श्वान के साथ फिर हुई क्रूरता, पैर तोड़ा, बांधा और कचरे में फैंक दिया -

श्वान के साथ फिर हुई क्रूरता, पैर तोड़ा, बांधा और कचरे में फैंक दिया

Mar 13, 2023 - 17:50
Mar 21, 2023 - 16:46
 0
श्वान के साथ फिर हुई क्रूरता, पैर तोड़ा, बांधा और कचरे में फैंक दिया -
dog beaten tied and thrown

रतलाम। शहर में एक बार फिर से श्वान के प्रति क्रूरता का मामला सामने आया है। ओद्योगिक थाना क्षेत्र में करीब 1 वर्ष के श्वान का पैर तोड़कर, किसी ने उसके पैरों और मुंह को नायलॉन की रस्सी से बांध कर कचरे में फैंक दिया। वहां से गुजर रहे एक बच्चे ने जब श्वान के सिसकने की आवाज सुनी तो जीव प्रेमियों को फोन लगाकर जानकारी दी। 
                                                                   जीव प्रेमी, नाहरपुरा के श्रेय सोनी ने बताया कि सुबह करीब 9.50 बजे उनके तथा उनके साथी आर्यन राठौर के पास क्षेत्र से एक किशोर ने फोन करके श्वान की स्थिति बताई। उसने बताया कि मुखर्जी नगर में मल्टी के पीछे कचरे के ढेर में ही श्वान पड़ा हुआ है। इसपर दोनों कुछ साथियों सहित वहां पंहुचे और रस्सी खोली, लेकिन तब तक श्वान की स्थिति खराब हो चुकी थी। उसे सोनी, राठौर के साथ ही जीव प्रेमी हेमा हेमनानी आदि पशु चिकित्सालय लेकर पंहुचे जहां डॉक्टर ने टूटे पैर और शरीर पर घावों का इलाज किया। डॉक्टर ने आशंका जताई कि काफी समय से इस श्वान को कुछ भी खाने-पीने को नहीं मिला है। इस मामले में जीव प्रेमियों ने शाम को आईए थाने पंहुचकर पशु क्रूरता करने वालों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए आवेदन भी दिया। उन्होंने बताया कि जहां पशु को फैंका गया था, वहां पास ही में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। पुलिस कैमरों को तलाश करे, तो उन्हें श्वान के साथ क्रूरता करने वालों का तत्काल पता लग सकता है। 


शहर में लगातार हो रहे क्रूरता के मामले 

उल्लेखनीय है कि शहर में पशुओं और विशेषकर श्वानों के प्रति क्रूरता के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इसके पहले डीडी नगर थाने पर भी लगातार दो मामले होने पर पुलिस ने एक में एफआईआर भी दर्ज की थी, जिसमें कार्रवाई चल रही है। वहीं आईए थाना क्षेत्र के डोंगरे नगर में भी पिछले महीने श्वानों के बच्चों को कुछ खिलाकर मारने की शिकायत सामने आई थी। 


श्वान को मारने पर हो सकती है सजा 

एडव्होकेट शिल्पा जोशी बताती हैं कि भारत में कानून रूप से पशुओं के प्रति क्रूरता को अपराध का दर्जा दिया गया है। श्वान को मारने, पीटने, मार डालने पर बड़ी साज हो सकती है। आईपीसी की धारा 428 : पशुओं को मारना और जहर देना या उसे अपाहिज करने पर दो साल की कैद या दंड तथा दोनों दिया जा सकता है। आईपीसी की धारा 429: पशुओं को मार डालने, जहर देना या अपाहिज कर देने पर पांच साल की सजा या दंड या फिर दोनों दिया जा सकता है। पीसीए एक्ट 1960- इस एक्ट के तहत पशुओं के साथ क्रूरता किए जाने पर तीन माह की सजा का प्रावधान है।


बढ़ती संख्या और काटने से रोकने का ये है हल 

श्वानों पर काम करने वाले प्राणीशास्त्र के प्राध्यापक डॉ. एसके जैन बताते हैं कि श्वानों की बढ़ती संख्या को रोकने के लिए एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) प्रोग्राम ही कारगर उपाय है। इसके तहत शहर के सभी श्वानों की गणना उपरांत किसी भी सक्षम संस्था या दल द्वारा क्षेत्रवार श्वानों को पकड़ा जाता है।

उन्हें रखकर उनका बध्याकरण यानी बच्चे पैदा करने वाले अंग निकालने का आॅपरेशन करके उन्हें वापस उसी इलाके में छोड़ दिया जाता है। साथ ही एंटी रैबीज इंजेक्शन भी लगाया जाता है। इस विधि से श्वान बच्चे पैदा नहीं कर पाते और 4-5 सालों में इनकी संख्या आधी से भी कम हो सकती है।

वर्तमान में रतलाम नगर निगम द्वारा भी यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसमें करीब 6 हजार श्वानों की सर्जरी का लक्ष्य रखा गया है। इसके सफल संचालन से शहर में श्वानों की संख्या कम हो सकती है। 

पशु चिकित्सक डॉ. पारुल पाठाक बताती हैं कि श्वानों को बैठने के लिए थोड़ी सी छायादार जगह, पीने का पानी और खाने के लिए 1-1 रोटी का भी प्रबंध हो जाए, तो अधिकतर श्वान नहीं काटते। विशेष परीस्थितियों को छोड़कर इन्हें बच्चे और बड़े को आवारा श्वानों से दूरी बनानी चाहिए।

वे बताती हैं कि मुश्किल से 5 प्रतिशत श्वान स्वभाव से ही अग्रेसिव होते हैं, और ऐसे श्वानों को संबंधित नगरीय निकाय रखकर इलाज करवाकर भी ठीक कर सकती है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow