रक्षाबंधन पर रतलाम के वीर बेटे शहीद कन्हैयालाल की स्मृति होगी अमर, जानिये किसने - एक बहन से किए वादे के लिए बनाया राष्ट्र शक्ति स्थल
On this Rakshabandhan, Rashtra Shakti Sthal will be built in the memory of Martyr Kanhaiyalal and dedicated to his family. It was a promise made to his wife Sapna Jat, which will now be fulfilled.
रतलाम। हम रक्षाबंधन का त्यौहार तब मना पाते हैं, जब कोई वीर सीमा पर हमारी सुरक्षा के लिए खड़ा रहता है। रतलाम जिले के गुणावद गांव के जाट परिवार के बेटे कन्हैयालाल ने सीमा पर शहादत दी। परंतु परिवार उनके नाम को जीवित रखने के लिए दो साल परेशान रहा। इस रक्षाबंधन पर शहीद कन्हैयालाल की स्मृति में राष्ट्र शक्ति स्थल का निर्माण कर उनके परिवार को समर्पित किया जाएगा। यह उनकी पत्नी सपना जाट से किए गए वादा था, जो अब पूरा होगा।
यह बातें रतलाम प्रेस क्लब पर आयोजित पत्रकार वार्ता में शहीद समरसता मिशन के बारे में बताते हुए केंद्रीय समन्वय टोली के सदस्य राहुल राधेश्याम, प्रदेश संयोजक प्रकाश गौड़ ने बताई। इस दौरान उज्जैन संभाग प्रभारी एवं शहीद कन्हैयालाल की वीरांगना सपना जाट भी मौजूद रहीं।
उन्होंने बताया कि देश और प्रदेश में प्रारंभ किए गए शहीद समरसता मिशन का उद्देश्य है कि जिन जिलों में कोई वीर सेना में रहते हुए शहीद हुआ है, उसके नाम से राष्ट्रीय शक्ति स्थल का निर्माण किया जाएगा। इसी के तहत मई 2021 में सेना में रहते शहीद हुए कन्हैयालाल जाट की स्मृति में करीब 5 लाख रुपए के खर्च से निर्माण किया जा रहा है। इसमें शहीद की प्रतिमा लगाकर रक्षाबंधन के दिन उनके पैतृक गांव गुणावद में 30 अगस्त को सुबह 11 बजे समारोह होगा।
देशभर में बन रहे शक्ति स्थल
राहुल राधेश्याम ने बताया कि देशभर के 36 राष्ट्रीय शक्ति स्थल बनाने का लक्ष्य है। वर्तमान में करीब 65 जिलों में स्थल बन चुके हैं और प्रदेश में 8। रतलाम में 9वां स्थल बनेगा। इसमें होने वाले खर्च पर बताया कि मिशन से जुड़े सभी लोग इसमें सहभागिता कर रहे हैं, साथ ही सैनिकों की शहादत को सम्मान देने वाले इच्छुक लोग, संस्थाएं भी दान कर सकती हैं। किसी भी व्यक्ति से जो भी राशि ली जाती है वह पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी है।
सरकार और समाज दें उचित सम्मान
उन्होंने कहा कि मिशन की एक प्रमुख मांग केंद्र सरकार से हैं कि सभी शहीदों के परिवार को तत्काल 1 करोड़ की राशि दी जाए। इससे हर माता, पिता, पत्नी, बहन, भाई के मन में अपने बेटे, बेटी को सेना में भेजने में अपने भविष्य को लेकर संशय नहीं रहेगा। बेटा भी सीमा पर बिना परिवार की इस फिक्र के सेवा दे सकेगा। साथ ही उन्होंने समाज से भी अपील की कि अपने शहीदों का सम्मान करने के लिए कार्यक्रमों में आएं। कार्यक्रमों को आयोजित करने से ही यहां की आने वाली पीढ़ियां अपने गांव, शहर के शहीदों के बारे में जान कर प्रेरित हो सकेंगे।