"बीमा कंपनियों का तंग करने का खेल… किसान भड़के, करणी सेना ने दी आंदोलन की चेतावनी"

"11 से 12,500 रुपये प्रति बीघा मुआवजे की मांग, मंडी से कलेक्ट्रेट तक निकाली रैली" रतलाम में अतिवृष्टि से फसल चौपट होने पर किसानों ने करणी सेना प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर के नेतृत्व में मंडी से कलेक्ट्रेट तक रैली निकाली।

Sep 12, 2025 - 15:34
Sep 12, 2025 - 15:42
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"बीमा कंपनियों का तंग करने का खेल… किसान भड़के, करणी सेना ने दी आंदोलन की चेतावनी"
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रतलाम@newsmpg । जिले भर में अतिवृष्टि से बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा देने की मांग को लेकर शुक्रवार को किसानों ने प्रदर्शन किया। करनी सेना परिवार के प्रमुख जीवनसिंह शेरपूर के नेतृत्व में 11 से 12500 हजार रुपए प्रति बीघा मुआवजा देने की मांग को लेकर कृषि उपज मंडी से कलेक्ट्रेट तक किसानों ने पैदल रैली निकाली। नारे लगाते हुए हाथों में तख्तियां लेकर चल रहे थे। कलेक्ट्रेट पहुंचकर किसान जमीन पर बैठ गए और प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जताई। 
प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए करणी सेना परिवार प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर ने कहा कि जब फसल पूरी तरह खराब हो चुकी है। किसान पूरी तरह खेती पर निर्भर हैं। पटवारी वास्तविक स्थिति छिपा रहे हैं और केवल 70 प्रतिशत नुकसान दर्शा रहे हैं, जबकि खेतों में फसल पूरी तरह खत्म हो चुकी है। अब सर्वे का कोई औचित्य नहीं है। किसानों को तुरंत मुआवजा मिलना चाहिए। यदि मांगे पूरी नहीं हुईं, तो करणी सेना प्रदेशभर में बड़ा आंदोलन करेगी। किसानों ने एसडीएम आर्ची हरित को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इस दौरान तहसीलदार ऋषभ ठाकुर और भारी पुलिस बल मौके पर मौजूद रहा।

100 फसल नष्ट, बीमा कंपनी कर रही परेशान

इस दौरान जीवन सिंह सहित वक्ताओं ने कहा कि जिले में सोयाबीन की फसल पीले मौजक और अधिक बारिश से 100% नष्ट हो चुकी है। सर्वे बारिश के दौरान होना था, अब किसानों को 11,000 से 12,500 रुपये प्रति बीघा का मुआवजा खातों में जमा किया जाए। लंबित बीमा दावों का निपटारा भी मंजूर किया जाए। कंपनियां बार-बार पॉलिसी नंबर मांगकर किसानों को परेशान कर रही हैं। पंचायत स्तर पर बीमा अधिकारी नियुक्त होने चाहिए।

जानवरों के लिए योजना, बिजली मिले मुफ्त

ज्ञापन में कहा गया कि सोयाबीन का भाव लागत के अनुसार तय हो। वर्तमान में खेती नुकसान का सौदा है। लागत मूल्य भी नहीं निकलता है। खाद वितरण केंद्र जिले में हर 15-20 गांवों के बीच नगद खाद वितरण केंद्र खोले जाएं और सभी किसानों को खाद उपलब्ध कराया जाए। प्याज और लहसुन का निर्यात पूरे वर्ष चालू रखा जाए। कर्ज माफी और सस्ता ऋण, ब्याज दरें घटाने आदि की भी मांग की। खेती के लिए बिजली निशुल्क हो किसानों को दिन के समय पर्याप्त बिजली मिले और कुओं के ट्रांसफॉर्मर जलने पर 24 घंटे में बदले जाएं। जंगली सूअर और रोजड़ा से बचाव इनसे फसलें चौपट हो रही हैं। शासन कार्ययोजना बनाए।

किसानों ने दिया खर्च का ब्यौरा

इस दौरान किसानों ने लिखित में खर्च भी बताया। इसमें कहा कि प्रति बीघा सोयाबीन उगाने के लिए 
जुताई व बुआई: 500
बीज: 1,750
खाद: 850
बीज उपचार: 250
खरपतवार नाशक: 800
इल्ली की दवाई 3,000
कटाई मजदूरी: 2,500
निकालने का खर्च: 1,500
मंडी/घर तक ले जाना: 1,000
कुल लागत: 12,550 प्रति बीघा

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