मदरसा कांड में क्लीन चिट देने पर रतलाम की अधिकारी पर बाल आयोग हुआ नाराज - जाने पूरा मामला 

ट्वीट करके आयोग ने की तल्ख टिप्पणी राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने मंगलवार को किया ट्वीट गंभीर अनियमितताओं को देखते हुए आयोग ने जिला प्रशासन पर भी नाराजगी जताई थी

मदरसा कांड में क्लीन चिट देने पर रतलाम की अधिकारी पर बाल आयोग हुआ नाराज -  जाने पूरा मामला 
Bal Ayog Nirikshan in Ratlam Madarasa


रतलाम @newsmpg

रतलाम में संचालित एक मदरसे में बच्चियों को बदतर हालातों में ठूंस कर रखने, स्कूल नहीं भेजने के मामले में अब बाल आयोग रतलाम प्रशासन की एक अधिकारी के खिलाफ भी बाल आयोग नाराज हो गया है। राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने मंगलवार को ट्वीट (एक्स) करते हुए उल्लेख किया कि रतलाम की इन महिला अधिकारी ने बयान में मदरसे के क्लीन चिट दे दी, जबकि आयोग ने इन्हें जांच करने के निर्देश दिए हैं। मदरसे में गंभीर अनियमितताएं और बच्चियों को क्रूरता से रखना पाया गया था।

कमरों में कैमरे लगे पाए गए थे, जिनकी डीवीआर भी जप्त करने के लिए जिला प्रशासन को कहा गया था। बाल आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने मंगलवार को ट्वीट किया है। इसमें इन अधिकारी के खिलाफ नाराजगी जताई है। इसके पहले बाल आयोग की सदस्य निवेदिता शर्मा ने 31 जुलाई को रतलाम दौरे के दौरान मदरसे का निरीक्षण किया था। दारुल उलूम आयशा सिद्धीका लिलबिनात नाम के इस मदरसे में कई कई गंभीर अनियमितताएं सामने आई थी। तभी से यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं में है। 

नंगे फर्श पर पड़ी मिली थी बुखार से पीड़ित 8 वर्षीय मासूम

कार्यवाही के दौरान बाल आयोग की सदस्य के सामने इस मदरसे में बच्चियां बहुत बुरी हालातों में रखी हुई पाई गई थीं। आयोग ने पाया था कि छोटी बड़ी कई बच्चियों को कमरों में रखा गया था जिसके पर्याप्त स्थान भी नहीं था। सोने के लिए केवल दरी थी वह भी सभी को नहीं मिल रही थी। कई बच्चियां बीमार थीं लेकिन उनकी देखरेख का कोई इंतजाम नहीं था। निरीक्षण में एक 8 वर्षीय बच्ची तेज बुखार से पीड़ित नीचे नंगे फर्श पर पड़ी थी। सुरक्षित और उचित जीवन यापन के लिए जरूरी अधिकांश संसाधन भी मौजूद नहीं थे। इन गंभीर अनियमितताओं को देखते हुए आयोग ने जिला प्रशासन पर भी नाराजगी जताई थी। साथ ही सरकार से मदरसे पर कठोर कार्रवाई करने की मांग की थी। 

कमरे में थे कैमरे, डीवीआर होनी थी जप्त

निरीक्षण के दौरान आयोग सदस्य ने पाया था कि यहां दूर दूर से बच्चियों को लाकर रखा जा रहा है जबकि इसकी विधिवत अनुमति भी उस समय संचालक नहीं बता पए। बच्चियां जिन कमरों में रहती थीं वहां भी सीसीटीवी कैमरे लगे थे। बच्चियों को स्कूल तक नहीं भेजा जाता है। बच्चियों की निजता और शिक्षा के मूल अधिकारों के हनन पर नाराजगी जताते हुए निवेदिता शर्मा ने जिला प्रशासन से तत्काल इनकी डीवीआर जप्त करने के लिए कहा था। परंतु मंगलवार को अपने ट्वीट में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने लिखा कि यह डीवीआर भी अब तक जप्त हुई है या नहीं इसकी जानकारी नहीं मिली है। ऐसे में आयोग अब नोटिस भी जारी कर सकता है। 

अधिकारी के बयान पर आयोग सख्त

बाल आयोग ने रतलाम में पदस्थ एडीएम डॉ. शालिनी श्रीवास्तव के बयान पर भी नाराजगी जताई है। ट्वीट में इनके बाईट देती हुई तस्वीर भी सा­ाा करते हुए कहा गया है कि इन्होंने बिना जांच, बिना तथ्यों के सामने आए ही मदरसे को क्लीन चिट दे दी है। जबकि आयोग बच्चियों के अधिकारों के हनन और क्रूरता के साथ रखने के मामले में अत्याधिक गंभीरता दिखाने के लिए कहा था। यह बयान उन्होंने आयोग के निर्देश पर मदरसे का निरीक्षण करने के बाद मीडिया से चर्चा में दिया था। 

प्रतिवेदन में की गई है कड़ी कार्यवाही की सिफारिश 

बाल आयोग सदस्य निवेदिता शर्मा ने निरीक्षण के दौरान प्रतिवेदन बनाकर राज्य शासन को भेजा है। इसमें कहा गया है कि मदरसा संचालक स्थानीय स्तर पर मामले को खुदबुर्द करने के लिए प्रशासन को भ्रमित करने का प्रयास कर रहा है। मदरसे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए जहां बच्चियों के वर्तमान में भविष्य से खिलवाड़ हो रही है।

पोर्टल बंद होने का बनाया था बहाना

निरीक्षण के दौरान मदरसा संचालन समिति के अध्यक्ष मोहम्मद आसिफ ने कहा था कि मदरसा बोर्ड का पोर्टल बंद होने के कारण वे मान्यता के लिए आवेदन नहीं कर पाए। मदरसे की नई कमेटी छह माह पूर्व बनी है और जो कमियां सामने आती जाएंगी, उन्हें सुधारने का प्रयास किया जाएगा। पंरतु निरीक्षण में पाया गया था कि कमेटी ने भी रिपोर्ट में कमियां उजागर की थी लेकिन उनपर कोई काम नहीं किया गया। मदरसे में 150 बालिकाएं हैं, जिन्हें सामान्य शिक्षा तक नहीं मिल पा रही है। मदरसे में कोई रिकॉर्ड या दस्तावेज उपलब्ध नहीं थे।