पटवारियों एवं सचिवो के तबादले कराने के लिए रेट तय, प्रभारीमंत्री एवं विधायक के खास होने के दावे के साथ चल रहा खेल , तबादलो को भ्रष्टाचार की मंडी बनाने पर आमादा तथाकथित दलाल
तरफ प्रदेश भाजपा सरकार अगने विधानसभा चुनाव के पहले साफ सुथरी छवि के साथ उतरने की तैयारी कर रही है। इसलिए सीएम भ्रष्ट्राचार पर बेहद सख्त है। इधर जिले में पंचायत एवं राजस्व विभाग के तबादलों के लिए दलाल सक्रिय हो गए है। तबादलो को भ्रष्टाचार की मंडी बनाने में लगे है।
रतलाम। एक तरफ प्रदेश भाजपा सरकार अगने विधानसभा चुनाव के पहले साफ सुथरी छवि के साथ उतरने की तैयारी कर रही है। इसलिए सीएम भ्रष्ट्राचार पर बेहद सख्त है। इधर जिले में पंचायत एवं राजस्व विभाग के तबादलों के लिए दलाल सक्रिय हो गए है। तबादलो को भ्रष्टाचार की मंडी बनाने में लगे है।
विश्वसनीय सुत्रो के मुताबिक जिले में पटवारियों एवं ग्राम पंचायत सचिवों के ट्रांसफर की सुगबुगाहट चल रही है। इसका फायदा उठाने के लिए कुछ लोग सक्रिय हो गए हैं। ये दलाल किस्म के लोग पटवारियो एवं सचिवो के ट्रांसफर-पोस्टिंग करवाने के नाम पर सक्रिय हैं। ये अपने आपको प्रभारी मंत्री और विधायक और अधिकारियों का नजदीकी बताकर ट्रांसफर-पोस्टिंग करवाने का सौदा कर रहे हैं। इसके अलावा मलाईदार जगहो पर तैनात करवाने का भी भरोसा दे रहे हैं।
भोपाल जाएगी लिस्ट
इस साल के तबादले शुरू हो गए है। विश्वसीय सुत्रों की माने तो जिले से पहली लिस्ट फाइनल होकर अनुशंसा के लिए भोपाल पहुंच भी गई है। सोमवार शाम को एक बार फिर संशोधित लिस्ट बनने की भी जानकारी मिली है। प्रभारी मंत्री के आदेश के बाद जिले के तबादले की सूची जारी हो जाएगी। सुत्रो के अनुसार लिस्ट में बिना नियम कायदो के मनमाने तरीके से ट्रांसफर नीति की धज्जिया उड़ाते हुए नाम भेजे गए है। उल्लेखनीय है पिछले वर्ष भी पटवारियों एवं सचिवो की सूची चर्चित हुई थी। इस साल भ्रष्ट्राचार के सारे रिकार्ड तोड़ते हुए बड़ी वसूली जारी है। गत वर्ष जिन 38 पटवारियों के ट्रांसफर किए गए थे , उन्ही को फिर से इधर -उधर करने के लिए भी खेल रचा गया है। जो फिर से कमाई वाली जगहो पर आना चाहते है।
हर पोस्ट के लिए रेट तय किए, 1 से 5 लाख
कई अधिकारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि दलाल धमकी दे रहे हैं कि फिलहाल जिस जगह पर तैनात हो, उसी पर रहना है तो जो रेट चल रहे हैं, वो फीस देनी होगी। सूत्रों से पता चला है कि दलालों ने रेट और फीस तय कर दी है। पटवारियो एवं सचिवो की पोस्टिंग के लिए 1 लाख 5 लाख तक की फीस मांगी जा रही है। बड़े शहरो के पटवारियों के लिए यह कीमत 10 लाख तक भी है। दलालो ने टोकन अमाउंट ले लिया है। सुत्रो के अनुसार इसी हिसाब से सूची भेजी गई है।
ये है तथाकथित भ्रष्टाचारी दलाल
प्रभारी मंत्री , विधायक एवं अन्य अधिकारियों के नाम से खेल करने वालो में हाल ही में काला गोरा क्षेत्र में एक कॉलोनी काटने के लिए चर्चा में आया एक युवा नेता, ग्राम पंचायत से निलंबित जिले का एक चर्चित सचिव एवं
ग्रामीण क्षेत्र का भाजयुमो का एक पदाधिकारी शामिल है।
सरकार की छवि धुमिल होने से बचाना चुनौती
कुछ माह पूर्व तक जिले में रहे कलेक्टर कुमार पुरूषोत्तम एक सख्त प्रशासक माने जाते रहे है। उनकी जगह आए कलेक्टर नरेन्द्र सुर्यवंशी भी उसी तरह की छवि अभी तक बनाने में सफल रहे है। ऐसे में उनके कार्यकाल के पहले ट्रांसफर भी एक चुनौती है ताकि निष्पक्ष एवं सशक्त प्रशासक के रूप में विश्वसनीयता बनी रहे एवं सरकार की सुशासन वाली छवि भी धुमिल न हो।
इस प्रकार का कृत्य कदापि सहन नही होगा
ऐसी जानकारी मेरे पास नही है। अभी तबादले के प्रपोजल नही है। प्रभारी मंत्री ही तबादले करेगें। आपने जो जानकारी दी है, महत्वपूर्ण है, मै इसकी तहकीकात करवाता हूं। भ्रष्आचार एवं लेनदेन का कृत्य कदापि सहन नही होगा। ट्रांसफर नीति के आधार पर ही तबादले होगे।
- नरेन्द्र सुर्यवंशी, कलेक्टर
नही की अनुशंसा
मैने तो एक के लिए भी अनुशंसा नही की है। तबादले एक सामान्य प्रक्रिया है। ये नीति एवं उपयोगिता के आधार पर किए जाते है।
-चैतन्य काश्यप, शहर विधायक
इन्होने नहीं उठाया फोन
जिस ग्रामीण क्षेत्र में सबसे अधिक लेन देन की चर्चाए है, वहां के विधायक
दिलीप मकवाना ने फोन रिसीव नही किया
सवाल जो तैर रहे है चर्चा में
- इस वर्ष स्थानान्तरण मे रोस्टर प्रणाली का पालन करते हुए एक ही हलके में तीन वर्ष से अधिक एवं एक ही तहसील में पांच वर्ष से अधिक समय से पदस्थ पटवारियों को अन्यत्र स्थानान्तरित किया जायेगा ?
- गत वर्ष स्थानान्तरित कुछ पटवारियों ने स्थानांतरण हेतु स्वेच्छिक रूप से पुन: मनचाही तहसीलों मे दोबारा आने हेतु आवेदन किया है। क्या एक वर्ष पूर्व स्थानान्तरित पटवारियों को धन बल या राजनैतिक दबाव के चलते मनचाहे स्थान पर पुन: स्थानान्तरित किया जायेगा ?
- जिला मुख्यालय से दूरस्थ तहसीलों में कई ऐसे पटवारी एवं सचिव पदस्थ है । जिनका वर्षो से स्थानांतरण नहीं हुआ है, क्या इन पटवारियों एवं सचिवो को घर के नजदीक स्थानान्तरित होने का हक नहीं है या केवल आर्थिक एवं राजनीतिक रूप से सक्षम ही मनचाही जगहो पर जमे रहेंगे?
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