कोविड के बाद मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ा! अब सरकार कर रही देशभर में दिमाग़ी हालत का टेस्ट
– युवाओं में बढ़ता स्ट्रेस, एंग्जायटी, हार्ट अटैक तक का खतरा; केंद्र ने शुरू किया नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे-2 NMHS-2: मानसिक स्वास्थ्य पर देशव्यापी सर्वे शुरू कोविड के बाद बढ़ती मानसिक बीमारियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने NIMHANS के ज़रिए नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे-2 शुरू किया है। यह सर्वे भारत के सभी राज्यों में किशोरों और वयस्कों की मानसिक स्थिति, इलाज की पहुँच और सामाजिक असर का आकलन करेगा।

नई दिल्ली@Health Desk.. कोविड के बाद से देश की मानसिक सेहत लगातार गिरावट पर है। दफ्तर का दबाव, पढ़ाई का तनाव, रिश्तों की उलझन और सोशल मीडिया की दुनिया में खोए युवा अब सिर्फ डिप्रेशन तक सीमित नहीं, बल्कि हाई ब्लड प्रेशर और यहां तक कि हार्ट अटैक के शिकार भी हो रहे हैं। इन हालातों से चिंतित केंद्र सरकार अब जानना चाहती है कि भारत की असली ‘मेंटल कंडीशन’ कैसी है।
इसी के तहत स्वास्थ्य मंत्रालय ने बेंगलुरु स्थित NIMHANS को सौंपा है नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे-2 (NMHS-2) का जिम्मा — एक देशव्यापी सर्वे, जो बताएगा कि भारत के लोग आज दिमाग़ी तौर पर कितने स्वस्थ हैं।
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???? क्या जानना चाहती है सरकार?
इस सर्वे का मकसद है यह पता लगाना कि—
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कितने लोग मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं?
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इलाज के लिए कौन कहां और कैसे मदद मांगता है?
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बीमारी से परिवार पर कितना आर्थिक और सामाजिक असर पड़ता है?
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और सबसे अहम — क्या देश की स्वास्थ्य व्यवस्था मानसिक रोगियों के लिए तैयार है?
???? किन्हें किया जाएगा शामिल?
NMHS-2 देश के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में चलेगा।
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13 से 17 वर्ष के किशोर और 18+ के वयस्क इस सर्वे का हिस्सा बनेंगे।
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36 राज्यों/केंद्रशासित क्षेत्रों के 180 जिलों में होंगे सर्वे
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गांवों से लेकर बड़े शहरों और आदिवासी क्षेत्रों तक, हर वर्ग का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाएगा।
???? कैसे चलेगा सर्वे?
इस सर्वे में वैज्ञानिक और निष्पक्ष तरीकों से लोगों को चुना जाएगा:
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जनसंख्या और गरीबी इंडेक्स के आधार पर हर राज्य से 5 जिले
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गांवों, छोटे शहरों और मिलियन-प्लस शहरों से बेतरतीब चयन
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घर-घर जाकर पूछे जाएंगे सवाल — चिंता, अवसाद, नशा, नींद, आत्महत्या जैसे विषयों पर
???? मेंटल हेल्थ सिस्टम की भी होगी जांच
सिर्फ आंकड़े ही नहीं, सर्वे में यह भी परखा जाएगा कि हमारे अस्पताल, डॉक्टर और काउंसलिंग संस्थान मेंटल हेल्थ की ज़रूरतों को कितनी गंभीरता से लेते हैं।
???? तो क्या बदलेगी सरकार की नीति?
सर्वे के नतीजे तय करेंगे कि केंद्र सरकार मानसिक स्वास्थ्य नीति में क्या बदलाव लाएगी, किन राज्यों को ज्यादा फंड मिलेगा और किस वर्ग को सबसे पहले मदद की ज़रूरत है।
???? “साइलेंट पैंडेमिक” बन चुकी मानसिक बीमारी से लड़ने की दिशा में सरकार का यह बड़ा कदम है – अब वक्त है सोचने का, समझने का और संभलने का।
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