सिविक सेंटर प्लाट रजिस्ट्री हंगामे में आया चौंकाने वाला नया मोड़, बदल सकती है केस की दिशा

- सूचना का अधिकार में सामने आई जानकारी नगर निगम ने ही मांगी थी घाटे में बेचने की अनुमति.... 2008 में नगर निगम ने खुद ही सिविक सेंटर सहित नौ योजनाओं के प्लाट घाटे में बेचने की अनुमति कैबिनेट से मांगी थी।

सिविक सेंटर प्लाट रजिस्ट्री हंगामे में आया चौंकाने वाला नया मोड़, बदल सकती है केस की दिशा
Ratlam Civic Centre Sampatti vivad

रतलाम। सिविक सेंटर के जिन प्लाट की पुरानी दरों पर रजिस्ट्री होने पर बवाल मचा हुआ है उसमें नया और दिलचस्प मोड़ आया है। सूचना का अधिकार में जानकारी सामने आई है कि वर्ष 2008 में नगर निगम ने खुद ही सिविक सेंटर सहित नौ योजनाओं के प्लाट घाटे में बेचने की अनुमति कैबिनेट से मांगी थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री की केबिनेट ने इसपर फैसला भी दिया था।

सूचना के अधिकार में मांगी गई जानकारी में सामने आया है कि कम दरों पर बेचे जाने के बाद घाटा खाकर रजिस्ट्री कराने के लिए नगर निगम से ही वर्ष 2008 में शासन से नियमों को शिथिल कर आदेश देने की मांग की गई थी। निगम के पत्र पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की अध्यक्षता में सितंबर 2008 में हुई कैबिनेट की बैठक में इसे स्वीकृति दी गई थी। 

कोर्ट में विचाराधीन है मामला 

यह बात सामने आने के बाद अब सिविक सेंटर के 27 प्लाटों की रजिस्ट्री निरस्त कराने के मामले में नगर निगम को बैकफुट पर आना पड़ सकता है। फिलहाल हाईकोर्ट में मामला सुनवाई में है और इसमें कोर्ट ने स्टे दिया हुआ है। बताया जा रहा है कि अगली सुनवाई में निगम की ओर से दिए जाने वाले जवाब से प्रकरण की दिशा तय हो सकती है। उल्लेखनीय है कि शहर में सिविक सेंटर के 27 प्लाटों की रजिस्ट्री 1996 की दरों पर होने के बाद से हंगामा मचा हुआ है। 

विलय के बाद बदलने थे नियम 

सूचना का अधिकार में सामने आया है कि नगर निगम ने न केवल सिविक सेंटर बल्कि तत्कालीन नगर सुधार न्यास की कई योजनाओं में प्लाट नियम विपरीत बेच दिए थे। ऐसे करीब 1500 प्लाट हैं जिनके लिए यह अनुमति मांगी गई थी। 1 अगस्त 1994 को नगर सुधार न्याय का विलय नगर निगम में कर दिया गया था। विलय के बाद न्यास के व्यावसायिक व आवासीय भूखंडों का विक्रय नगर निगम के तत्कालीन अधिकारियों, पदाधिकारियों द्वारा मप्र नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 80 के अंतर्गत बनाए गए नगर पालिक निगम नियम 1994 के प्रावधान अनुसार किए जाने थे। लेकिन नगर सुधार न्यास अधिनियम 1960 के नियमों के अनुसार पहले आओ-पहले पाओ पद्धति पर पूर्णतया विक्रित मूल्य व लीज पर संपत्तियां बेच दी गई और कुछ की रजिस्ट्री भी करा दी गई। 

