रूप नगर फंटा हनुमान मंदिर के संत 1008 श्री मंगल दास जी महाराज हुए ब्रह्मलीन, अंतिम दर्शनों के लिए उमड़ रहा भक्तों का सैलाब, यहां बनेगी समाधि, देखे वीडियो भक्त कैसे हुए भावविभोर

ब्रह्मलीन संत श्री मंगल दास जी महाराज के अंतिम दर्शनों के लिए खाचरोद जावरा रोड पर उमड़ी भक्तों की भीड़। नामली भी स्वत हुआ बंद।

रूप नगर फंटा हनुमान मंदिर के संत 1008 श्री मंगल दास जी महाराज हुए ब्रह्मलीन, अंतिम दर्शनों के लिए उमड़ रहा भक्तों का सैलाब, यहां बनेगी समाधि, देखे वीडियो भक्त कैसे हुए भावविभोर
रूपनगर हनुमान मंदिर के संत 1008 श्री मंगल दास जी महाराज हुए ब्रह्मलीन

हरीश चौहान naamli@newmpg।  मालवा की धरती और अनगिनत श्रद्धालुओं के हृदयों को आज गहरा आघात पहुँचा है। रूपनगर फंटा स्थित श्री हनुमान मंदिर के पूज्य संत श्री 1008 मंगलदास जी महाराज आज सुबह प्रभु नाम जपते और यज्ञ करते हुए ही ब्रह्मलीन हो गए। यह क्षण जितना अलौकिक था उतना ही भावुक— क्योंकि अपने जीवन के अंतिम समय में भी वे अपने नियत यज्ञ, धर्म प्रचार और हनुमान भक्ति में रमे रहे।

जैसे ही यह समाचार नगर और आसपास के क्षेत्रों में पहुँचा, शोक की गहरी लहर दौड़ गई। हर वर्ग, हर समुदाय, हर धर्म के लोग श्रद्धांजलि देने के लिए उमड़ पड़े। हजारों गुरु भक्त, श्रद्धालु और धर्म प्रेमी गुरुजी के अंतिम दर्शन हेतु नामली, खाचरौद, जावरा, मंदसौर, उज्जैन, रतलाम सहित दूर-दराज़ से पहुँच रहे हैं।

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 बाल पन धर्म की कीर्ति फैलाने वाले संत

मूलतः उज्जैन जिले के खाचरौद तहसील के ग्राम बोरदिया के निवासी संत श्री 1008 मंगलदास जी महाराज का जीवन पूर्णतः प्रभु भक्ति को समर्पित रहा। बचपन से ही एकांत में बैठकर ‘जय श्रीराम’ और ‘हनुमान चालीसा’ का जाप उनका प्रिय साधन रहा। छोटी उम्र से वे भगवान श्री हनुमान और प्रभु श्री राम की भक्ति में लीन हो गए थे। मात्र 12-13 वर्ष की आयु में घर छोड़कर वे अयोध्या गए, जहाँ उन्होंने गुरु रामधुनी महाराज को अपना आदर्श मानकर सेवा का व्रत लिया।

सारा जीवन रहे प्रकृति के सानिध्य में

संत श्री ने मालवा की भूमि को ही अपना कर्म और भक्ति का स्थल चुना था। सबसे खास बात है कि उन्होंने जीवन पर्यंत प्रकृति का सानिध्य किया वे पक्के स्थल में ना तो रहे ना ही कभी यज्ञ किया। जंगल और खुले स्थानों में ही वे भक्ति और प्रकृति के संरक्षण का संदेश देते रहे। जबकि उन्हें रियासत से जुड़े लोगों और मंदिर समितियां की तरफ से सुविधा भी कई बार दी गई जिसे उन्होंने कभी नहीं अपनाया। वर्षों तक मालवा और विभिन्न राज्यों में एक हज़ार से अधिक महायज्ञ एवं भंडारों का आयोजन करते रहे। उन्होंने लाखों लोगों तक धर्म और भक्ति का संदेश पहुँचाया। गुरु पूर्णिमा पर उनकी कुटिया पर भक्तों का सैलाब उमड़ता था और उनके आशीर्वाद के बिना कोई भी मांगलिक कार्य अपूर्ण माना जाता था

अंतिम दर्शनों के लिए उमड़ा सैलाब

गुरुवार को गुरुदेव की पावन देह को अंतिम दर्शन के लिए रूपनगर फंटा से नामली लाया जाएगा। इसके पहले रूपनगर से प्रारंभ हुए डोल (जुलूस) के दर्शनों के लिए जावरा खाचरोद मार्ग पर बड़ी संख्या में भक्त उमड़ने लगे।

नामली स्वत हुआ बंद

आगमन पूर्व ही गुरुवार के अंतिम दर्शनों के लिए नामली नगर में जगह-जगह मंच और फूलों की वर्षा के साथ श्रद्धालु स्वागत की तैयारी करने लगे। दोपहर 1 बजे नामली से अंतिम यात्रा प्रारंभ होगी, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे। इसके लिए सुबह से ही प्रतिष्ठान और काम लोगो ने स्वतः बंद कर दिए। यहां तक की स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों के बावजूद निजी स्कूल निजी बड़े प्रतिष्ठान आदि भी बंद कर दिए गए। गुरु भक्तों ने कहां की आयोजन की तैयारी वे रात में करेंगे लेकिन गुरु के अंतिम दर्शन का अवसर कोई नहीं छोड़ना चाहता। 

अंतिम संस्कार और समाधि स्थल का निर्णय संत समाज और शिष्यगण मिलकर करेंगे।