नीलगाय से परेशान 14 किसानो ने मिलकर निकाला उपाय, सैंकड़ो बीघा जमीन को किया सुरक्षित, जिले भर में किसान नीलगाय से है परेशान
एक पुरानी कहावत है ‘‘जहां चाह वहां राह ’’ यानि कोई कठिन से कठिन, असंभव कार्य हो फिर भी अगर मनुष्य हार ना माने और दृढ़ निश्चय होकर लग जाए उपाय खोजने में तो उसे रास्ता व उपाय अवश्य मिलेगा। ऐसा ही जिले के किसानो ने नीलगाय से परेशान होकर ढूंढ निकाला है।
रतलाम। (NEWSMPG.COM) एक पुरानी कहावत है ‘‘जहां चाह वहां राह ’’ यानि कोई कठिन से कठिन, असंभव कार्य हो फिर भी अगर मनुष्य हार ना माने और दृढ़ निश्चय होकर लग जाए उपाय खोजने में तो उसे रास्ता व उपाय अवश्य मिलेगा। ऐसा ही जिले के किसानो ने नीलगाय से परेशान होकर ढूंढ निकाला है।
नीलगाय यानि घोड़ा रोज से जिले भर के किसान बेहद परेशान हैं। इसी परेशानी से मुक्ति के लिए पिपलोदा तहसील के ग्राम बड़ायला माताजी के किसानों हल ढुंढ निकाला हैं। 14 किसानों ने मिलकर सैकड़ो बीघा जमीन को मजबूत जाली लगाकर कवर कर लिया हैं ताकि इसमें घोड़ारोज नही घूस सके और फसल बच जाए। बड़ायला माताजी के किसान कमलेश पटेल बताते है कि इस जगंली जानवर द्वारा किसानो की फसल बर्बाद करने के कारण कई किसान या तो खेती छोड़ने पर मजबूर हो गए है । कई फसले तो ऐसी है जिसका उत्पादन किसान घोड़ारोज के आंतक से करना बंद कर चुके है। ऐसे में इस समस्या से निपटने के लिए सब अपने -अपने स्तर से प्रयास करते रहते हैं।
कुछ किसान अपने खेत की तार फैंसिग कर सुरक्षित करने की इच्छा रखते थे लेकिन उसका खर्च बहुत ज्यादा था। इसके बाद आसपास के किसानों ने मिल कर लोहे की जाली बड़े स्तर पर लगाने की ठानी। बड़ा काम होने से लागत कम हो गई और 14 किसानों ने मिलकर करीब 175 बीघा जमीन को कवर कर दिया।
14 लाख की लागत आई
ग्राम बड़ायला के किसान ईश्वरलाल जाम्बुड़िया के मुताबिक नान्दलेटा रोड़ पर हम 14 किसानो ने मिलकर हमारी सारी जमीन को सुरक्षित कर लिया हैं। इससे नीलगाय के आंतक से मुक्ति मिलेगी। प्रतिबीघा का खर्च 7900 रूपए आया और हमने बीघे कि हिसाब से रूपए एकत्र करके एक कारीगर को करीब 14 लाख रूपए में ठेका दे दिया हैं। बड़ा काम होने से लागत कम हो गई , और किसानों पर भी ज्यादा बोझ नही आया।
इन किसानों ने की पहल
ग्राम बड़ायला माताजी के किसान कमलेश पटेल, नंदराम शाह, शांतिलाल शाह, बाबूलाल, डालूरामलकार, कारूलाल चौधरी, ईश्वरलाल जाम्बुड़िया, दशरथ कोरा, सत्यनारायण कोरा, रामचंद्र गामी, ईश्वरलाल गामी, रामकिशन चौधरी,श्यामलाल डाका, मुलचन्द्र भटोड़िया ने मिल कर ये अनोखी पहल की ।
नीलगाय के आतंक से परेशान
जिले में इन दिनों क्षेत्र के किसान नीलगाय के आतंक से परेशान नजर आ रहे है। क्षेत्र में नीलगायों के आतंक से किसानों को खेती करने में लागत अधिक हो गई है। इसके बाद भी नीलगायों के आतंक से किसान अपनी फसल को बचाने में सफल नहीं हो रहे हैं, कई जुगाड़ लगाने के बाद भी किसानों का फसल बच जाए, इसकी कोई गारंटी नहीं है.। कटीले तार जैसे ही पुराने हो रहे हैं, वैसे ही झुंड में नीलगाय खेतों में प्रवेश कर फसल को चट कर जा रही है, जिससे किसान को खेती करना महंगा ही नहीं बहुत ही कष्टदायक भी हो गया है। क्षेत्र के किसान जहां एक तरफ लगातार फसल खराबी की मार का सामना कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ नीलगाय के आतंक से भी परेशानी बढ़ी हुई है। नीलगायों के झुंड गेहूं, मक्का, गौभी, आलू, सरसों आदि फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। रात का अंधेरा हो या फिर दिन का उजाला इससे इन जंगली जानवरों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। खाने से ज्यादा इनके पैरों से फसल की बबार्दी हो रही है ऐसी स्थिति में किसान भगवान भरोसे खेती करने को मजबूर हैं।
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