लापरवाही के ‘‘अमृत’’ से लोगों की जान मुसीबत में..  -सड़क के बीच गड्ढ़े, किनारे पर खाईयां, - एक जान जाने के बाद भी नहीं जाग रहे जिम्मेदार

- अमृत-2 योजना के विकास के इंतजार में रोज चोटिल हो रहे लोग  - काम के भौतिक निरीक्षण, गुणवत्ता और समय सीमा को लेकर भी उठ रहे सवाल  -सड़क के बीच गड्ढ़े, किनारे पर खाईयां

Feb 22, 2025 - 17:04
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लापरवाही के ‘‘अमृत’’ से लोगों की जान मुसीबत में..  -सड़क के बीच गड्ढ़े, किनारे पर खाईयां, - एक जान जाने के बाद भी नहीं जाग रहे जिम्मेदार
Ratlam Assi feet

रतलाम @newsmpg

सड़क किनारे गहरी खाईनूमा नालियां, मिट्टी के ढ़ेर, कीचड़, मुख्य सड़क के बीच तक फैली पार्किंग और ठेले, बीच में गहरों गड्ढ़ों और मलबे का अम्बार। ये किसी दूरस्थ गांव की बात नहीं, ये शहर के तथाकथित विकसित कस्तूरबानगर, अस्सफीट, शक्तिनगर से लेकर डोंगरे नगर तक के हाल हैं। दम तोड़ चुकी सड़क बनने के पहले अमृत-2 योजना के तहत पेयजल सप्लाई पाइप डालने के काम की रफ्तार ऐसी है कि मोच आए हुए कछुए को भी शर्म आ जाए। लोग रोज गड्ढ़ों में घिरकर घायल और अपने ही घरों में कैद हो गए हैं। ट्रैफिक व्यवस्था रेंगने में हांफ रही है। 


पक्ष विकास की दुहाई में समस्या देखने को राजी नहीं, विपक्ष वैराग्य प्राप्ति वाली मुद्रा में दिखाई दे रहा है। कस्तूरबानगर मेन रोड निर्माण के पहले लगभग तीन महीनों से अमृत-2 योजना के तहत नई पेयजल सप्लाई पाईप लाइन बिछाने का काम चल रहा है। ये काम इतनी लापरवाही, इतनी धीमी गति और इतनी उदासनीता से चल रहा है कि अब तक दर्जन भर लोग इसका शिकार होकर चोटिल हो चुके हैं। डोंगरे नगर में इसी लापरवाही के चलते एक 3 वर्षीय बच्ची की जेसीबी की चपेट में आने से मौत तक हो गई, लेकिन नगर निगम के इंजीनियर साइट पर झांकने से झेंप रहे हैं। 

हो रहा मनमर्जी खुदाई और काम 

नगर निगम ने इंजीनियर बृजेश कुशवाह और राहुल जाखड़ को कार्य निरीक्षण का दायित्व सौंपा गया है। लेकिन 4 महीनों में चार बार भी क्षेत्रवासियों ने उन्हें नहीं देखा है। वहीं गुजरात के ठेकेदार एमपी पटेल ने लिया है, लेकिन खुद काम करने के बजाय उसने भी पेटी कांट्रेक्ट पर काम अलग-अलग लोगों को दिया है। लोगों की शिकायत है कि अधिकारी, कर्मचारी मॉनीटरिंग के लिए नहीं आ रहे जिससे मनमर्जी चल रही है। होना ये था कि एक टुकड़े को खोदकर वहां पाइप डाल, सुधार करने के बाद काम आगे बढ़े। लेकिन हो यह रहा है कि मर्जी से घरों के बाहर सड़क के दोनों ओर खुदाई करके छोड़ मलबे सहित छोड़ दिया जा रहा है। कहीं 15 तो कहीं 30 दिन बाद पाइप डाले जा रहे हैं और मलबा वापस डालने में और 15 दिन लग रहे हैं। नतीजा यह है कि 3-4 महीनों से लोगों के लिए बिना चोटिल हुए घरों से काम पर जाना और लौटकर आना भी चुनौती बन गया है। 

बारात, पार्किंग के बीच निकलने में फूली सांस 

गुरुवार रात को सुमंगल गार्डन के सामने वाली सड़क खुदी हुई नालियों, मिट्टी के ढ़ेर से पटी सड़क और सड़क पर वाहनों की पार्किंग के बीच बारात में नाच कूद रहे और पटाखे फोड़ रहे बारातियों और डीजे के शोर के बीच से निकलने में वाहन चालक हांफ गए। रात लगभग 11 बजे तक हालात ऐसे रहे कि बूढ़े, बच्चे भी वाहनों की पेंपे और डीजे के कानफोड़ू शोर के बीच फंसकर घबराते रहे। सूचना के बाद पुलिस ने आकर किसी तरह वाहनों को निकाला, लेकिन पुलिस जवान भी परेशान हो गए। 

