शीतलहर एवं पाले से फसलों में बचाव के लिये किसानों को जरूरी सलाह
वर्तमान में तापमान में गिरावट के कारण रबी फसलो में पाले का प्रभाव होने की संभावना हो सकती है यदि शाम के समय उत्तरी हवाये चलती है तो किसानो को पाले से फसलो को बचाव के लिये निम्न उपाय करना चाहिये।

रतलाम। वर्तमान में तापमान में गिरावट के कारण रबी फसलो में पाले का प्रभाव होने की संभावना हो सकती है यदि शाम के समय उत्तरी हवाये चलती है तो किसानो को पाले से फसलो को बचाव के लिये निम्न उपाय करना चाहिये।
उप संचालक कृषि विजय चौरसिया, ने बताया कि खेत के पास धुआ करें :- अपनी फसल को पाले से बचाने के लिये आप अपने खेत में धुंआ पैदा कर दें जिससे तापमान जमाव बिन्दु तक नहीं गिर पाता और पाले से होने वाली हानि से बचा जा सकता है ।
पौधे को ढकें :- पाले से सबसे अधिक नुकसान नर्सरी में होता है नर्सरी में पौधो को रात में प्लास्टिक की चादर से ढकने की सलाह दी जाती है ऐसा करने से प्लास्टिक के अंदर का तापमान 2.3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है जिससे सतह का तापमान जमाव बिन्दु तक नहीं पहंच पाता और पौधे पाले से बच जाते है । पॉलिथिन की जगह पर पुआल का इस्तेमान भी किया जा सकता है पौधो को ढकते समय इस बात का ध्यान जरूर रखे कि पौधो का दक्षिण पूर्वी भाग खुला रहें ताकि पौधो को सुबह व दोपहर को धुप मिलती रहे ।
रसायनिक उपचार भी जरूरी
रसायनिक उपचार :- जिस दिन पाला पड़ने की संभावना हो उन दिनो फसलो पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहियें । इस हेतु एक लीटर गंधक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टर क्षेत्र में प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिड़के । ध्यान रखे की पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगें । छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है यदि इस अवधि के बाद भी शीत लहर व पाले की संभावना बनी रहे तो गंधक के तेजाब को 15-15 दिन के अंतर से दोहराते रहें । सल्फर 90 प्रतिशत पाउडर को 3 किलोग्राम एक एकड़ में छिड़काव करने के बाद सिंचाई करें । सल्फर 80 प्रतिशत पाउडर को 40 ग्राम प्रति पम्प (15 लीटर पानी) में मिलाकर स्प्रे करें । ग्लूकोज का उपयोग 25 ग्राम पर प्रतिटंकी (15 लीटर) पानी में घोल बनाकर फसलो पर छिड़काव करें।
इसपर भी दे ध्यान
फसलों को बचाने के लिये खेत की उत्तरी पश्चिमी मेंड़ो पर तथा बीच-बीच में उचित स्थानो पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत बबलू, खेजड़ी, अरड़ू एवं जामुन आदि लगा लिये जाये तो पाले और ठण्डी हवा के झोको से फसल का बचाव हो सकता है ।