सियासतनामा : विधानसभा में रतलाम की सियासत के तीन रंग: मुलाकातें, विरोध और नेतृत्व - क्यों भोपाल में छाया है रतलाम, जानिए पूरी खबर

विधानसभा सत्र के इस दौर में रतलाम ने अलग-अलग रंग दिखाए—कहीं दो पुराने नेताओं की सहज और सौहार्दपूर्ण मुलाकात ने चर्चाओं को जन्म दिया, तो कहीं एक मंत्री के बयान पर सदन में गूंजता विरोध सुनाई दिया। इन सबके बीच एक विधायक ने जिम्मेदारी के साथ नेतृत्व की मिसाल भी पेश की। रतलाम इस बार हर कोण से नजर में रहा।

Aug 1, 2025 - 19:19
Aug 1, 2025 - 20:08
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सियासतनामा :  विधानसभा में रतलाम  की सियासत के तीन रंग: मुलाकातें, विरोध और नेतृत्व - क्यों भोपाल में छाया है रतलाम, जानिए पूरी खबर
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-MP Goswami

काश्यप और पारस जब मिले विधानसभा में , फिर यूं हुई मुलाकात

रतलाम की राजनीति हमेशा से जुुदा अंदाज की रही है, लेकिन इस बार जो रंग फिजाओं में घुला है, वो कुछ ज्यादा ही चटपटा है। बात हो रही है दो धुर विरोधियों—मंत्री चैतन्य काश्यप और  पूर्व विधायक —की, जिनकी विधानसभा अध्यक्ष दीर्घा में हुई गुपचुप मुलाकात ने सिर्फ सियासी पारा चढ़ा दिया है,
अब देखिए, ये कोई आम मुलाकात नहीं थी। ना मीडिया कैमरे थे, ना कोई औपचारिक मुस्कानें। बस दीर्घा में दो पुराने राजनीतिक 'प्रतिद्वंद्वी' आमने-सामने और बातों का सिलसिला। कुछ लोगों ने आंखें मलते हुए देखा, कुछ ने कान खुजाए, पर यकीन नहीं हुआ। विणानसभा में अध्क्षीय दीर्घा में मंत्री काश्यप और कांग्रेस नेता पारस सकलेचा ने करीब सात मिनिट तक चर्चा की। ये चर्चा क्या थी , किस विषय पर थी ये तो नही पता पर खुशनुमा मौहाल में हुई ये अवश्य पता है। वैसे ,मुलाकात इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि  रतलाम के लोग जानते हैं कि ये एक के बयान में अगर 'विकास' होता है तो दूसरे के जवाब में 'विनाश' तय होता है। लेकिन यहां मामला थोड़ा अलग था—ना आरोप, ना प्रत्यारोप, बस मंद मुस्कानें और कुछ कहकहे।
अब जनता कह रही है, हो ना हो, कोई बड़ी खिचड़ी पक रही है। कुछ इसे 'भविष्य की गारंटी' और 'वर्तमान की रणनीति' बता रहे हैं। वैसे राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता, क्योकि राजनीति में न दुश्मनी स्थायी होती है, न दोस्ती—बस  मुस्कानें बहुत कुछ कह जाती हैं!अब ये मुलाकात क्या गुल खिलाएगी, आने वाला वक्त ही बताएगा।

रतलाम के प्रभारी मंत्री पहुंचे विधानसभा और फिर जो हुआ ....

प्रदेश के आदिम जाति  कल्याणमंत्री और रतलाम जिले के प्रभारी मंत्री विजय शाह जब विधानसभा  पहुंचे तक जमकर हंगामा हुआ। इसके बाद विधानसभा को सोमवार तक स्थगित करनी पड़ी।

  शुक्रवार को प्रात: 11 बजे जब विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई और प्रश्नकाल चल ही रहा था। इसी दौरान अजाकमंत्री विभागीय सवालो के जवाब देने उठे। तभी  विधानसभा के भीतर विपक्ष ने मंत्री विजय शाह के बयान को लेकर तीखा मोर्चा खोल दिया। कांग्रेस विधायकों ने कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए गए विवादित बयान को लेकर मंत्री के इस्तीफे की मांग ठान ली — और बस फिर क्या था, सदन का माहौल देखते ही देखते तू-तू, मैं-मैं में बदल गया। बचाव में आए नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और नेता प्रतिपक्ष उमंगर सिघांर ने भी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप के बाण चलाए। विधानसभा की कार्यवाही पहले दोपहर एक बजे तक स्थगित की गई। उसके बाद 1 बजे दोबारा कार्यवाही शुरू हुईतो कांग्रेस के जोरदार हंगामे के बीच दोबारा विधानसभा की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। मंत्री शाह का विरोध आगे कब तक जारी रहेगा ,देखनी वाली बात है।

कभी सवालों की बौछार, तो कभी सभापति की कुर्सी पर संभाली कमान

विधानसभा के इस सत्र में अगर किसी चेहरे ने लगातार सुर्खियाँ बटोरी हैं, तो वो हैं जावरा के विधायक डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय। विपक्ष और सत्ता पक्ष की तल्ख नोकझोंक के बीच एक चेहरा शांत, गंभीर और जिम्मेदारी से लबरेज — जो कभी सवाल पूछते दिखा, तो कभी सीधे सभापति की कुर्सी पर बैठकर सदन की कार्यवाही संभालतेनजर आया।
रतलाम जिले के लिए यह गौरव का क्षण है। यह पहला मौका है जब जिले से कोई विधायक लगातार कई बार विधानसभा का संचालन करते हुए देखा गया हो। डॉ. पाण्डेय ने जिस सहजता और सलीके से कार्यवाही को चलाया, वह कई वरिष्ठ विधायकों के लिए भी मिसाल बन गया। पहले चार दिन की कार्यवाही में डॉ. पाण्डेय सदन में सबसे ज्यादा सक्रिय विधायकों में शुमार रहे। हर मुद्दे को  उन्होंने हर बार ठोस तथ्यों और जनहित की गूंज के साथ अपनी बात रखी।सत्र की सबसे खास बात रही उनका सभापति के रूप में विधानसभा संचालन करना। जब वे कुर्सी पर बैठे तो सत्ता और विपक्ष, दोनों पक्षों के सदस्य पूरे अनुशासन में नजर आए। उनका संतुलन, स्पष्ट निर्देश और गरिमामयी शैली सदन में चर्चा का विषय बन गई। राजनीतिक गलियारों में अब ये चर्चा गर्म है कि क्या पाण्डेय जी की यह छवि आने वाले समय में उन्हें नई जिम्मेदारियों की ओर ले जाएगी?

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