राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है -महामहीम द्रौपदी मुर्मु ने देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में संभाला पद्भार 

राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है -महामहीम द्रौपदी मुर्मु ने देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में संभाला पद्भार 

राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है -महामहीम द्रौपदी मुर्मु ने देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में संभाला पद्भार 


नई दिल्ली। राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है। ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है। ऐसे प्रगतिशील भारत का नेतृत्व करते हुए आज मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ। यह बातें भारत की नव निर्वाचित महामहीम द्रौपदी मुर्मु ने भारत के 15वें सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन होते हुए कहा। 
25 जुलाई को ऐतिहासिक रूप से देश की पहली आदिवासी महिला ने राष्ट्रपति के पद की शपथ ली। मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं, सर्वोच्च संवैधानिक पद संभालने वाली पहली आदिवासी महिला और स्वतंत्र भारत में पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने शपथ दिलवाई। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि संविधान के आलोक में, मैं पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करूंगी। मेरे लिए भारत के लोकतांत्रिक-सांस्कृतिक आदर्श और सभी देशवासी हमेशा मेरी ऊर्जा के स्रोत रहेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है। 

मेरा जन्म उस जनजातीय पंरपरा में हुआ...

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि मेरा जन्म उस जनजातीय परंपरा में हुआ है, जिसने हजारों वर्षों से प्रकृति के साथ ताल-मेल बनाकर जीवन को आगे बढ़ाया है। मैंने जंगल और जलाशयों के महत्व को अपने जीवन में महसूस किया है। हम प्रकृति से जरूरी संसाधन लेते हैं और उतनी ही श्रद्धा से प्रकृति की सेवा भी करते हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैंने ओडिशा के गांव से जीवन यात्रा शुरू की है। ये पद मेरी उपलब्धि नहीं, बल्कि देश के गरीबों की उपलब्धि है। लोकतंत्र की शक्ति से यहां पहुंची हूं। मैं गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। मेरे लिए जनता का हित सर्वोपरि है। 

  बहनें व बेटियां सशक्त हों...

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि मैं चाहती हूं कि हमारी सभी बहनें व बेटियां अधिक से अधिक सशक्त हों तथा वे देश के हर क्षेत्र में अपना योगदान बढ़ाती रहें।  मैंने अपने अब तक के जीवन में जन-सेवा में ही जीवन की सार्थकता को अनुभव किया है। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि मैं अपने देश के युवाओं से कहना चाहती हूं कि आप न केवल अपने भविष्य का निर्माण कर रहे हैं बल्कि भविष्य के भारत की नींव भी रख रहे हैं। अनगिनत स्वाधीनता सेनानियों ने राष्ट्र के स्वाभिमान को सर्वोपरि रखने की शिक्षा दी है। 

राष्ट्र स्वाभिमान सर्वोपरि 

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, नेहरू जी, सरदार पटेल, बाबा साहेब आंबेडकर, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चन्द्रशेखर आजाद जैसे अनगिनत स्वाधीनता सेनानियों ने हमें राष्ट्र के स्वाभिमान को सर्वोपरि रखने की शिक्षा दी थी। रानी लक्ष्मीबाई, रानी वेलु नचियार, रानी गाइदिन्ल्यू और रानी चेन्नम्मा जैसी अनेकों वीरांगनाओं ने राष्ट्ररक्षा और राष्ट्रनिर्माण में नारीशक्ति की भूमिका को नई ऊंचाई दी थी।