रतलाम के ब्लड बैंकों में खत्म हुआ खून का स्टॉक, जिंदगी बचाने को जूा रहे रक्तदाता
नेगेटिव ग्रुप्स के साथ नहीं मिल रहा एबी पॉजीटिव भी, ब्लड बैंकों में खत्म हुआ खून का स्टॉक, रोज रक्त की जरूरत, गर्मियों में होती है समस्या....

रतलाम @newsmpg। रक्तदान के लिए पूरे देश में मशहूर रतलाम में इन दिनों अपने मरीजों के लिए रक्त की व्यवस्था करने में परिजन परेशान हैं। गर्मी की वजह से शहर के दोनों रक्त बैंकों में खून की लगातार कमी बन रही है। रक्तवीर आगे आ रहे हैं, लेकिन उनकी सेवाओं के बाद भी कई मरीजों और उनके परिजनों की जान बचाने के लिए हर रोज संकट बन रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार हर साल अप्रैल से जुलाई के महीनों में रक्त की कमी रहती है। दिसंबर मध्य से जनवरी तक भी रक्त की कमी होती है। विशेषज्ञों के अनुसार दशकों से गर्मी के दौरान ब्लड की समस्या सामने आती ही है। वर्तमान में मानव सेवा समिति और जिला अस्पताल की ब्लड बैंक दोनों में रक्त का स्टॉक पूरी तरह खत्म हो चुका है। हर रोज स्वैच्छिक डोनर, परिवार सदस्यों द्वारा दिए जा रहे रक्त को जांच आदि के बाद एक दूसरे को देकर किसी तरह व्यवस्था बनाई जा रही है। उन मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है जिनके परिजनों का ब्लड ग्रुप अलग है। नेगेटिव ब्लड ग्रुप और रेयर ब्लड वाले मरीजों को दूसरे ग्रुप के डोनर साथ होने पर भी रक्त के लिए लगातार परेशान होना पड़ रहा है।
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मेडिकल कॉलेज के मेल मेडिकल में भर्ती समीर बताते हैं कि उन्हें 4 दिन पहले रक्त चढ़ाने की आवश्यक्ता बताई गई, लेकिन जिला अस्पताल ब्लड बैंक से व्यवस्था नहीं हो सकी। चौथे दिन मानव सेवा समिति से ब्लड मिला। रेलवे अस्पताल में भर्ती राकेश मीणा ने बताया कि पत्नी को लगातार 3 यूनिट रक्त की आवश्यक्ता थी। 2 परिजनों द्वारा ब्लड देने के बावजूद तीसरी यूनिट 5 दिन बाद मिला। जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर में भर्ती जगदीश वसूनिया ने बताया कि बेटे के आॅपरेशन के लिए 2 यूनिट रक्त चाहिए था। ब्लड ग्रुप अलग होने से बहुत मुश्किल से रक्त उपलब्ध हो
इतने रक्त की रोज जरूरत, रेयर ग्रुप की भी...
आंकड़ों के अनुसार औसत रूप से जिला अस्पताल में स्थित ब्लडबैंक में प्रतिदिन 60-70 यूनिट रक्त दिया जाता है। यहां से जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, एमसीएच, बाल चिकित्सालय में भर्ती मरीजों को रक्त दिया जाता है। इनमें एक्सीडेंट, जटिल सर्जरी, कैंसर, गर्भावस्था, प्रसव, थैलेसीमिया आदि के मरीज अधिक होते हैं। इसके अलावा मानव सेवा समिति से प्रतिदिन 25-30 यूनिट रक्त दिया जाता है। अमूमन यह निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को दिया जाता है। औसत रूप से 90-100 यूनिट रक्त की जरूरत प्रतिदिन पड़ती है। पूरे ही साल एबी नेगेटिव, ओ नेगेटिव की सर्वाधिक कमी रहती है। ए- नेगेटिव, बी नेगेटिव भी हमेशा आवश्क्यता में होता है। फिलहाल एबी पॉजीटिव की भी बहुत कमी बनी हुई है।
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इसलिए गर्मियों में होती है समस्या
- -रक्तदान के लिए वर्षो से निस्वार्थ कार्य कर रहे समाजसेवी गोविंद काकानी, कचरू राठौड़ आदि बताते हैं कि हर साल गर्मियों में इस तरह की परेशानी सामने आती है।
- -गर्मी में पसीने, डिहाईड्रेशन के कारण बोर्डर पर रहने वाले लोगों में भी चक्कर, खून की कमी जैसी दिक्कतें होने लगती हैं जिससे डोनर की संख्या कम हो जाती है।
