श्रावण मास और भोले की आराधना :- मनोकामना सिद्धि का काल है यह पवित्र मास
श्रावण मास और भोले की आराधना :- मनोकामना सिद्धि का काल है यह पवित्र मास
धार्मिक डेस्क। सनातन धर्म में श्रावण और कार्तिक मास का महत्व अन्य 10 महीनों की तुलना में अधिक है। श्रावण मास भगवान भोलेनाथ और मां शक्ति की भक्ति का परम काल माना गया है। इस समय माता प्रकृति अपनी शक्तियों से नव जीवन का सृजन करती हैं और मेघों से आशीर्वाद के रूप में साक्षात वरुण देवता पृथ्वी पर ईश्वरीय आनंद लेकर आते हैं।
इस मास में भोलेनाथ और माता पार्वती की भक्ति का अलग ही महत्व है। पुराणों में कहा गया है कि इस मास में शिवपार्वती, भगवान श्री गणेश, कार्तिकेय, यहां तक कि भगवान श्री हरी विष्णु, कृष्ण की उपासना का बहुत फल मिलता है। सावन का महीना मनोकामनाओं का इच्छित फल प्रदान करने वाला है। गुरु पूर्णिमा से लेकर रक्षाबंधन के पर्व तक ऐसे में पूरे देश में ही शिवालयों में तो भीड़ उमड़ती ही है, साथ ही श्रद्धालु व्रत, उपवास, पूजन, विधान से भगवान की स्तुति भी करते हैं।
आशाओं की पूर्ति का समय है
पंडितों और धर्मविदें के अनुसार सावन मास की महत्ता, व्रत और पूजन की विधि तथा कैसे कर सकते हैं भगवान शिव को प्रसन्न इसके लिए पुराणों में कई बातें बताई गई हैं। पंडित संजय शिवशंकर दवे बताते हैं कि कहा जाता है कि यह माह आशाओं की पूर्ति का समय होता है। सावन अथवा सावन हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का पांचवां महीना है, जो ईस्वीं कैलेंडर के जुलाई या अगस्त माह में पड़ता है। इस माह में अनेक महत्त्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं, जिसमें 'हरियाली तीज', 'रक्षाबन्धन', 'नागपंचमी' आदि प्रमुख हैं। इस माह में पड़ने वाले सोमवार "सावन के सोमवार" कहे जाते हैं, जिनमें स्त्रियाँ तथा विशेषतौर से कुंवारी लड़कियां भगवान शिव के निमित्त व्रत आदि रखती हैं। पुराणों में इसे भगवान शिव के पूजन का अवसर बताया गया है।
ऐसे करे भोले बाबा का पूजन
पुजारियों के अनुसार गृहस्थों के लिए शिवजी की पूजा आराधना करते समय उनके पूरे परिवार अर्थात शिवलिंग, माता पार्वती, कार्तिकेयजी, गणेशजी और उनके वाहन नन्दी की संयुक्त रूप से पूजा की जानी चाहिए। भगवान शिवजी की पूजा में गंगाजल के उपयोग को विशिष्ट माना जाता है। शिवजी के स्नान के लिए गंगाजल का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा कुछ लोग भांग घोंटकर भी चढ़ाते हैं। शिवजी की पूजा में लगने वाली सामग्री में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, कलावा, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बिल्वपत्र, दूर्वा, फल, विजिया, आक, धूतूरा, कमल-गट्टा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंचमेवा, धूप, दीप से पूरी श्रद्धा के साथ अर्पित करते हुए पूजन करनी चाहिए। मन में यह भाव होना चाहिए ये सभी वस्तुएं शिव और परिवार को अर्पित कर रहे हैं।
सोमवार को पूजन का है विशेष महत्व
प्रत्येक सोमवार को गणेशजी, शिवजी, पार्वतीजी की पूजा की जाती है। इस सोमवार व्रत से पुत्रहीन पुत्रवान और निर्धन धर्मवान होते हैं। स्त्री अगर यह व्रत करती है, तो उसके पति की शिवजी रक्षा करते हैं। सोमवार का व्रत साधारणतया दिन के तीसरे पहर तक होता है। इस व्रत में फलाहार या पारण का कोई खास नियम नहीं है, किंतु आवश्यक है कि दिन-रात में केवल एक ही समय भोजन करें। सोमवार के व्रत में शिव-पार्वती का पूजन करना चाहिए।
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