रतलाम होगा मयंकमय या पटेल ही है तय ! कांग्रेस के हौंसले और भाजपा के चुनाव प्रबंधन की परीक्षा का परिणाम कुछ ही घंटो बाद
नगरनिगम चुनाव को लेकर मतगणना में अब कुछ ही घंटे शेष है। बुधवार को मतगणना के शुरूआती रूझानो से ही नगर के प्रथम नागरिक का ताज किस पर पर सजना है , इसका अंदाजा हो जाएगा।
एमपी गोस्वामी
रतलाम। नगरनिगम चुनाव को लेकर मतगणना में अब कुछ ही घंटे शेष है। बुधवार को मतगणना के शुरूआती रूझानो से ही नगर के प्रथम नागरिक का ताज किस पर पर सजना है , इसका अंदाजा हो जाएगा।
नगर निगम रतलाम का चुनाव इस बार कई मायनों में अलग रहा।
चुनाव में प्रचार प्रसार ,माहौल एवं मतदाताओं की बातों से कोई भी व्यक्ति एक तरफा जीत का दावा करता नही दिखाई दिया। इसी तरह मतदान के बाद भी राजनैतिक पंडितों के समीकरण बिगड़े हुए ही दिखाई दे रहे है।
चुनाव इस बार इसलिए भी अलग दिखाई दिए क्योंकि कई वर्षो बाद शहर में कांग्रेस लड़ती हुई दिखाई दी। वैसे हर बार पार्टी चुनाव की औपचारिकता करते हुए ही दिखाई देती है।
टिकिट के बाद ही कांग्रेस के उम्मीदवार मयंक जाट बेजान कार्यकर्ता में नया जोश फूंकते हुए दिखाई दिए। इसलिए यह कहना बिलकुल सही है कि कांग्रेस इस बार हौंसलों के साथ चुनाव लड़ी जबकि भाजपा अपने चुनाव प्रबध्ांन के बल पर। ऐसे में कुछ घंटो बाद ये तय हो जाएगा कि भाजपा का प्रबंधन भारी है या कांग्रेस या यूं कहे मयंक जाट के हौंसले ।
यहां भाजपा के मजबूत बूथ प्रबंधन से मुकाबला भी चमत्कार
रतलाम नगर निगम के चुनाव परिणामों पर लगभग पूरे देश की निगाहे हैं। कांग्रेस ने जिस तरह भाजपा का मुकाबला किया है। इससे भाजपा विधानसभा सहित दीर्घकालीन रणनीति बदलनें के लिए मजबूर हो चुकी हैं। चुनाव प्रबंधन, प्रचार अभियान, राजनीतिक सर्वे सहित भाजपा के पास पन्ना प्रमुख, बूथ प्रबंधन और जमीनी स्तर पर झंडा उठाने वाले कार्यकतार्ओं की कमी नहीं है। कांग्रेस के पास न तो इस तरह से संसाधन हैं और न ही प्लानिंग और प्रबंधन । यहां कार्यकर्ता कम और नेता ज्यादा है , जो कब किसके लिए काम करते है , उन्हे खुद भी पता नही होता ।
ऐसे में लगभग मृत पड़ी कांग्रेस को शहर में न केवल जीवित करना बल्कि टक्कर में खड़ा कर जीतने की स्थिति में आना भी एक चमत्कार ही है।
परिणाम जो भी हो भाजपा को होगा नुकसान !
अब शहर में चुनाव परिणाम जो भी हो इसका सबसे अधिक असर भाजपा पर ही आना है। भाजपा अपने मजबूत संगठन एंव कोर वोटर के बल पर कम अंतर से रण जीतने में सफल होती है या भीतरघात से समय पर नही निपटने के कारण हार का सामना करती है। दोनो परिस्थितियों में खोने को भाजपा के पास ही अधिक है। कांग्रेस शहर में हारे या जीते उसे एक नेता भी मिलेगा और नया ठिकाना भी ।
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