- -दूर के इलाकों, गांवों से आने वाले डोनर भी गर्मी के कारण कम हो जाते हैं। -अधिक तापमान में अधिक संख्या में एकत्रित रक्त को स्टोर करना मुश्किल होता है। इसलिए रक्तदान शिविर नहीं लग पाते हैं।
- -लोग छुट्टी पर जाते हैं और यात्रा करते हैं, जिससे रक्तदान करने वाले लोगों की संख्या कम हो जाती है।
- - गर्मी में एक्सीडेंट या बीमार में तापमान के असर से रक्त स्त्राव तेज होता है जिससे रक्त की आवश्यकता अधिक होती है।
इन रक्तदूतों को सेवा को सलाम
गर्मियों में हो रही परेशानियों के बीच कई रक्तदाता लगातार निस्वार्थ सेवा से जिंदगियों को बचाने में मदद कर रहे हैं। 5 मई से अब तक ही ललित वर्मा ने 20वीं बार, अनुराह पुरोहित ने 29वीं बार, अमित पिरौदिया ने 11वीं बार, सीए अपूर्व मूणत ने 10वीं बार, राजेश पुरोहित ने 106वीं बार ओ नेगेटिव, खोजेमा कागदी ने 45वीं बार ए नेगेटिव, गजेंद्र परमार ने 15वीं बार ए नेगेटिव, अरुण मकवाना ने 8वीं ए नेगेटिव, पवन ने बी नेगेटिव, शैलेंद्र परमार, अमित जोगे, अक्षांश मिश्रा, बादल वर्मा, जगप्रीत टूटेजा, शगुन बड़जात्या, प्रितेश गादिया, महाकाल ग्रुप, हेल्पिंग हैंड्स ग्रुप आदि लगातार रक्तदान कर रहे हैं।
आगे आएं करें रक्तदान
गर्मियों में स्वैच्छा से रक्तदान के लिए स्वस्थ और युवाओं को आगे आना चाहिए। रक्तदान से किसी की जिंदगी बच सकती है। 18 से 65 साल के लोग जिनका वजन कम से कम 50 किलोग्राम है वे रक्तदान कर सकते हैं। वर्तमान में बच्चों, महिलाओं, बीमार पुरुषों को रोज रक्त की आवश्यक्ता होती है जिनके लिए युवा जीवनदाता बन सकते हैं।
- प्रीति सोलंकी एडवोकेट, रक्तवीर एवं समाजसेवी
गर्मियों में हर साल कई कारणों से आम लोगों को रक्त की कमी के कारण बहुत परेशान होना पड़ता है। न चाहते हुए भी देरी पर अनहोनी भी हो सकती है। हम सभी पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन स्वैच्छिक रक्तदाताओं को आगे आना चाहिए। हर स्वस्थ व्यक्ति यदि साल में केवल एक बार भी रक्तदान करता रहे, तो रक्त की कमी नहीं होगी। खासकर परिवार, पड़ोसियों और दोस्तों को मरीजों के लिए हिचकिचाना नहीं चाहिए। रक्त दान करने से शरीर और अधिक मजबूत और स्वस्थ बनता है।
- मोहनलाल मुरलीवाला पूर्व अध्यक्ष ब्लड बैंक, मानव सेवा समिति, रतलाम
जो भी व्यक्ति गंभीर बीमारी, संक्रमण से पीड़ित नहीं उन्हें गर्मियों में खास तौर पर रक्तदान करना चाहिए। स्वस्थ लोग हर तीन महीने में रक्तदान कर सकते हैं। इससे शरीर में तेजी से खून बनता है। रक्तदान के बाद पर्याप्त मात्रा में पानी पीयें, फल खाएं और कुछ देर आराम करें ताकि शरीर को कोई नुकसान न हो। रक्तदान के समय खून की जांच भी होती है जिससे व्यक्ति को समय पर कई बीमारियों के बारे में भी पता चल सकता है।
- दिलीप भंसाली, रक्तवीर एवं समाजसेवी
वर्तमान में एबी पॉजीटिव और सभी नेगेटिव ब्लड ग्रुप की ज्यादा कमी हो रही है। हमारा सभी स्वस्थ लोगों से निवेदन है कि वे रक्तदान के लिए ऐसे समय आगे आएं ताकि हर रोज जानों को बचाने में आपकी भी आहुति हो। रक्त की जरूरत किसी को भी कभी भी पड़ सकती है और यह केवल एक दूसरे से ही पूरी हो सकती है। रक्तदान के लिए इच्छुक लोगों को ध्यान रखना चाहिए कि हाल ही में टैटू बनवाया है या विदेश की यात्रा की है, तो कुछ महीने तक रक्तदान नहीं कर सकते हैं।
- राजेश पुरोहित, रक्तवीर, समाजसेवी
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