'सऊदी के साथ डिफेंस डील के लिए किसी तीसरे देश से पूछने की जरूरत नहीं थी', अमेरिका को लेकर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने क्यों कही ये बात
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि सऊदी के साथ हुई म्युचुअल डिफेंस डील के लिए किसी तीसरे पक्ष से बात करने का कोई मतलब नहीं था. उन्होंने यह जवाब उस सवाल पर दिया है, जिसमें उनसे पूछा गया था कि क्या इस मामले में अमेरिका को विश्वास में लिया गया था. उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि किसी तीसरे पक्ष की इसमें कोई भूमिका या औचित्य नहीं है. ख्वाजा आसिफ ने कहा, 'यह समझौता किसी प्रभुत्व स्थापित करने वाली व्यवस्था का हिस्सा नहीं होगा, बल्कि एक रक्षात्मक व्यवस्था है… हमारे पास किसी की जमीन पर कब्जा करने या हमला करने की कोई योजना नहीं है, लेकिन हमारे मौलिक अधिकार से हमें वंचित नहीं किया जा सकता और हमने उसका इस्तेमाल किया.' ख्वाजा आसिफ ने यह भी कहा कि सऊदी अरब में पवित्र इस्लामी स्थलों की रक्षा करना पाकिस्तान का एक परम कर्तव्य है. सुरक्षा बलों पर आतंकवादी हमलों के सवाल पर ख्वाजा आसिफ ने पाकिस्तान का दावा दोहराया कि अफगान जमीन का इस्तेमाल देश में आतंकवाद फैलाने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने कहा, 'हम अफगानिस्तान के साथ दो जंगों में उलझे रहे. दोनों ही मौकों पर अमेरिका इस क्षेत्र से चला गया और हम अब भी इसके परिणाम भुगत रहे हैं, चाहे वह तालिबान हो, टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान), बीएलए (बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी) या कोई और.' ख्वाजा आसिफ ने अफगानिस्तान को शत्रु देश बताते हुए कहा, 'मैं इस बात को लेकर पूरी तरह स्पष्ट हूं कि काबुल सरकार इसमें निर्दोष नहीं है. इन लोगों के जरिए वे हमें ब्लैकमेल कर रहे हैं.' जब उनसे पूछा गया कि क्या अरब देश अफगानिस्तान की आक्रामकता का जवाब देंगे, तो ख्वाजा आसिफ ने कहा कि उन्हें इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी. पाकिस्तान और सऊदी अरब ने 17 सितंबर को एक स्ट्रेटेजिक म्युचुअल डिफेंस पैक्ट पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके अनुसार किसी भी देश पर हमला होता है तो उसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा. एक संयुक्त बयान के अनुसार, इस समझौते पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने हस्ताक्षर किए. यह समझौता कतर में हमास नेतृत्व पर इजराइली हमले के कुछ दिनों बाद हुआ है, जो खाड़ी क्षेत्र में अमेरिका का एक प्रमुख सहयोगी है.
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि सऊदी के साथ हुई म्युचुअल डिफेंस डील के लिए किसी तीसरे पक्ष से बात करने का कोई मतलब नहीं था. उन्होंने यह जवाब उस सवाल पर दिया है, जिसमें उनसे पूछा गया था कि क्या इस मामले में अमेरिका को विश्वास में लिया गया था. उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि किसी तीसरे पक्ष की इसमें कोई भूमिका या औचित्य नहीं है.
ख्वाजा आसिफ ने कहा, 'यह समझौता किसी प्रभुत्व स्थापित करने वाली व्यवस्था का हिस्सा नहीं होगा, बल्कि एक रक्षात्मक व्यवस्था है… हमारे पास किसी की जमीन पर कब्जा करने या हमला करने की कोई योजना नहीं है, लेकिन हमारे मौलिक अधिकार से हमें वंचित नहीं किया जा सकता और हमने उसका इस्तेमाल किया.'
ख्वाजा आसिफ ने यह भी कहा कि सऊदी अरब में पवित्र इस्लामी स्थलों की रक्षा करना पाकिस्तान का एक परम कर्तव्य है. सुरक्षा बलों पर आतंकवादी हमलों के सवाल पर ख्वाजा आसिफ ने पाकिस्तान का दावा दोहराया कि अफगान जमीन का इस्तेमाल देश में आतंकवाद फैलाने के लिए किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, 'हम अफगानिस्तान के साथ दो जंगों में उलझे रहे. दोनों ही मौकों पर अमेरिका इस क्षेत्र से चला गया और हम अब भी इसके परिणाम भुगत रहे हैं, चाहे वह तालिबान हो, टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान), बीएलए (बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी) या कोई और.'
ख्वाजा आसिफ ने अफगानिस्तान को शत्रु देश बताते हुए कहा, 'मैं इस बात को लेकर पूरी तरह स्पष्ट हूं कि काबुल सरकार इसमें निर्दोष नहीं है. इन लोगों के जरिए वे हमें ब्लैकमेल कर रहे हैं.' जब उनसे पूछा गया कि क्या अरब देश अफगानिस्तान की आक्रामकता का जवाब देंगे, तो ख्वाजा आसिफ ने कहा कि उन्हें इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी.
पाकिस्तान और सऊदी अरब ने 17 सितंबर को एक स्ट्रेटेजिक म्युचुअल डिफेंस पैक्ट पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके अनुसार किसी भी देश पर हमला होता है तो उसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा. एक संयुक्त बयान के अनुसार, इस समझौते पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने हस्ताक्षर किए.
यह समझौता कतर में हमास नेतृत्व पर इजराइली हमले के कुछ दिनों बाद हुआ है, जो खाड़ी क्षेत्र में अमेरिका का एक प्रमुख सहयोगी है.