विवाद के बाद लिखा गया था पत्र 

नियम विपरीत संपत्ति बेचे जाने के बाद विसंगति के चलते प्लाटों की रजिस्ट्रियां रूक गई। इससे विवाद की स्थिति बनी तो 21 जुलाई 2008 को तत्कालीन आयुक्त द्वारा नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिख नगर सुधार न्यास की आवंटित संपत्तियों की रजिस्ट्री कराने व शेष संपत्तियों के आवंटन की स्वीकृति मांगी गई। निगम के पत्र के बाद इस मामले को कैबिनेट में रखने से पहले विधि विभाग, वित्त विभाग की राय भी ली गई। इसमें विधि विभाग ने उल्लेख किया कि नियमों के अंतर से घोष विक्रय के अभाव में यदि संपत्ति का उचित मूल्य नर पालिक निगम को नहीं मिल सका है तो जबकि वह घाटा सहन करने को तैयार है तो उसे ऐसी अनुमति दी जा सकती है। क्योंकि नियमों में परिवर्तन का अधिकार राज्य शासन को है। 

शर्तों के साथ मिली थी अनुमति 

इसके बाद 30 सितंबर 2008 को हुई कैबिनेट की बैठक के आयटम नंबर 21 पर इसे स्वीकृति देकर निर्णय लिया गया था। इसमें कि नगर सुधार न्यास  रतलाम द्वारा पूर्व में निर्मित संपत्ति के विक्रय की कार्योत्तर स्वीकृति नगर निगम को दी जाए। विक्रय योग्य शेष संपत्ति को नगर निगम द्वारा मप्र नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 में वर्णित प्रावधान अनुसार विक्रय की अनुमति दी गई थी। लेकिन इसमें शर्तें शामिल थी कि विक्रय से प्राप्त राशि केवल हुड़कों से लिए गए ऋण को चुकाने में व्यय की जाएगी। संपत्ति के मूल्य में हुई कमी की प्रतिपूर्ति राज्य शासन द्वारा नहीं की जाएगी। इस निर्णय के बाद 31 अक्टूबर 2008 को नगरीय प्रशासन विभाग के तत्कालीन उप सचिव एसके उपाध्याय ने नगर निगम आयुक्त रतलाम को राज्य शासन द्वारा दी गई अनुमति का आदेश जारी किया।

महापौर, परिषद की अनुमति बिना होती रही रजिस्ट्री 

राज्य शासन के आदेश के बाद विकास शाखा की नौ योजनाओं में प्लाटों की रजिस्ट्री लगातार होती रही। इस दौरान महापौर परिषद, निगम परिषद से इसकी कोई अनुमति या जानकारी भी नहीं दी गई। इसकी वजह यह रही कि राज्य शासन के निर्णय के बाद स्थानीय स्तर पर अनुमति लेना जरूरी नहीं हो जाता।

इसके बाद इन योजनाओं के प्लाटों की रजिस्ट्री के लिए मांगी थी अनुमति
राजीव गांधी सिविक सेंटर-36 भूखंड, 132 भवन
पंडित प्रेमनाथ डोंगरे नगर-558 भवन व 56 भूखंड
मुखर्जी नगर -133 भवन व 2 भूखंड
देवरा देवनारायण नगर-18 भवन व 5 भूखंड
इंद्रानगर पूर्व-6 भूखंड
कस्तूरबा नगर-4 भूखंड
कलीमी कालोनी-01 भूखंड
अर्जुन नगर- 19 भवन
अमृत सागर-32 भवन

निगम की राह में यह पेंच फंसेगा

सात मार्च 2024 को नगर निगम के साधारण सम्मेलन में पुरानी दर पर रजिस्ट्री कराने का हवाला देकर सिविक सेंटर की 27 प्लाटों की रजिस्ट्री निरस्त कराने का निर्णय परिषद ने पारित किया था। इसके पालन को लेकर कलेक्टर को भी पत्र दिया गया। अब राज्य शासन का विस्तृत आदेश सामने आने के बाद निगम प्रशासन को कानूनी पहलू को लेकर मशक्कत करना पड़ सकती है। एक संभावना यह भी है कि मामला फिर से निगम परिषद में भेजा जाए और वहां इस पर नए सिरे से विचार हो।