आसमान से ओले बनकर गिरी तबाही जानिये दर्जनों गांव में किस कदर हुई बरबादी
-गेंहू, मेथी, मटर, गुलाब, गेंदा सहित कई फसलों में हुआ भारी नुकसान -आधे घंटे की बारिश ने जवजीवन किया मुश्किल, पक्षी भी मरे

गेंहू, मेथी, मटर, गुलाब, गेंदा सहित कई फसलों में हुआ भारी नुकसान
आधे घंटे की बारिश ने जवजीवन किया मुश्किल, पक्षी भी मरे
रतलाम। दो महीनों से सर्द रातों में उठ-उठ अपने बच्चों की तरह पाली जा रही फसलों ने जिले में किसानों को रोने को मजबूर कर दिया। शुक्रवार रात हुई बारिश और ओलावृष्टि ने शहर से सटे दर्जन भर गांवों में खेत के खेत खराब कर दिए हैं। गेंहू, मेथी, उड़द, कलौंजी, मटर, प्याज, लहसुन, टमाटर, मिर्ची, गेंदा, गुलाब तक खेतों में ओलों के आगे नीचे गिर पड़े। कुछ मिनटों ने ही फसलों में तबाही ला दी। कलेक्टर ने शनिवार सुबह ही खेतों में नुकसानी का सर्वे भी शुरू करवा दिया है, लेकिन किसानों के अनुसार नुकसान बहुत अधिक हुआ है।
शुक्रवार रात करीब 8 बजे से लगभग पूरे जिले में बारिश और तेज हवाओं ने कहर बरपाया। इस दौरान कई लोग अपने काम से लौट रहे थे तो कुछ व्यापार बंद करके। ऐसे कई लोगों के सिर पर ओले गिरे और बारिश ने भिगा भी दिया। लोग दौड़ते-भागते अपने घरों को पहुंचे। शहर और आसपास के दर्जनों गांवों में ओले भी गिरे जिनका आकार भी बड़ा था। जिले के बांगरोद, धौंसवास,कलोरी, सेमलिया और नेगड़दा , बाजनखेड़ा , करमदी , मथुरी दंतोडिया, उपलई, सरसी, सहित दर्जनों गांव में ओले गिरे। किसानों के अनुसार रात में करीब आधे घंटे तक बड़े नींबू के आकार के ओले गिरते रहे। सुबह तक भी खेतों में ओले पड़े रहे। किसान फसल का नुकसान देखने खेतों पर पहुंचे तो अधिकांश फसल चौपट हो चुकी थी। उद्यानिकी फसलों में भी ओलावृष्टि से भारी नुकसान होने की जानकारी मिली है।
कई गांव में 100 फीसदी फसल का नुकसान
कांग्रेस पंचायत प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष एवं जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष डीपी धाकड़ भी शनिवार सुबह कई गांवों में पंहुचे। उन्होंने सोशल मीडिया पर फसलों का वीडियो जारी करते हुए कहा कि बांगरोद, मांगरोल, करमदी आदि कई गांवों में खेतों में 100 फीसदी नुकसान हुआ है। खेतों में खड़ी गेंहू, मेथी, मटर आदि फसलों में एक दाना भी अच्छा नहीं बचा है। सरकार को तत्काल किसानों को सहायता उपलब्ध करवानी चाहिए, अन्यथा किसानों के पास कोई हल नहीं बचेगा। उन्होंने कहा कि नुकसान के कारण बीज, दवाई का खर्च तो दूर नुकसानी अत्याधिक होने से किसान अपने परिवार का पालन नहीं कर पाएगा।