कोविड संक्रमण के तीन साल बाद भी दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा, शोध में चौंकाने वाले खुलासे
कोविड सिर्फ फेफड़ों की नहीं, दिल की बीमारी का भी कारण बन सकता है – और वो भी कई सालों तक। विशेषज्ञों का कहना है कि पूर्व कोविड मरीजों को हृदय की नियमित जांच और सावधानीभरे जीवनशैली को अपनाना चाहिए।

Health Desk @Newsmpg...एक ताजा अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में सामने आया है कि कोविड-19 संक्रमण सिर्फ उस वक्त ही नहीं, बल्कि उसके तीन साल बाद तक भी दिल का दौरा (हार्ट अटैक), स्ट्रोक और मौत का खतरा बढ़ा सकता है। यह खतरा उन लोगों में भी पाया गया जिनका पहले से हृदय रोग से कोई संबंध नहीं था।
यह अध्ययन अमेरिका के अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की पत्रिका आर्टेरियोस्क्लेरोसिस, थ्रोम्बोसिस एंड वैस्कुलर बायोलॉजी (ATVB) में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने यूनाइटेड किंगडम (यूके) के करीब 10,000 कोविड संक्रमित वयस्कों का तीन वर्षों तक विश्लेषण किया। तुलना के लिए 2 लाख से ज्यादा गैर-संक्रमित वयस्कों के डेटा को भी शामिल किया गया।
???? मुख्य निष्कर्ष:
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कोविड संक्रमित लोगों में दिल का दौरा, स्ट्रोक और मौत का खतरा दोगुना पाया गया।
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जिन्हें कोविड के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, उनमें यह खतरा चार गुना तक बढ़ गया।
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गैर-O रक्त समूह (A, B, AB) वाले लोगों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा O ग्रुप वालों की तुलना में 65% ज़्यादा देखा गया।
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पहले से हृदय रोग या मधुमेह से पीड़ित लोगों में कोविड के बाद हृदय संबंधी खतरा 21% ज्यादा बढ़ा।
गंभीर संक्रमण = ज़्यादा खतरा
अध्ययन में यह भी बताया गया कि जिन्हें कोविड के कारण ICU या अस्पताल में भर्ती किया गया था, उनमें लंबे समय तक दिल की बीमारियों का खतरा ज्यादा बना रहा। यह जोखिम टाइप 2 डायबिटीज़ और परिधीय धमनी रोग जैसे हृदय के पारंपरिक जोखिमों के बराबर था।
क्या कहता है ब्लड ग्रुप?
शोध में पाया गया कि O रक्त समूह वाले लोगों में जोखिम अपेक्षाकृत कम रहा, जबकि A, B और AB ब्लड ग्रुप वालों में यह खतरा ज्यादा था। हालांकि Rh फैक्टर (पॉजिटिव या नेगेटिव) के कोई स्पष्ट प्रभाव नहीं पाए गए।
विशेषज्ञों की राय:
यूएससी केक स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ता जेम्स हिल्सर ने कहा,
“यह समझना जरूरी है कि कोविड-19 का प्रभाव बीमारी के बाद भी बना रह सकता है, और गंभीर मामले लंबे समय तक हृदय पर असर डाल सकते हैं।”
वहीं, क्लीवलैंड क्लिनिक के डॉ. स्टेनली हेज़न ने कहा,
“कोविड संक्रमण के दीर्घकालिक असर को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। इससे दुनियाभर में हृदय रोग के मामलों में बढ़ोतरी की वजह समझी जा सकती है।”
क्या मायने?
भारत में करोड़ों लोग कोविड संक्रमण से गुज़रे हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर यह जरूरी हो जाता है कि:
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पूर्व कोविड मरीजों की नियमित कार्डियक जांच हो।
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ब्लड ग्रुप को ध्यान में रखते हुए विशेष सावधानी बरती जाए।
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जो लोग अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं, वे खुद को हाई रिस्क ग्रुप में मानें।Courtesy _ National Institute of Health And American Heart Association.
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