम रखने के लिए किशोरों की भीड़ का इस्तेमाल करते हैं। अधिकतर बच्चे जानते भी नहीं है कि इस तरह की अभद्रता और बदतमीजी भी कानून अपराध हैं। जरा सी मस्ती और पॉवर के जोश में आकर वे आपराधिक प्रकरणों में संल्पित होते हैं तो पूरा केरियर चौपट हो सकता है। गैंग में शामिल होने के बाद हाट में, बाजारों में, मेलों में 20-25 किशोर इकट्ठे होकर जाते हैं और वहां दुकानदारों और कई बार आम लोगों से लूट, बदतमीजी, वसूली तक करते हैं। शाम से रात तक भी इकट्ठे होकर खड़े रहते हैं और निकलने वाले अपरीचितों को रोककर परेशान करते हैं।
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माता पिता, दादी, नानी भी परेशान
एसपी कुमार ने बताया कि सोशल मीडिया और मीडिया में गैंग कल्चर को लेकर उनके ही माता, पिता, दादी, नानी भी परेशान हैं। संवाद के दौरान समादार और आयु वाले लोगों ने भी बताया कि वे खुद भी किशोरों और युवा पीढ़ी के अपराधों की गर्त में जाने से परेशान हैं। अधिकांश युवा केवल सोशल मीडिया पर कमेंट और गैंग मेम्बर बनकर दूसरे से मैसेज वार करके खुस हैं, लेकिन इसका असर धीरे-धीरे उनके दिमाग और दिनचर्या पर पड़ रहा है। जबकि कुछ युवा छोटे मोटे अपराधों में पड़ कर जेल पंहुच रहे हैं। इससे आम आदिवासियों के जीवन में भी परेशानियां बढ़ ही रही हैं। एसपी ने बताया कि कम उम्र में ही बच्चे दिशा भटक रहे हैं जिन्हें काउंसलिंग और कार्यवाही दोनों से बताया जाएगा।
पुलिस वालों को मिली सजा
एसपी कुमार ने इस दौरान स्थानीय पुलिसकर्मियों पर इन सूचनाओं के संकलन में लापरवाही और गंभरीता के अभाव पर जमकर नाराजगी भी जताई। एसपी ने थाना प्रभारी और एसआई को 1-1 हजार रुपए के दंड की सजा सुनाई। साथ ही बीट प्रभारी, प्रधानआरक्षक और आरक्षकों को भी निंदा का दंड दिया गया। साथ ही एसपी ने अपने पूरे अमले को सख्त निर्देश भी दिए हैं कि अब साइकलिंग और संवाद जारी रहेंगे। क्षेत्र में हो रहे अपराधों और ऐसी गतिविधियों पर सूचना भी रखें और इन्हें बढ़ने से रोकने के लिए गंभीरता से एक्शन भी लें। आगे से ऐसी चूक मिलने पर सजा और भी सख्त होगी।
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