54 दिन बाद पलसोड़ा के सरपंच के भ्रष्ट्राचार एवं अवैध खनन की जांच रिपोर्ट शुक्रवार को पेश होगी

जिलें भर में चर्चित पलसोड़ा ग्राम पंचायत के सरपंच के खिलाफ भ्रष्ट्राचार एवं अवैध खनन की जांच रिपोर्ट आखिरकार लंबे समय बाद शुक्रवार को प्रस्तुत की जाएगी।

54 दिन बाद पलसोड़ा के सरपंच के  भ्रष्ट्राचार एवं अवैध खनन की जांच रिपोर्ट शुक्रवार को पेश होगी
54 दिन बाद पलसोड़ा के सरपंच के  भ्रष्ट्राचार एवं अवैध खनन की जांच रिपोर्ट शुक्रवार को पेश होगी

रतलाम। जिलें भर में चर्चित पलसोड़ा ग्राम पंचायत के सरपंच के खिलाफ भ्रष्ट्राचार एवं अवैध खनन की जांच रिपोर्ट आखिरकार लंबे समय बाद शुक्रवार को प्रस्तुत की जाएगी। कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने 15 दिन में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था लेकिन करीब 54 दिनों बाद जांच प्रतिवेदन कलेक्टर को सौंपी जाएगी। जिला पंचायत की एसीईओ ने इसकी पुष्टि की है।  
   जिले के ग्राम पंचायत पलसोड़ा के प्रधान (सरपंच) कैलाश राठौड़ के खिलाफ ग्रामीणों द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार व अवैध खनन  की जांच  का इंतजार ग्रामीण लंबे समय से कर रहे है।
इस बीच कुछ भाजपा नेताओ द्वारा सरपंच को बचाने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाने की चर्चा भी ग्रामीणों द्वारा सोशल मीडिया पर की जा रही है। 


उल्लेखनीय है कि  2 अक्टूबर महात्मा गांधी जयंती पर गांव पलसोड़ा के ग्रामीण ग्राम पंचायत सरपंच कैलाश राठौड़ के खिलाफ धरने पर बैठ कर भूख हड़ताल शुरू कर दी थी । प्रशासन के अधिकारी गांव पहुंचे मनाने की कोशिश की लेकिन ग्रामीण नहीं माने। यहां तक रतलाम ग्रामीण विधायक दिलीय मकवाना, भाजपा जिलाध्यक्ष राजेन्द्रसिंह बुनेरा भी जब गांव पहुंचे तो ग्रामीणों ने उन्हें घेर कर बरी खोटी सुना दी थी । ग्रामीणों ने विधायक को यह तक कह दिया कि वोट लेने आते हो उसके बाद आज तक ग्रामीणों की समस्या पर ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों ने सरपंच की दबंगई ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार व अवैध बनन के खिलाफ ज्ञापन देकर शिकायत की थी। लेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होने पर ग्रामीण अहिंसात्मक रूप से भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। 

ग्रामीणों ने कई दस्तावेज भी उपलब्ध कराए 
इस मामले में कलेक्टर ने जांच कमेटी चलाई गई जिसमें डिप्टी कलक्टर मनीषा वास्कले जिला पंचायत की अतिरिक्त प्रभारी सीईओ विनीता गोद्रा कार्यपालन ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के अतिरिक्त अन्य अधिकारियों को भी शामिल किया गया था। जांच कमेटी को 15 दिन में रिपोर्ट देना थी. लेकिन तय समय बीतने के बाद कुछ और समय बढ़ाया  गया। अब आखिरकार दो माह बाद जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाएगा। अब देखना ये है सरपंच को क्लीनचिट  मिलती है या आरोप सिद्ध होंगे ?  सरपंच के खिलाफ ग्रामीणों ने कई दस्तावेज भी उपलब्ध कराए है।

बिना जीएसटी के बिल भी लगाए
ग्रामीणों की शिकायत में कहा गया कि सरपंच ने सरकारी  जमीन में हेरफेर करने के साथ ही सरपंच द्वारा स्वयं अपने कई ऐसे बिल भी ग्राम पंचायत में लगाए गए जिन पर जीएसटी नंबर भी दर्ज नहीं थे। शिकायतकतार्ओं ने ऐसे बिल भी जांच टीम को उपलब्ध कराए है।