रतलाम के जिला पंचायत वार्ड 12 की भोपाल तक चर्चा , 2 पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष , भाजपा के मंडल अध्यक्ष और संघ के नेता में रोचक हुआ चुनावी मुकाबला
जिला पंचायत रतलाम के वार्ड क्रमांक 12 की जिले में ही नही भोपाल तक चर्चा है। इस वार्ड में त्रिकोणीय मुकाबले का प्रचार बेहद रोचक स्थिति में पहुंच गया है।
रतलाम। (NEWSMPG) जिला पंचायत रतलाम के वार्ड क्रमांक 12 की जिले में ही नही भोपाल तक चर्चा है। इस वार्ड में त्रिकोणीय मुकाबले का प्रचार बेहद रोचक स्थिति में पहुंच गया है।
जिला पंचायत रतलाम के वार्ड क्रमांक 12 में प्रदेश के चर्चित किसान नेता एवं पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष डीपी धाकड़ चुनाव लड़ रहे है। इसके अलावा यहां से भाजपा समर्थित उम्मीदवार कद्दावर नेता पिपलोदा मंडल अध्यक्ष राजेन्द्रसिंह गुडरखेड़ा एवं संघ की पृष्ठभूमि वाले नेता माखनसिंह राणावत, पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष दशरथ आंजना एवं रेखा मालवीय भी मैदान में है।
वार्ड क्रमांक 12 पिपलोदा क्षेत्र के अर्न्तगत आता है, इसमें मुख्य मुकाबला डीपी धाकड़ , राजेन्द्रसिंह गुडरखेड़ा एवं माखनसिंह राणावत के बीच माना जा रहा है।
यहां तीनों दिग्गज अपनी-अपनी स्टाईल में पूरी ताकत के साथ एक-एक वोट पाने की जद्दोजहद में लगे है। । यहां मामला इसलिए रोचक है क्योंकि पर्दे पर दिख रहे प्रत्याशियों के पीछे यहां कई बड़े नामों की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है। प्रत्याशियों की हार और जीत क्षेत्र की पूरी ही राजनीति में आगे के समीकरण भी बिगाड़ और बना सकती है।
45 हजार से अधिक मतदाता करेगें उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला
पूरे जिले में सबसे ज्यादा भीड़ चाहे आम सभा में हो, या जनसंपर्क में यहीं पर दिखाई दे रही हैं। रस्साकसी इतनी मजबूती से हो रही है कि एक-एक परिवार को अपनी ओर खींचने की मशक्कत मची हुई है। जिला पंचायत में इस बार अनराक्षित घोषित हुए चुनिंदा वार्ड में से एक वार्ड 12 में आम्बा, सुखेड़ा, सोहनगढ़, नांदलेटा, बड़ायलामाताजी, हसनपालिया, आकतवासा, कुशलगढ़, चाौरासी बड़ायला, अयाना, मचून, शेरपुर, बरगढ़, उमटपालिया, गुडरखेड़ा, कमलाखेड़ा, नबावगंज, गणेशगंज, अंगेठी सहित 23 ग्राम पंचायत एवं 40 ग्राम आते है। 40 गांवो में 80 बुथ पर 45265 मतदाता मतदान करेगें।
किसके साथ क्या ताकत और कमी
डीपी धाकड़ - किसानों के मुद्दे सड़क से सदन तक उठाकर जमीनी राजनीति से आगे बढ़े धाकड़ के साथ भोपाल के बड़े कांग्रेस नेताओं का साथ है। स्थानीय पदाधिकारी भी उनके सहयोग में हैं। आईटी से लेकर मैदान तक उनकी पहचान और आकर्षण भीड़ जुटाने में सक्षम है। किसानो के लिए लड़ने वाले नेता के रूप में स्थापित होने का फायदा है। हालांकि पार्टी में भीतरघात और बाहर से यहां आकर चुनाव लड़ने के बिंदु से उन्हें दिक्कत है।
राजेंद्र सिंह गुडरखेड़ा- सरल स्वभाव एवं भाजपा के मंडल अध्यक्ष के रूप में सक्रिय गुडरखेड़ा जावरा विधायक डॉ राजेंद्र पांडेय के करीबियों में गिने जाते हैं। इनके साथ करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष जीवनसिंह शेरपूर का भी समर्थन है। संगठन के साथ व्यक्तिगत टीम होने से घर-घर पर सपंर्क इन्हें ताकत दे रही है। जनसंपर्क के साथ, व्यक्तिगत रूप से पहले से सक्रीय होने से अधिकांश लोगों से समर्थन मिलने की उम्मीद है। भाजपा का कोर वोटर एवं राजपूत समाज की बहुतायत संख्या होने से लाभ मिलेगा । यहां बागी प्रत्याशी द्वारा वोट काटने से दिक्कत हो सकती है।
माखनसिंह राणावत - संघ एवं भाजपा में लंबे समय से क्षेत्र में सक्रीय हैं, जिसका लाभ मिलेगा। संघ की पृष्ठभूमि से होने के नाते संघ के अघोषित समर्थन और टीम की मेहनत का लाभ भी मिल रहा है। हालांकि बगावती होने से पार्टी समर्थित प्रत्याशियों की तुलना में मेहनत अधिक करनी पड़ रही है।
दशरथ आंजना - पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष हैं, लेकिन इनकी सक्रीयता वैसे तो सबसे कम दिख रही है। इनके पेतृक गांव माऊखेड़ी के आसपास लगे वार्ड 12 में शामिल गांवो में व्यक्तिगत सम्पर्क होने का फायदा मिलेगा । इनके लिए मेहनत या जनसंपर्क करते कार्यकर्ता भी कम ही नजर आ रहे हैं।
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