घोड़ारोज यानि नीलगाय पकड़ेगी मध्यप्रदेश सरकार, इस जिले से हुई शुरूआत, विधानसभा में वनमंत्री ने दी जानकारी
नीलगाय यानि घोड़ारोज से किसान त्रस्त है। ऐसे में किसान सरकार से लगातार इनसे मुक्ति दिलाने की गुहार लगा रहे हैं। सरकार द्वारा नीलगाय नियंत्रण के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया हैं। विधानसभा में वनमंत्री ने एक सवाल के जवाब में जानकारी दी हैं।
रतलाम @newsmpg.com | नीलगाय यानि घोड़ारोज से किसान त्रस्त है। ऐसे में किसान सरकार से लगातार इनसे मुक्ति दिलाने की गुहार लगा रहे हैं। सरकार द्वारा नीलगाय नियंत्रण के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया हैं। विधानसभा में वनमंत्री ने एक सवाल के जवाब में जानकारी दी हैं।
घोड़ारोज उर्फ नीलगाय किसानों के लिए आंतक का पर्याय हो गई हैं। फसलों के दुश्मन इस वन्यप्राणी पर नियत्रंण के लिए सालों से किसान आंदोलनरत हैं। रतलाम जिले सहित प्रदेशभर में ये बड़ी समस्या बन गई हैं।
धरमपुरी विधायक कालुसिंह ठाकुर ने उठाया मुद्दा
धार जिले के धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र के विधायक कालुसिंह ठाकुर ने शुक्रवार को विधानसभा में जंगली सुअर और नीलगाय से किसानो की फसलों को हो रहे नुकसान का मुद्दा उठाया। एक सवाल के दौरान ठाकुर ने कहा कई वर्षों से अत्यधिक संख्या में घोड़ारोज और जंगली सूअर द्वारा किसानों की फसलों का प्रतिवर्ष भारी मात्रा में नुकसान किया जाता है। सरकार द्वारा समस्या के निराकरण हेतु क्या प्रयास किये जा रहे है? किसानों और जनप्रतिनिधि द्वारा घोड़ारोज को बेहोश कर वन्यअभयारण्य में छोड़ने और नर घोड़ारोज की नसबंदी हेतु शासन को अवगत कराया गया था?विभाग द्वारा कार्यवाही की गई है?
एसडीएम देगें जंगली सूअरों को मारने की अनुमति
वन मंत्री श्री नागर सिंह चौहान ने विधानसभा में बताया कि जंगली सूअरों के शिकार की अनुमति जारी करने हेतु एसडीएम को प्राधिकृत अधिकारी घोषित किया गया है।
वन्यप्राणी द्वारा किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाये जाने पर सहायता राशि का भुगतान यथा संशोधित राजस्व पुस्तक परिपत्र खण्ड छ: क्रमांक-4 के प्रावधानों के तहत किया जाता है। वन्यप्राणियों द्वारा जनहानि/जनघायल/पशुहानि/पशुघायल करने पर शासन द्वारा निर्धारित क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान प्रभावित लोगों को किया जाता है।
शाजापुर में सबसे पहले पकड़ेगें सौ नीलगाय
नीलगाय के संबंध में वनमंत्री नागरसिंह चौहान ने विधानसभा में बताया कि नीलगाय को पकड़कर अन्यत्र स्थान पर छोड़ने हेतु किसानो ने आवेदन दिया है।पायलट आधार पर प्रायोगिक तौर पर शाजापुर जिले में 100 नीलगाय को पकड़कर अन्यत्र स्थानांतरित करने हेतु अनुमति जारी हुई है। कार्यवाही आगामी शीतऋतु में प्रस्तावित है। इस प्रयोग से परिणाम के गुण-दोष के आधार पर ही अन्य जगह कार्यवाही संभव होगी। ये प्रयोग सफल रहा तो प्रदेशभर में लागू होने की संभावना बढ़ जाएगी। इससे किसानों को राहत मिलने की उम्मीद जगी हैं।
धाकड़ बोले किसान बर्बाद हो रहे है ,सरकार प्रयोग में ही लगी
इधर, प्रदेश भर में नीलगाय के आंतक को लेकर आंदोलन कर रहे किसान नेता डीपी धाकड़ ने कहा किसान बर्बाद हो रहे है और सरकार अभी तक प्रयोग में ही लगी हुई है। पूर्व में भी मंदसौर जिले से घोड़ारोज को गांधीसागर अभ्यारण में छोड़ने का प्रयोग कर चुके है। इसमें प्रति नीलगाय 36 हजार रूपए का खर्च बताया गया था। सरकार किसानों की चिंता करे और प्रयोग की बजाय बिहार की तर्ज पर घोड़ारोज की समाप्ति का प्रयास करे।
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