घूंघट से बाहर आकर महिलाओं ने थामी कलम और बदल लिया जीवन
-100 गांव में, मात्र पांच महीनों में, सीमित संसाधनों में 17 हजार से ज्यादा लोग हुए साक्षर

-100 गांव में, मात्र पांच महीनों में, सीमित संसाधनों में 17 हजार से ज्यादा लोग हुए साक्षर
झाबुआ से लौटकर अदिति मिश्रा। आदिवासी अंचल जहां महिलाएं दो रोटी और छत की जद्दोहत में लगी थी, वहां से आशा की ऐसी नई उम्मीद जागी है जो पूरे प्रदेश ही नहीं देश के लिए मिसाल बन गई है। झाबुआ जिले की 2 तहसीलों ने बिना बड़े फंड या संसाधन के, इच्छाशक्ति और सामुदायिक सहभागिता के दम पर साक्षरता में नई क्रांति जगाई है।
झाबुआ कलेक्टर और पूर्व में रतलाम जिला पंचायत सीईओ रहे सोमेश मिश्रा के प्रयासों से मात्र साढ़े पांच महीनों में पूरी तरह निरक्षर उम्र दराज महिलाओं और पुरुषों ने न केवल कलम थामी, बल्कि 17 हजार से भी ज्यादा ने परीक्षा उत्तीर्ण करके समाज को ये बता दिया कि सीखने की कई उम्र और सिखाने के लिए कोई बड़े साधन की जरूरत नहीं होती।
ऐसा शुरु हुआ नया सफर
ये किस्सा अगस्त 2021 को झाबुआ की पेटलावद और थांदला तहसीलों में तब शुरु हुआ जब अशिक्षित आदिवासियों के साथ ठगी हुई। यहां कुछ महिलाएं शिकायत लेकर पंहुची कि उनके बैंक खातों में बड़ी मुश्किल से जमा किए गए 5, 10 हजार रुपए भी किसी ने ठग कर अंगूठा लगवाकर निकलवा लिए। अधिकारियों ने शिकायत पर संवेदनशीलता से चर्चा की तो मूल में असारक्षता की वजह पर सहमति बनी। यहीं से कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने अपनी टीम के साथ चर्चा की और प्रौढ़ शिक्षा को व्यापक स्तर पर संचालित करते हुए लोगों में शिक्षा के साथ आत्म विश्वास जगाने का एक्शन प्लान बनाया गया। श्री मिश्रा ने सबसे पहले क्षेत्र में काम कर रहे एनजीओ से संपर्क किया और उन्हें अभियान से जुड़ने की बात कही। यहां सबसे पहले जिले की सबसे पिछड़ी तहसीलों पेटलावद और थांदला को चुना गया। यहां से अक्षर अभियान चलाने का फैसला लिया गया।
आजादी की अलख के साथ हुई शुरुआत
अभियान का शुभारंभ प्रदेश के शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने 15 अगस्त 2021 को किया। अभियान की सराहना करते हुए प्रदेश सरकार ने भी इसे प्रोत्साहित किया। इसके बाद से प्रथम चरण में पेटलावद और थांदला विकासखंड में 50-50 गांव में में प्रौढ़ शिक्षा से जुड़ने के लिए आम लोगों को प्रेरित किया गया। ये अंचल की भी बड़ी उपलब्धि है कि लोगों ने इसे अवसर माना और बिना किसी संकोच या झिझक के सीखने के लिए आगे आने लगे। बीच अगस्त में शुरु हुई शिक्षा की अलख को धीरे-धीरे 100 गांवों में 22 हजार लोगों ने थामकर सीखना शुरु कर दिया।
बिना किसी बड़े संसाधन ऐसे चला कांरवा
-अभियान के लिए कलेक्टर ने सभी 100 गांवों में निजी और शासकीय स्कूलों के शिक्षकों, संचालकों की बैठक ली और सभी से एक शिक्षक देने को कहा।
-ये शिक्षक खाली आंगनवाड़ी भवन, स्कूल, पंचायत, पेड़ के नीचे चौपाल जहां स्थान उपलब्ध होता वहां कक्षा लगाने लगे।
-कक्षा दोपहर और शाम को लगाई जाने लगी ताकि मजदूरी, घर के काम के बाद लोग समय निकाल सके।
-पढाने के लिए एक पोर्टेबल छोटा बोर्ड, लिखने को चॉक, दरी लेकर कक्षा शुरु होने लगी।
-किताबों में ज्यादा चित्रों से भरी और बेहद सरल कहानियां भीली और स्थानीय बोलियों में छपवाई गई ताकि लोग इनसे अपनत्व महसूस कर सकें।
-बिना खर्च अक्षर ज्ञान के लिए पुराने पुष्ठे और तफ्तियों को काटकर सुंदर रंग करके अ, आ, इ, ई, 1, 2, 3 आदि अक्षर लिख लिए गए।
-लोगों को अक्षर लिखना सिखाने के लिए पुरानी स्लेट, भूरे पत्थर, रद्दी कॉपियों पर अभ्यास करवाया गया।
-पहले शब्द, फिर वाक्य बनाना सिखाया गया।
-हर 20 दिनों में कलेक्टर खुद शिक्षकों, वॉलेटिंयर्स की बैठक लेकर अभियान की मॉनीटरिंग करते रहे।
अभियान को मिली सार्थकता
कलेक्टर श्री मिश्रा बताते हैं कि अभियान को प्रारंभ करने में कई चुनौती आई, लेकिन इसके पीछे सोच यही थी कि हर इंसान सम्मानपूर्वक जीना चाहता है। हर माता-पिता, ताई-ताऊ चाहता है कि बच्चे की किताब उतना तो पढ़ ही सके कि स्कूल की किताब और कॉमिक्स में अतंर बता दे। उसे बैंक, टिकट लेने, बाजार के जोड़-घटाव आएं। इस सोच को अच्छा प्रतिसाद और मेहनत करने वाले शिक्षकों, वॉलेटियर्स का सहयोग मिला। नतीजा यह रहा कि मात्र पांच महीने बाद 16 जनवरी 2022 को राष्ट्रीय साक्षरता प्राधिकरण मिशन के मार्गदर्शन में नवसाक्षरओं की परीक्षा का आयोजन किया गया। इसमें राज्य शासन द्वारा दिल्ली से ही प्रश्न पत्र भेजे गए। परीक्षा में करीब 20 हजार ने भाग लिया। 17421 लोगों ने परीक्षा उत्तीर्ण कर ली जिसमें 9000 महिलाएं और 8421 पुरुष थे।
आगे के लिए भी कसी कमर
अभियान की सफलता को देखकर दो विकासखंडों से शुरु हुई मुहीम को अब पूरे जिले में लागू किया जा रहा है। इतना ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने भी इसकी प्रशंसा करते हुए पॉयलेट प्रोजेक्ट के तहत लेते हुए पूरे प्रदेश में इसी आईडिये पर प्रौढ़ शिक्षा को बढ़ाने के बारे में प्रस्ताव भी बनाया है। इस अभियान में शिक्षा विभाग, निजी स्कूल, आंगनवाड़ी, पंचायत, एनजीओ, शासकीय अधिकारियों, इच्छुक वॉलेंटियरों की भी सहभागिता ली जा रही है ताकि हर एक निरक्षर को साक्षर बनाया जाए।
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