इंदौर की हुकुमचंद मिल की तर्ज पर होगा रतलाम की सज्जनमिल मामले का निपटारा - मंत्री चेतन्य काश्यप की पहल रंग लाई ,सरकार लेगी ज़मीन , आधुनिक व्यवसायिक परिसर का होगा निर्माण 

इंदौर की हुकुमचंद मिल की तरह शहर की बंद पड़ी सज्जनमिल की बेशकीमती जमीन अपने कब्जे में लेगी। इस जमींन पर सर्वसुविधायुक्त आधुनिक व्यवसायिक परिसर का निर्माण प्रस्तावित हैं। 

इंदौर की हुकुमचंद मिल की तर्ज पर होगा रतलाम की सज्जनमिल मामले का निपटारा - मंत्री चेतन्य काश्यप की पहल रंग लाई ,सरकार लेगी ज़मीन , आधुनिक व्यवसायिक परिसर का होगा निर्माण 
Ratlam MLA Chaitanya Kashyap



रतलाम@newsmpg.com   इंदौर की हुकुमचंद मिल की तरह शहर की बंद पड़ी सज्जनमिल की बेशकीमती जमीन अपने कब्जे में लेगी। इस जमींन पर सर्वसुविधायुक्त आधुनिक व्यवसायिक परिसर का निर्माण प्रस्तावित हैं। 
   इंदौर की हुकुमचंद मिल की तरह रतलाम की सज्जनमिल मामलें का निराकरण किया जाएगा। इसके लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री, चेतन्य काश्यप ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मार्च में पत्र देकर आग्रह किया था। काश्यप की पहल के बाद शासन ने इस मामले में तेजी से काम किया। अब मध्यप्रदेश सरकार भी हाईकोर्ट में लंबित इस मामले में पक्षकार बन गई हैं।  सज्जन मिल के 2900 मजदूरों की तीस वर्षों से बकाया मजदूरी एवं अन्य देनदारियों का भुगतान मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल और अधोसंरचना विकास मंडल के माध्यम से कराया जान प्रस्तावित हैं। उल्लेखनीय है कि 2900 मजूदरों को बकाया वेतन, भत्ते एवं एरियर की राशि के रूप में लगभग 180 करोड़ का भुगतान करना हैं। इसके साथ ही बैंक एवं अन्य व्यवसायिक बकाया भी लगभग 40- 50 करोड़ हैं। उनके भुगतान के बाद बंद पड़ी सज्जनमिल की बेशकीमती जमीन पर शासन कब्जा कर उसका व्यवसायिक उपयोग कर पाएगी। 

पक्षकार बनी सरकार 
रतलाम सज्जन मिल कंपनी परिसमापन के अन्तर्गत होकर हाईकोर्ट मध्यप्रदेश में आगामी कार्रवाई हेतु विचाराधीन है। मंत्री काश्यप के अनुसार रतलाम  सज्जन मिल की जमीन शहर के बीचों- बीच होने से उद्योग लगाने के लिए उपयुक्त नहीं है। हुकुमचंद मिल की योजना के अनुसार ही हाईकोर्ट के माध्यम से इस भूमि पर इन्दौर जैसा प्रकल्प लाकर मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल और अधोसंरचना विकास मंडल के माध्यम से रतलाम  सज्जन मिल मजदूरों, बैंकों एवं अन्य देयताओं का भुगतान कराया जा सकता है। मध्यप्रदेश सरकार अब मजदूरों एवं बैंक की तरह ही एक पक्षकार की तरह शामिल हो गई हैं। हाईकोर्ट इस सबंध में फैसला देने वाली है। इसके बाद इंदौर की तरह ही रतलाम में यह एक ऐतहासिक कार्य होगा। इससे मजदूरों के हितों की रक्षा के साथ जमींन को शहर हित में उपयोग किया जा सकेगा। 

1929  में प्रारंभ हुई थी सज्जनमिल 
सज्जनमिल रतलाम महाराजा सज्जनसिंह द्वारा दी गई भूमि पर 1929  में प्रारंभ हुई थी। 1957 में इस मिल को एस एन अग्रवाल परिवार ने अपने संचालन में लिया था और इसके बाद कई दशकों तक यह मिल  रतलाम के हजारों परिवारों के जीवन यापन का एकमात्र आधार बनी रही। 1980 तक यह मिल लाभ देने वाली मिल थी। लेकिन इसके बाद अनेक कारणों के चलते मिल घाटे में जाने लगी और 1986 में घाटे के कारण इसे बन्द कर दिया गया। अनेक आन्दोलनों और श्रमिकों के संघर्ष के बाद इस मिल को राज्य शासन ने अपने अधिकार में ले लिया और इसका संचालन फिर से शुरू हुआ। एमपी स्टेट टैक्सटाईल कारपोरेशन लिमिटेड का सरकारी प्रबन्धन इसे घाटे से नहीं उबार पाया और आखिरकार सन 1996 में सज्जनमिल पूरी तरह बन्द हो गई। मिल बन्द होने के बाद इसका प्रकरण भारत सरकार के औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड ( बोर्ड फार इण्डस्ट्रीयल एण्ड फाइनेंशियल रिकंस्ट्रक्शन-बीआईएफआर) के समक्ष प्रस्तुत हुआ। मिल को पुनर्जीवित करने के लिए दो बार अलग अलग योजनाएं प्रस्तुत की गई लेकिन दोनो बार ही इन योजनाओं को अस्वीकृत कर दिया गया।