चंद रुपयों का लालच, जान पर बहुत भारी -महिला की मौत के बाद भी नहीं टूटी नींद
-तीन थाना क्षेत्र और ट्रैफिक पुलिस या आरटीओ को भी नजर नहीं आ रही इतनी बड़ा लापरवाही भेड़-बकरियों की तरह ठूंस कर ले जाया जा रहा है। एक महिला मर भी गई।
-तीन थाना क्षेत्र और ट्रैफिक पुलिस या आरटीओ को भी नजर नहीं आ रही
इतनी बड़ा लापरवाही
रतलाम। एक के लिए डीजल के चंद रुपए बचा लेने तो दूसरी ओर जिम्मेदारों की ऊपरी कमाई का लालच, मासूमों की जिंदगी पर बहुत भारी पड़ रहा है। जिले की तस्वीरें देखकर तो यही स्पष्ट होता है। सोयाबीन फसल कटाई तो कहीं मेलों में जाने के लिए लोगों आॅटो, मैजिक, बस, ट्रैक्टरों में भेड़-बकरियों की तरह ठूंस कर ले जाया जा रहा है। शुक्रवार को इसमें वाहन पर लटकी हुई एक महिला मर भी गई। ट्रैफिक अमला, आरटीओ, पुलिस, प्रशासन बड़े बड़े दावे कर रहा है, लेकिन हकीकत दिख कर भी नहीं दिख रही है।
पूरे जिले के ग्रामीण अंचलों में ये तस्वीरें हर रोज दिखाई दे रही हैं। खासकर सैलाना, बाजना और रतलाम ग्रामीण के इलाके में। एक-एक वाहन में 30 से 40 श्रमिक सवार होकर मजदूरी करने पहुंच रहे हैं। सैलाना के एक ऐसे ही ओवरलोड आॅटो रिक्शा से धामनोद- सैलाना बायपास पर महिला की गिरकर मौत हो गई। मृतक 55 वर्षीय कलावती सोयाबीन कटाई के लिए सरवन से आॅटो रिक्शा में लटककर नामली जा रही थी। रास्ते में तूफान वाहन का टल्ला लगा तो नीचे गिरी, सर में चोट लगी और वहीं मर गई। परिजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। सैलाना थाना पुलिस ने इस मामले में मर्ग कायम कर मामले में जांच की औपचारिकता शुरु कर दी है।
शायद और भयानक हादसे का इंतजार...
ओवरलोडिंग की हदें पार करने वाले कई फोटो, वीडियो आम लोग भी बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। पिछले वर्ष सरवन और सैलाना क्षेत्र में मजदूरों से भरे ओवरलोडिंग वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने से कई श्रमिक घायल हो गए थे और दो श्रमिकों की मौत भी हुई थी। लगभग तीन थाना क्षेत्रों के अलावा यातायात पुलिस और आरटीओ की चौकी को पार करके भी ये ओवरलोड वाहन आराम से चल रहे हैं। पुलिसकर्मी इन्हें या तो देख नहीं पा रहे या देखकर कुछ और देख रहे हैं यह सवाल नया नहीं है लेकिन ये गरीबों की जान पर भारी पड़ रहा है।
सीमित साधनों की आड़ में चालकों का खेल
ग्रामीण अंचलों में इन दिनों सोयाबीन की फसल पककर तैयार हो चुकी है। अच्छी मजदूरी मिलने की उम्मीद में आदिवासी अंचल से हर दिन सैकड़ों श्रमिक मजदूरी करने इन क्षेत्रों में पहुंच रहे हैं। मोटरसाइकिल, लोडिंग वाहन, मैजिक और रिक्शा में सवार होकर यहां पहुंचते हैं। एक एक वाहन में 30 से 50 मजदूर मजदूर करीब 40 किलोमीटर का खतरनाक सफर हर दिन तय कर रहे हैं। यहां वाहन मालिक से बचाकर चालक तो कभी खुद मालिक इन्हें ज्यादा पैसों के लालच में ठूंसकर चल रहे हैं। चंद रुपयों के लालच में खुलेआम चल रहे खेल को देखकर भी तीन थाना क्षेत्रों की पुलिस भी नहीं देख रही है।
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