मध्यप्रदेश को भाजपा की उर्वर भूमि में तब्दील करने में नेहरू के खास सीएम को हराने वाले डॉ लक्ष्मीनारायण पाण्डेय का योगदान अहम- जन्मजयंती पर विशेष-

विश्व की सबसे बड़े राजनैतिक दल और देश की सत्ता पर आसीन भाजपा की नींव में कड़ी मेहनत,त्याग व समर्पण शामिल हेै। मालवा क्षेत्र को जनसंघ की उर्वर भूमि में तब्दील करने के बाद प्रदेश को भाजपा का गढ़ बनाने में जिन योद्धाओ का योगदान है , उनमें आठ बार सांसद बनने वाले डॉ लक्ष्मीनारायण पाण्डेय का नाम अग्रणी पंक्ति में है।

Mar 25, 2025 - 16:35
Mar 29, 2025 - 17:07
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मध्यप्रदेश को भाजपा की उर्वर भूमि में तब्दील करने में नेहरू के खास सीएम को हराने वाले डॉ लक्ष्मीनारायण पाण्डेय का योगदान अहम- जन्मजयंती पर विशेष-
  • मुकेशपुरी गोस्वामी

    विश्व की सबसे बड़े राजनैतिक दल और देश की सत्ता पर आसीन भाजपा की नींव में कड़ी मेहनत,त्याग व समर्पण शामिल हेै। मालवा क्षेत्र को जनसंघ की उर्वर भूमि में तब्दील करने के बाद प्रदेश को भाजपा का गढ़ बनाने में जिन योद्धाओ का योगदान है , उनमें आठ बार सांसद बनने वाले डॉ लक्ष्मीनारायण पाण्डेय का नाम अग्रणी पंक्ति में है। जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी की नींव रखने में अहम किरदार निभाने वाले पूर्व सांसद व भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्व. डॉ लक्ष्मीनारायण पांडेय हैं ,जो राजनीति में शुचिता के प्रतीक माने जाते हैं। रतलाम जिले के छोटे से गांव सूजापुर में जन्मे डॉ पांडेय राजनीतिक जीवन की शुरूआत में ही दुनिया भर में तब चर्चित हुए जब उन्होने देश के प्रधानमंत्री पं.जवाहर नेहरू के चहेते और मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ कैलाश नाथ काटजू को विधानसभा चुनाव में जावरा से पराजित कर दिया
    इस चुनाव के परिणाम में डॉ पांडेय को पूरे देश में चर्चित कर दिया, वही जनसंघ को भी एक नई पहचान दिलाई। इस घटनाक्रम का कांग्रेस की राजनीति में भी गहरा असर हुआ। चुनाव में पराजित होने के बाद डॉ काटजू कभी भी वापस लौटकर जावरा नहीं पहुंचे। स्वंय पंडित नेहरू चुनाव परिणाम से आश्चर्यचकित हुए। बीबीसी ने अपने समाचार में विशेष जिक्र किया। क्योंकि सत्ताधारी मुख्यमंत्री की पराजय देश की पहली ऐसी पराजय थी। डॉ लक्ष्मीनारायण पांडेय ने इस सफल शुरूआत के बाद पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को डॉ पांडेय के रूप में एक ऐसा साथी व सहयोगी मिला जो मालवा क्षेत्र में जनसंघ व भाजपा की जड़े मजबूत कर वटवृक्ष बनाने में अहम किरदार निभा सकता था ।वाजपेई के विश्वास को डॉ पांडेय ने भी निष्फल नहीं किया ।आपने 1971 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और मंदसौर नीमच लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व संसद में किया। उसके बाद डॉ पांडेय ने  लगातार आठ बार  क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए संसदीय क्षेत्र को विकास कार्यों की कई सौगाते भी दिलाई ।सहज, सरल व सौम्य स्वभाव के धनी डॉ पांडेय क्षेत्र में इतने लोकप्रिय थे कि उन्हें क्षेत्र में मालवा का गांधी के नाम से कहा जाता था ।जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी के सफर में डॉ लक्ष्मीनारायण पांडेय का अभूतपूर्व योगदान भी माना जाता है ।

            अटल बिहारी वाजपेयी के समकालीन रहे डॉ पांडेय

  • राजमाता विजयाराजे सिंधिया, अटल बिहारी वाजपेयी, कुशाभाऊ ठाकरे ,प्यारेलाल खंडेलवाल, सुंदर सिंह भंडारी,भैरो सिंह शेखावत जैसे वरिष्ठ के समकालीन रहे डॉ पांडेय  भी गांव गांव जाकर साइकिल ,तांगे व दुपहिया वाहनों से  संगठन को मजबूती दिलाने और कार्यकतार्ओं की फौज को तैयार करने में कड़ी मेहनत की । जिसके फलस्वरूप मंदसौर ,नीमच ,रतलाम ,उज्जैन,शाजापुर, धार, देवास में  राष्ट्रवादी विचारों से ओतप्रोत होकर एक ऐसा क्षेत्र बन गया जहां राष्ट्रीय विचारधारा की जड़े फेल सी गई।उस समय की कांग्रेस सरकारों के जनविरोधी कार्यो का विरोध करना भी जोखिम भरा कार्य था ,क्योकि सरकारों के खिलाफ आवाज उठाना अपराध माना जाकर कार्यवाही की जाती थी।ऐसी विकट परिस्थितियों के बीच कार्यकर्ताओ का मनोबल बढाकर निरन्तर संगठन को सशक्त बनाने के जटिल कार्य को बखूभी निभाने के प्रयास में डॉ पांडेय सफल रहे। हालांकि आपातकाल के दौर में अन्य राष्ट्रवादी नेताओ के साथ डॉ पाण्डेय भी जेल गए ,लेकिन इस बुरे दौर के बाद मजबूती से उभर कर आये । जिसके फलस्वरूप जनमानस ने भी इन्हें अपना नेता माना। सांसद के रूप क्षेत्र को रेलवे,दूरसंचार, सड़को,पेयजल व्यवस्था, औद्योगिक क्षेत्र ,ऊर्जा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय स्वीकृति दिलाने में सफल रहे डॉ पांडेय ने अपनी विद्वत्ता और कार्यकुशलता से एक विशिष्ट पहचान भी बनाई। जिसके फलस्वरूप विदेश व रक्षा मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभिन्न स्थायी समितियो के सभापति रहे।इसके अलावा लोकसभा अध्यक्षयीय पैनल में लंबे समय तक सदस्य रहकर लोकसभा का संचालन किया।

    विदेशो में किया देश का नेतृत्व

    अपने संसदीय कार्यकाल के दौरान भारतीय प्रतिनिधि मंडल के सदस्य के रूप में 23 देशों की यात्रा की।विश्व हिंदी सम्मेलन व सीपीए सम्मेलन में भी भारतीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व किया। कुशल संगठक के रूप में विख्यात डॉ पांडेय म.प्र. भारतीय जनता पार्टी के सफल प्रदेश अध्यक्ष रहे।आपके कार्यकाल में ही प्रदेश कार्यालय का शुभारंभ हुआ।जो देश के सबसे उत्कृष्ट भाजपा कार्यालयों में जाना जाता रहा । प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पूरे प्रदेश का दौरा किया। कांग्रेस सरकार में विपक्षी दल के रूप भाजपा संघर्ष कर रही थी ऐसे दौर में संगठन को सशक्त करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को बखूबी निभाने वाले डॉ पांडेय ने वर्तमान के कई नेताओं को राजनैतिक जीवन की शुरूआत कराने और विधानसभा में टिकिट देकर विश्वास जताने का भी कार्य किया। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी भी उस समय डॉ पांडेय के निवास पर संगठन की मन्त्रणा किया करते थे।इस कार्यकाल में अटल बिहारी वाजपेयी के साथ जम्मू कश्मीर में आंदोलन का हिस्सा भी बने। हालांकि वर्तमान राजनीतिक में भाजपा भी नए कलेवर के साथ देश व प्रदेश में उभर कर स्थापित हो गयी,लेकिन पार्टी को इस स्थिति में खड़ा करने में एक स्तम्भकार के रूप में डॉ पांडेय ने अहम जिम्मेदारी निभाई। राजनेतिक कार्यकाल में मंत्री जैसे पद से सुशोभित नही होने का मलाल डॉ पांडेय को कभी नही रहा,ऐसा ही स्वभाव उनके पुत्र विधायक डॉ राजेन्द्र पांडेय में भी देखने को मिलता है।1998 से जावरा क्षेत्र से भाजपा के रूप में चुनाव लड़ रहे राजेन्द्र पांडेय ने तीन चुनाव में विजय होकर परम्परागत कांग्रेस सीट को भाजपा की विचारधारा में परिवर्तित कर दिया।
    रतलाम, मंदसौर व नीमच के अलावा म.प्र व राजस्थान निश्चित रूप से भाजपा के गढ़ माने जाते है,जिसके पीछे डॉ लक्ष्मीनारायण पांडेय जैसे व्यक्तित्व की मेहनत,त्याग व संगठन के प्रति समर्पण है। ऐसे कर्मठ योद्धा को उनकी जन्मजयंती पर सादर श्रद्धांजलि।

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