घर लौटा लोकेश का शव तो विदाई देने उमड़ी हजारों की भीड़ -अंतिम संस्कार के समय धरने पर बैठे ग्रामीण, कारण नहीं बताने से परेशान रहे परिजन 

घर लौटा लोकेश का शव तो विदाई देने उमड़ी हजारों की भीड़ -अंतिम संस्कार के समय धरने पर बैठे ग्रामीण, कारण नहीं बताने से परेशान रहे परिजन 

Dec 3, 2021 - 18:06
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घर लौटा लोकेश का शव तो विदाई देने उमड़ी हजारों की भीड़ -अंतिम संस्कार के समय धरने पर बैठे ग्रामीण, कारण नहीं बताने से परेशान रहे परिजन 


-भारतीय सेना की इंफाल यूनिट में था पदस्थ, मणिपुर में हुई मौत



रतलाम/जावरा। जिस बेटे को बस कुछ ही माह पहले ढ़ोल बजाते हुए तिलक लगाकर यह कहते हुए विदाई दी थी कि जल्द आना...उसका शव जब गांव आया तो मां, पिता, बहनें, भाई समझ तक नहीं पा रहे थे कि क्या हो गया। हजारों की भीड़ वीर के शव को लाने वाले वाहन के पीछे-पीछे भारत माता के जयकारों के साथ चलकर पहुंची। पूरे गांव में 21 वर्षीय बेटे के असमय जाने पर शोक फैल गया। 
  रतलाम जिले के जावरा के समीप मावता गांव का रहने वाला जवान लोकेश कुमावत भारती आर्मी की इम्फाल यूनिट में पदस्थ था। मणिपुर में ड्यूटी पर उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद रेजीमेंट ने शव को फ्लाइट से इंदौर पहुंचाया। इंदौर से शुक्रवार सुबह शव आर्मी के वाहन में रेजीमेंट के साथियों के साथ जावरा पहुंचा। यहां सर्किट हाउस में पार्थिव देह अंतिम दर्शनों के लिए रखी गई। इस दौरान कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम, एसपी गौरव तिवारी, सीईओ जमुना भिड़े, एएसपी सुनिल पाटीदार सहित अधिकारियों ने श्रद्धांजलि दी। यहां से शव उनके गृह ग्राम मावता ले जाया गया। 


हजारों की भीड़ उमड़ी 
गांव में जब लोकेश का शव ले जाया गया तो परिवार के लोग रो-रो कर अपने बेटे से आने की बात कहने को दोहराते रहे। इस दौरान मावता के साथ ही आसपास के कई गांव के हजारों लोग उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे। पूरे गांव में अंतिम यात्रा निकाली गई जिसमें लोग पीछे पीछे जयकारे लगाते हुए चलते रहे। अंतिम संस्कार गांव के मुक्तिधाम पर किया गया। 

सीएम, पूर्व सीएम ने भी दी श्रद्धांजलि 
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित कई गणमान्य लोगों ने ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया संस्थानों पर लोकेश कुमावत को श्रद्धांजलि दी। कोर्ट चौराहे पर दबंग दुनिया परिवार, रतलाम प्रेस क्लब, ग्राम नांदलेटा के फौजी जवान और अन्य साथियों ने भी मौन रखकर उन्हें आदरांजलि दी। 

कारण नहीं बताने पर नाराज लोग बैठे धरने पर 
अंतिम संस्कार के दौरान मावता में सैकड़ों लोग धरने पर भी बैठे। परिजन की शिकायत थी कि उन्हें लोकेश कुमावत की मौत के कारण नहीं बताए गए। परिवार और ग्रामीणों ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि उन्हें शहीद का दर्जा भी आधिकारिक रूप से नहीं दिया गया। न ही सेना या जिला प्रशासन के किसी अधिकारी ने गांव आकर परिवार से मुलाकात करके उन्हें कारण बताया। करीब एक से डेढ़ घंटे तक लोग धरने पर बैठे रहे। इसके बाद जिला प्रशासन ने उनकी रेजीमेंट की महू यूनिट से संपर्क साधा और फिर परिवार की भी उनसे बात करवाई। इसके बाद धरना समाप्त किया गया। 

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