पीला मोजेक से सोयाबीन की फसल हो रही बर्बाद -परेशान किसान पहुँचे कलेक्टर के पास
पीले मोज़ेक से सोयाबीन को हो रहे नुकसान की शिकायत लेकर आधा दर्जन गांवों के किसान सोमवार को कलेक्टरेट पहुंचे। किसानों ने निरीक्षण और मुआवज़े की मांग की।
रतलाम@Newsmpg। जिले के कई गाँवों में किसानों द्वारा बोई गई सोयाबीन की फसल इस बार पीले मोजेक रोग की चपेट में आकर बबार्दी की कगार पर पहुँच गई है। सोमवार को भारतीय किसान संघ के बैनर तले बोदीना, सैलाना, करिया और आसपास के किसान कलेक्टरेट पहुँचे और कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा और फसल बीमा योजना का लाभ दिलाने की माँग की।
किसानों का कहना है कि बोआई के बाद से ही बारिश में आई अनियमितता और कीटों के प्रकोप के चलते पीले मोजेक ने फसल को बुरी तरह प्रभावित किया है। खेतों में पौधों की पत्तियाँ पीली पड़कर सूख रही हैं, जिससे दाने बनना बंद हो गया है। कई जगह 50 से 70 प्रतिशत तक फसल बर्बाद होने की आशंका है।
पत्तियां हुई पीली, नहीं बनेगा दाना
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, पीला मोजेक एक विषाणु जनित रोग है जो मुख्यत: सफेद मक्खी के माध्यम से फैलता है। इस रोग में पौधों की पत्तियाँ हल्की पीली होकर धीरे-धीरे पूरे पौधे को प्रभावित कर देती हैं। पौधे का विकास रुक जाता है और दाना बनने की प्रक्रिया बाधित हो जाती है। समय पर उपचार न होने पर पूरी फसल चौपट हो सकती है।
किसानों की माँग
ज्ञापन में किसानों ने माँग की कि कृषि विभाग तत्काल सर्वे कर प्रभावित खेतों का आकलन करे और बीमा कंपनियों से संपर्क कर किसानों को फसल बीमा योजना के तहत लाभ दिलवाए। इसके अलावा राज्य सरकार से विशेष राहत पैकेज की माँग भी की गई है। किसानों के अनुसार समय पर निरीक्षण नहीं होने से बाद में बीमा कंपनियां अधिकतर किसानों को लाभ देने में आनाकानी करती हैं। भारतीय किसान संघ के जिला पदाधिकारियों ने प्रशासन से तत्काल निरीक्षण प्रारंभ करवाने की मांग की।
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पीला मोजेक वायरस क्या है?
यह एक वायरस है जो सोयाबीन की फसल में पीलिया (पीले धब्बे) का कारण बनता है। यह मुख्य रूप से सफेद मक्खी नामक कीट द्वारा फैलता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इसका मुख्य लक्षण: पत्तियों पर पीले धब्बे या चित्तीदार पैटर्न है।
इससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है। पत्तियाँ मुड़ जाती हैं और विकृत हो जाती हैं. फसल की पैदावार कम हो जाती है। अंत में उत्पादन में कमी हो जाती है।
नियंत्रण कैसे करें
कृषि विभाग के अनुसार जहां भी खेतों में ऐसी दिक्कत प्रारंभ हुई है वहां सबसे पहले संक्रमित पौधों को खेत से हटाना चाहिए। इसके साथ ही कीटनाशकों का उपयोग और नियमित रूप से फसल की निगरानी करना चाहिए।
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