घरों के बाहर 15-20 दिनों से गहरी खंतियां

मुख्य सड़क किनारे पाइप लाइन डालने के लिए 5-6 फीट गहरी नाली खोदी जा रही है। कस्तूरबानगर से अस्सी फीट जैन मंदिर वाले मुख्य रोड पर एक सप्ताह से गहरे खाई नूमा हिस्सा खोदकर छोड़ दिया गया है। अस्सी फीट की अधिकतर सड़कों के दोनों ओर गहरी खाईयां 20-30 दिनों से वैसी ही हैं। शक्तिनगर मेन रोड से होते हुए सुमंगल गार्डन के सामने वाली मेन रोड तक करीब 15-20 दिनों से खोद कर छोड़ दी गई है। लोगों के मकानों, दुकानों के सामने किसी ने खुद ही किसी तरह फर्सी का टुकड़ा तो किसी ने लकड़ी का पटिया रखकर अस्थाई रास्ता बना रखा है। पाइप लाइन बिछाने में इतनी देरी की जा रही है कि कई दिनों से लोग अपने ही घरों में कैद हो गए हैं। खास तौर पर अस्सीफीट क्षेत्र में कई घरों के सामने वाली सड़कें 1 महीने से इसी हालत में खुदी हुई पड़ी है। 

गिरकर हो रहे घायल, कोई सुनने वाला नहीं 

श्रृंगी नगर निवासी निशिथ मिश्रा ने बताया कि घर करीब 10 दिन से गली का मुहाना भी खुदा हुआ था। काम पर आने-जाने के लिए भी निकलना दुश्वार रहा। लक्ष्मीबाई ने बताया कि वे वृद्ध हैं और तबियत बिगड़ने पर अस्पातल जाने के लिए एक मात्र रास्ता लकड़ी का पटिया था जिसे पार करने में वे गड्ढ़े में गिरकर चोटिल हो गईं। अस्सीफीट निवासी भरत गुप्ता बताते हैं कि इस इलाके में बेतरतीबी से किसी भी गली में काम आधा छोड़कर अगली गली में काम किया जा रहा है। इस कारण एक ओर करीब एक महीने से गहरी नालियां ही खुदी पड़ी हुई हैं। कई लोग बच्चे, जानवर इनमें गिरकर घायल होते रहते हैं। मनीष नगर निवासी सुधा विश्वकर्मा बताती हैं कि मेन रोड करीब 20 दिन से खुदा है जिससे बच्चों को ट्यूशन पर छोड़ने जाते वक्त बच्ची समेत नाली में गिरकर घायल हो गईं। ऐसे हादसे आए दिन हो रहे। 
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जिम्मेदार झाड़ते रहे पल्ला
आम लोगों को हो रही परेशानियों को लेकर जब नगर निगम के जिम्मेदारों से संपर्क करने की कोशिश की गई तो सभी एक दूसरे की जिम्मेदारी बताकर पल्ला ­ााड़ने लगे। 

-महापौर प्रहलाद पटेल से संपर्क करने के लिए उन्हें 2 बार फोन लगाया गया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव ही नहीं किया। 

- निगम आयुक्त हिमांशु भट्ट ने कहा कि - शहर में सब इंजीनियर राहुल जाखड़ को मॉनीटरिंग का जिम्मा दिया गया है। उनकी देखरेख में काम हो रहा है। ऐसे में देरी या लोगों को हो रही परेशानियों पर वे ही स्पष्ट जानकारी दे सकेंगे। 

- काम करने वाले ठेकेदार मधुसुदन ने बताया कि - कई बार विभागों से परमिशन मिलने में देरी हो रही है। इस कारण काम पूरा करने में भी देरी होती है। शक्ति नगर से सुमंगल गार्डन के सामने वाली सड़क पर आज ही पाईप डालकर मलबा बिछाने का काम किया जाएगा। 

- कार्य के इंचार्ज सिविल इंजीयिर बृजेश कुशवाह ने बताया कि -ठेकेदार द्वारा रोज ही काम किया जा रहा है। दिन में ट्रैफिक की वजह से देरी होती है। लेकिन रात में भी मुख्य जहगों पर काम हो रहा है। कभी पुरानी पेयजल पाइप लाइन को क्षति तो कभी औजारों में तकनीकी समस्या के कारण देरी हो जाती है। कोशिश की जा रही है कि काम को समयसीमा में पूरा किया जाए। 
 

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