दिमाग में धंसी सिर की हड्डी, फिर भी पहली न्यूरो सर्जरी करके मरीज को कर दिया स्वस्थ 

दिमाग में गड्डी धंसने और कई थक्के जमने के बाद भी सफल न्यूसर्जरी की गई। ऐसा करने वाला पहला अस्पताल बनने के पहले भी जीडी अस्पताल कई कीर्तिमान रच चुका है। 

Jan 7, 2022 - 17:26
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दिमाग में धंसी सिर की हड्डी, फिर भी पहली न्यूरो सर्जरी करके मरीज को कर दिया स्वस्थ 

--रतलाम में जटिल सर्जरी का जोखिम लेकर, भविष्य के लिए बनाया रास्ता 

रतलाम। शहर के चिकित्सा क्षेत्र में जीडी अस्पताल ने नगर की प्रथम न्यूरो सर्जरी कर इतिहास रच दिया। दिमाग में गड्डी धंसने और कई थक्के जमने के बाद भी सफल न्यूसर्जरी की गई। ऐसा करने वाला पहला अस्पताल बनने के पहले भी जीडी अस्पताल कई कीर्तिमान रच चुका है। 
संचालक एवं अस्थि रोग के ख्यात विशेषज्ञ डॉ. लेखराज पाटीदार ने बताया कि 25 दिसंबर को ग्राम मुल्थान के पाटीदार मोहल्ला निवासी महेंद्र पाँचाल सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें बदनावर के कम्युनिटी सेंटर ले जाया गया जहाँ पर प्राथमिक उपचार के बाद गंभीर अवस्था में रतलाम रैफर कर दिया गया था। परिजन उन्हें अस्सी फीट रोड स्थित जीडी अस्पताल लेकर पंहुचे। जहाँ डॉक्टर लेखराज पाटीदर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए शहर के प्रथम न्यूरोसर्जन गोल्ड मेडलिस्ट डॉक्टर मिलेश नागर से संपर्क  कर उन्हें आने को कहा। डॉक्टर मिलेश नागर भी अस्पताल पहुँचे एवं मरीज की वस्तुस्थिति का अवलोकन करने के पश्चात न्यूरो सर्जरी की जरूरत बताई। रतलाम इससे पहले कभी न्यूरो सर्जरी नहीं की गई है। लेकिन परिजनों के कहने पर अस्पताल के डॉक्टर्स की टीम ने तुरंत न्यूरो सर्जरी की तैयारी प्रारम्भ की। क्योंकि मरीज की हालत बेहद नाजुक थी, महज एक घंटे के भीतर मरीज की न्यूरो सर्जरी शुरू हो गई। 


दिमाग में धंस चुका था कपाल, जम चुके थे थक्के...
डॉक्टरों ने बताया कि मरीज की हालत गंभीर थी। सिर में फ्रैक्चर था एवं सिर की हड्डी दिमाग में धस चुकी थी। दिमाग काफी क्षतिग्रस्त हो गया था। दुर्घटना के कारण उनके दिमाग के बाहरी एवं भीतरी हिस्सों में खून के थक्के जम चुके थे। लगभग 4  घंटे चली न्यूरो सर्जरी में डॉ मिलेश नागर एवं अस्पताल की टीम ने मरीज के दिमाग में फंसे हड्डी के टुकड़ो को बाहर निकला एवं खून के जमे थक्कों को डिसोल्व किया। आॅपरेशन के बाद 9 दिनों तक कड़े आॅब्जरवेशन में रखने के बाद मरीज को प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट किया गया। 

स्वस्थ होकर घर पहुंचा मरीज 
दिन प्रतिदिन मरीज की स्थिति में सुधार हुआ। इसके बाद 6 जनवरी को स्वस्थ पाए जाने पर डॉक्टर द्वारा उन्हें डिस्चार्ज कर घर भेज दिया। मरीज के परिजन द्वारा अस्पताल प्रशासन एवं डॉकटर्स का आभार प्रेषित किया गया। परिजनों ने कहा कि उन्हें उम्मीद भी नहीं थी कि वे अपने मरीज को वापस लेकर जा पाएंगे। ऐसे आॅपरेशन पहले बड़ोदा एवं इंदौर या अन्य बड़े शहरों में ही होते थे, परन्तु अब यह सुविधा रतलाम में भी उपलब्ध है जो बड़ी उपलब्धि है।           

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