Alzheimers Treatment: क्या वाकई बन गई है अल्जाइमर की दवाई? नवंबर में होगा खुलासा

Treatment for Alzheimers: बढ़ापे में होने वाले मानसिक रोग अल्जाइमर की अब तक कोई ऐसी दवाई नहीं है, जिससे इस रोग को बढ़ने से रोका जा सके या पूरी तरह ठीक किया जा सके. हालांकि अब इस बारे में उम्मीद की एक नई किरण जगी है. अल्जमाइमर रोग की दवाओं को पर शोध करने वाली कंपनी बायोजेन और अन्य पार्टनर्स की तरफ से इस दिशा में लगातार काम किया जा रहा है. अब ताजा रिसर्च में जिस तरह के मामले सामने आए हैं, उनसे उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही लाइलाज माने जाने अल्जाइमर रोग की दवाई भी मार्केट में आना संभव है. पिछले दिनों जापान की कंपनी आइसाई (Eisai Co.) की तरफ से इस बारे में जानकारी दी गई.  कंट्रोल हो सकेगी बीमारी आइसाई की तरफ से कहा गया है कि अल्जाइमर की दवाओं पर चल रहे शोध के अंतिम चरण में यह बात सामने आई है कि कुछ खास दवाओं के माध्यम से अल्जामर के बढ़ने की दर को कम किया जा सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि अल्जाइमर बीमारी की शुरुआत में ही इन दवाओं का सेवन किया जाए तो इस बीमारी के घातक बनने की स्पीड को बहुत हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. हालांकि इस बारे में अधिक जानकारी अभी नहीं दी गई है और डिटेल्स के साथ इस रिसर्च को नंबर के अंत में पब्लिश करने की तैयारी है. तभी इसके बारे में अधिक जानकारी को सार्वजनिक किया जाएगा.  18 महीने में दिखा ऐसा रिजल्ट शोध के दौरान दवाओं का उपयोग अल्जाइमर के ग्रसित 1 हजार 8 सौ लोगों पर किया गया. ये सभी अल्जाइमर के प्रथम चरण (Early-stage alzheimer) से ग्रसित मरीज हैं. रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि इन दवाओं के उपयोग से मरीज की सेहत की गिरावट में 27 प्रतिशत तक की कमी आई है. दवाएं शुरू करने के बाद 18 महीने तक इनके असर को देखा गया और अब तक अल्जाइमर के लिए दी जा रही दवाओं के असर के साथ इनका क्लिनिकल इवेल्यूएशन किया गया. आपको बता दें कि मेंटल हेल्थ और इससे संबंधि बीमारियों के स्तर को नापने के लिए डॉक्टर्स के अपने मेडिकल पैरामीटर्स होते हैं, जिनके आधार पर स्केलिंग करके रोगी की सेहत में सुधार या गिरावट का पता लगाया जाता है. आइसाई का कहना है कि नंबर के आखिर तक इस शोध को मेडिकल जर्नल में प्रकाशित कर दिया जाएगा. साथ ही दवाओं से जुड़ी जरूरी जानकारियों को भी सार्वजनिक कर दिया जाएगा. Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.  यह भी पढ़ें: जिन्हें तनाव रहता है या जो स्ट्रेसफुल जॉब में हैं, उन्हें हर दिन खाने चाहिए ये टेस्टी फूड्स यह भी पढ़ें: सुबह की ऐसे करें शानदार शुरुआत क्योंकि हर दिन 'जी भर जीनी है जिंदगी'

Oct 1, 2022 - 15:22
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Alzheimers Treatment: क्या वाकई बन गई है अल्जाइमर की दवाई? नवंबर में होगा खुलासा

Treatment for Alzheimers: बढ़ापे में होने वाले मानसिक रोग अल्जाइमर की अब तक कोई ऐसी दवाई नहीं है, जिससे इस रोग को बढ़ने से रोका जा सके या पूरी तरह ठीक किया जा सके. हालांकि अब इस बारे में उम्मीद की एक नई किरण जगी है. अल्जमाइमर रोग की दवाओं को पर शोध करने वाली कंपनी बायोजेन और अन्य पार्टनर्स की तरफ से इस दिशा में लगातार काम किया जा रहा है.

अब ताजा रिसर्च में जिस तरह के मामले सामने आए हैं, उनसे उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही लाइलाज माने जाने अल्जाइमर रोग की दवाई भी मार्केट में आना संभव है. पिछले दिनों जापान की कंपनी आइसाई (Eisai Co.) की तरफ से इस बारे में जानकारी दी गई. 

कंट्रोल हो सकेगी बीमारी

आइसाई की तरफ से कहा गया है कि अल्जाइमर की दवाओं पर चल रहे शोध के अंतिम चरण में यह बात सामने आई है कि कुछ खास दवाओं के माध्यम से अल्जामर के बढ़ने की दर को कम किया जा सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि अल्जाइमर बीमारी की शुरुआत में ही इन दवाओं का सेवन किया जाए तो इस बीमारी के घातक बनने की स्पीड को बहुत हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. हालांकि इस बारे में अधिक जानकारी अभी नहीं दी गई है और डिटेल्स के साथ इस रिसर्च को नंबर के अंत में पब्लिश करने की तैयारी है. तभी इसके बारे में अधिक जानकारी को सार्वजनिक किया जाएगा. 

18 महीने में दिखा ऐसा रिजल्ट

शोध के दौरान दवाओं का उपयोग अल्जाइमर के ग्रसित 1 हजार 8 सौ लोगों पर किया गया. ये सभी अल्जाइमर के प्रथम चरण (Early-stage alzheimer) से ग्रसित मरीज हैं. रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि इन दवाओं के उपयोग से मरीज की सेहत की गिरावट में 27 प्रतिशत तक की कमी आई है. दवाएं शुरू करने के बाद 18 महीने तक इनके असर को देखा गया और अब तक अल्जाइमर के लिए दी जा रही दवाओं के असर के साथ इनका क्लिनिकल इवेल्यूएशन किया गया.

आपको बता दें कि मेंटल हेल्थ और इससे संबंधि बीमारियों के स्तर को नापने के लिए डॉक्टर्स के अपने मेडिकल पैरामीटर्स होते हैं, जिनके आधार पर स्केलिंग करके रोगी की सेहत में सुधार या गिरावट का पता लगाया जाता है. आइसाई का कहना है कि नंबर के आखिर तक इस शोध को मेडिकल जर्नल में प्रकाशित कर दिया जाएगा. साथ ही दवाओं से जुड़ी जरूरी जानकारियों को भी सार्वजनिक कर दिया जाएगा.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. 

यह भी पढ़ें: जिन्हें तनाव रहता है या जो स्ट्रेसफुल जॉब में हैं, उन्हें हर दिन खाने चाहिए ये टेस्टी फूड्स

यह भी पढ़ें: सुबह की ऐसे करें शानदार शुरुआत क्योंकि हर दिन 'जी भर जीनी है जिंदगी'

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