महंगे धन की तरह संभाल कर रखा है आज़ादी की खबर लाने वाला अखबार , रतलाम के भंवरलाल जैन के पास है कई नायाब दस्तावेजो का अदभूत संग्रह
आजादी का जश्न हर कोई अपने अंजाज में मना रहा है। शहर में एक अखबार विक्रेता ऐसे भी है जो आजादी का जश्न जुदा अंदाज में मनाते है। ये उस ऐतहासिक दिन 15 अगस्त 1947 के एक अखबार जो उन्हौने सहेज कर रखा है।
रतलाम। (NEWSMPG.COM)आजादी का जश्न हर कोई अपने अंजाज में मना रहा है। शहर में एक अखबार विक्रेता ऐसे भी है जो आजादी का जश्न जुदा अंदाज में मनाते है। ये उस ऐतहासिक दिन 15 अगस्त 1947 के एक अखबार जो उन्हौने सहेज कर रखा है। उसे अपनी दूकान पर आने वाले लोगो को दिखाते है एवं आजादी का जश्न साझा करते है।शहर के सैलाना बस स्टैण्ड पर 40 साल से जैन पुस्तकालय का संचालन करने वाले भंवरलाल जैन आजादी की के दिन तो महज डेढ़ साल के थे लेकिन पिता से विरासत में मिले आजादी के दिन वाले अखबार को मंहगे धन की तरह सहेज कर रखा हुआ है।
भंवरलाल जैन
अपने बुक स्टॉल पर सालो से अखबार भी बेचने वाले भंवरलाल जैन कहते है आजादी के पहले दिन से आज तक बहुत कुछ बदला है। देश की बदलती तस्वीर अखबारो के माध्यम से साल दर साल लोगो को मिलती रही । 15 अगस्त 1947 की सुबह जब अखबार आजादी की खबर लेकर आए तो देश जश्न में डूब गया उस दिन शहर में भी जश्न मना था। उनके पिता भी इसमें शरीक थे तथा उस दिन का अखबार दो आने में खरीद कर लाए थे। इस अखबार में आजादी की घोषणा के साथ ही पाकिस्तान के गठन एवं पंण्डित जवाहर लाल नेहरू की केबिनेट की खबर पंण्डित नेहरू एवं पटेल के फोटो के साथ है। भंवरलाल जैन ने उस अखबार को आज तक सहेज कर रखा है। श्री जैन ने 15 अगस्त 1947 के अंग्रेजी अखबार दी स्टेट्समेन की प्रति को पारदर्शी पोलीथीन में एक लोहे की पेटी में संभालकर रखा हुआ है।
गांधी की जीवनी एवं लंदन टाईम्स का विशेषांक भी संग्रह में
भंवरलाल जैन को ऐतहासिक एवं पुरानी वस्तुओ के संग्रहण का शौक है। श्री जैन के पास मुगल कालीन पुराने सिक्के , पुराने डाक टिकिट सहित रतलाम रियासत के पुराने रेवन्यू टिकिट का भी संग्रह है। श्री जैन के पास 1927 में प्रकाशित महात्मा गांधी की जीवनी सहित 1960 के ब्रिटिश अखबार लंदन टाईम्स का औलम्पिक विशेषांक भी मौजूद है। श्री जैन के पास जयपूर इंदौर, महेश्वर, जोधुपर , रतलाम सहित देश के कई राजाओ के हाथ से बनाए चित्र एवं कैमरे से लिए गए श्वेत श्याम चित्रो का नायाब कलेक्शन भी है। श्री जैन के मुताबिक इतिहास की धरोहरो को सहेजने के लिए वे जितना कर सकते है करते है लेकिन आज के युवा इतिहास के प्रति गंभीर नही है। किताबो का अध्ययन करने के बजाय सोशल मीडिया पर बैसिर की बातो को ही इतिहास समझ कर अधिकांश लोग अपनी धारणा बना लेते है।
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